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यूपी कैग ने AMU प्रशासन को मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के फंड के दुरूपयोग का दोषी पाया
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी डोनेशन को लेकर बड़े विवादों में फंसती नजर आ रही है. एएमयू पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए दिए गए डोनेशन को जानबूझकर एक प्राइवेट ट्रस्ट में ट्रान्सफर करने का आरोप लगा है.
एएमयू के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने यूनिवर्सिटी पर डोनेशन के पैसों की हेराफेरी का गंभीर आरोप लगते हुए कहा है कि उसे एक प्राइवेट ट्रस्ट को ट्रान्सफर किया गया.
पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल्स विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर अशरफ मतीन ने आरोप लगाया है कि, "51.79 लाख रुपयों को एएमयू के एक प्राइवेट कांट्रेक्टर द्वारा संचालित संस्था सर सयैद एजुकेशनल फाउंडेशन को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ट्रान्सफर की गई."
एएमयू टीचर्स एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटेरी अशरफ ने कहा कि यह फण्ड मुजफ्फरनगर दंगे के पीड़ित बच्चों के लिए स्कूल खोलने के लिए डोनेट की गई थी.
इस बीच विवाद के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश कैग द्वारा इस घोटाले की जांच की गई. ऑडिट एजेंसी एएमयू प्रशासन को फण्ड ट्रान्सफर मामले में नोटिस भी भेजा है जिसका जवाब अभी तक उसे नहीं मिला है.
प्रदेश18 के पास मौजूद ऑडिट रिपोर्ट में सीधे तौर पर एएमयू प्रशासन को फण्ड ट्रान्सफर मामले में दोषी पाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, "यूनिवर्सिटी द्वारा इस मामले में कोई भी रिप्लाई न देना और न ही यह बताना कि किस रूल के तहत रुपये ट्रान्सफर किये गए यह दर्शाता है कि पैसे का दुरूपयोग किया गया है."
93 पेज की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रान्सफर किया गया फंड एएमयू एक्ट, अकाउंट कोड और भारत सरकार के वित्त नियमों का उल्लंघन है.
अशरफ ने यह भी आरोप लगाया है कि ट्रस्ट चेयरमैन सलमान जाफरी ने एएमयू कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल की नियुक्ति लाइफटाइम ट्रस्टी भी नियमों को तोड़कर की है.
हालांकि एएमयू के पीआरओ राहत अबरार ने बताया कि फण्ड ट्रान्सफर का फैसला सामूहिक रूप से लिया गया था जिसमे एएमयू टीचर्स एसोसिएशन भी एक पार्टी थी. इस बीच एएमयू ने अशरफ मतीन पर यूनिवर्सिटी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया.
एएमयू के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने यूनिवर्सिटी पर डोनेशन के पैसों की हेराफेरी का गंभीर आरोप लगते हुए कहा है कि उसे एक प्राइवेट ट्रस्ट को ट्रान्सफर किया गया.
पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल्स विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर अशरफ मतीन ने आरोप लगाया है कि, "51.79 लाख रुपयों को एएमयू के एक प्राइवेट कांट्रेक्टर द्वारा संचालित संस्था सर सयैद एजुकेशनल फाउंडेशन को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ट्रान्सफर की गई."
एएमयू टीचर्स एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटेरी अशरफ ने कहा कि यह फण्ड मुजफ्फरनगर दंगे के पीड़ित बच्चों के लिए स्कूल खोलने के लिए डोनेट की गई थी.
इस बीच विवाद के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश कैग द्वारा इस घोटाले की जांच की गई. ऑडिट एजेंसी एएमयू प्रशासन को फण्ड ट्रान्सफर मामले में नोटिस भी भेजा है जिसका जवाब अभी तक उसे नहीं मिला है.
प्रदेश18 के पास मौजूद ऑडिट रिपोर्ट में सीधे तौर पर एएमयू प्रशासन को फण्ड ट्रान्सफर मामले में दोषी पाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, "यूनिवर्सिटी द्वारा इस मामले में कोई भी रिप्लाई न देना और न ही यह बताना कि किस रूल के तहत रुपये ट्रान्सफर किये गए यह दर्शाता है कि पैसे का दुरूपयोग किया गया है."
93 पेज की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रान्सफर किया गया फंड एएमयू एक्ट, अकाउंट कोड और भारत सरकार के वित्त नियमों का उल्लंघन है.
अशरफ ने यह भी आरोप लगाया है कि ट्रस्ट चेयरमैन सलमान जाफरी ने एएमयू कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल की नियुक्ति लाइफटाइम ट्रस्टी भी नियमों को तोड़कर की है.
हालांकि एएमयू के पीआरओ राहत अबरार ने बताया कि फण्ड ट्रान्सफर का फैसला सामूहिक रूप से लिया गया था जिसमे एएमयू टीचर्स एसोसिएशन भी एक पार्टी थी. इस बीच एएमयू ने अशरफ मतीन पर यूनिवर्सिटी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया.
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