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उत्तर प्रदेश

दादरी कांड : फोरेंसिक जांच की आंच में, खटाई में RLD-SP गठबंधन!


लखनऊ। दादरी कांड में मिले मांस की फोरेंसिक जांच में गौ मांस की पुष्टि होने के बाद सपा-रालोद गंठबंधन भी खटाई में पड़ गया है। रालोद के विधायकों के साथ ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह आशंका सता रही है कि अगर पार्टी अब सपा के साथ गठबंधन करती है तो निश्चित है कि रालोद का कोर वोट बैंक जाट उनसे नाराज हो सकता है। इसको लेकर पार्टी में ऊहापोह की स्थिति चल रही है। वही रालोद मुखिया ने भी साफ कह दिया है कि पार्टी नेताओं से विचार विमर्श के बाद ही गठबंधन पर फैसला लिया जाएगा।



नाराज हो सकता जाट कोर वोट बैंक



सूत्रों के अनुसार रालोद विधायकों ने पार्टी नेतृत्व से इन आशंकाओं पर बात की है। कि दादरी मामले में गौमांस की पुष्टि होने के बाद सपा से गठबंधन में उनका कोर वोट बैंक जाट नाराज हो सकता हैं। सूत्रों ने कहा कि रालोद विधायकों को आशंका है कि अगर उनका सपा से गठबंधन होता है तो जाट समुदाय उनसे नाराज हो सकता है। जो पार्टी के लिख खतरनाक होगा। जबकि पार्टी को पहले ही मुस्लिम वोट बैंक के सपा, बसपा कांगे्रस में बंटने की आशंका है। इससे पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं पार्टी प्रभारी चौधरी अजित सिंह पहले ही पुष्टि कर चुके हैं कि सपा के साथ गठबंधन का फैसला पार्टी के नेताओं के साथ परामर्श के बाद लिया जाएगा। हालांकि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ मेरी बैठक सौहार्दपूर्ण थी, बस एक बैठक में एक गठबंधन के बारे में फैसला नहीं कर सकते हैं।



पश्चिमी यूपी की 145 विधानसभाओं में जाट है निर्णायक



आपको बताते चलें कि जाट समुदाय पश्चिम उत्तर प्रदेश की 145 विधानसभा सीटों में निर्णायक होते हैं। मुजफ्फरनगर, बागपत, मथुरा, शामली, अमरोहा और बिजनौर जैसे जिलों में जाट समुदाय की अधिकता है। एक दर्जन से अधिक जिलों में तो जाटों की संख्या तीस फीसद से अधिक है। इसके बाद भी रालोद के पश्चिमी यूपी में सिर्फ नौ विधायक है।



मुलायम परिवार में पहले से ही चल रहा शीत युद्ध



राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी अजित सिंह को लेकर समाजवादी पार्टी में शीतयुद्ध चल रहा है। मुलायम परिवार के लोग अब खुलकर रालोद-सपा के गठबंधन पर खुलकर एक दूसरे के सामने आ गए हैं। पार्टी के थिंक टैंक रामगोपाल यादव रालोद से गठबंधन के पक्ष में नहीं है। जबकि शिवपाल ने इसे एक जरुरी कदम बता रहे हैं। सपा प्रदेश प्रभारी शिवपाल सिंह यादव जहां सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ गठबंधन के पैरोकार हैं, वहीं राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि अजित भरोसे लायक नहीं हैं। उनसे गठबंधन का सपा को कोई लाभ नहीं होगा।



यह थी गठबंधन की मुख्य वजह



मुलायम सिंह, रालोद के साथ ही कांग्रेस से भी गठबंधन के पक्षधर हैं ताकि कार्यकर्ताओं में 2017 के चुनाव में सपा की सत्ता में वापसी का भरोसा पैदा हो सके।इस गठबंधन से प्रदेश में सपा के पक्ष में माहौल बनेगा, मुस्लिम वोटों के बिखर कर बसपा के पाले में जाने की चिंता काफी हद तक दूर हो सकती है।2017 के चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशों पर रोक लग सकती है। संभावित गठबंधन से राष्ट्रीय राजनीति और तीसरे मोर्चे में मुलायम का कद एक बार फिर नीतीश कुमार व ममता बनर्जी से बड़ा हो सकता है।रालोद के साथ आने से पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर सपा को लाभ होने की उम्मीद।

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