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उत्तर प्रदेश

अजित सिंह से दोस्ती पर मुलायम परिवार में घमासान

रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह को लेकर समाजवादी पार्टी एकमत नहीं है। खुद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह का परिवार इस मुद्दे पर दो फाड़ है।

सपा के प्रदेश प्रभारी शिवपाल सिंह यादव जहां सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ गठबंधन के पैरोकार हैं, वहीं राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि अजित भरोसे लायक नहीं हैं। उनसे गठबंधन का सपा को कोई लाभ नहीं होगा।

मुलायम और अजित की दिल्ली में रविवार को हुई बातचीत के बाद राजनीतिक हलकों में सपा-रालोद गठबंधन को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई थी। यह भी चर्चा रही कि अजित को राज्यसभा भेजा जा सकता है।

हालांकि सोमवार को अजित के राज्यसभा जाने की अटकलों पर विराम लग गया लेकिन गठबंधन की संभावनाएं बनी हुई हैं। रालोद की तरफ से मुलायम-अजित की मुलाकात पर किसी नेता ने कोई टिप्पणी नहीं की।




सामने आया सपा नेतृत्व का विरोधाभास




ऐसे संकेत हैं कि जयंत चौधरी के 5 जून को ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद इस मुद्दे पर अगले दौर की बातचीत हो सकती है, लेकिन सपा नेतृत्व का विरोधाभास सोमवार को खुलकर सामने आ गया। रालोद से दोस्ती को लेकर मुलायम परिवार के दो बड़े नेताओं ने अलग-अलग बयान दिए।

सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने फीरोजाबाद में अजित पर जमकर निशाना साधा। कहा, अजित भरोसे लायक नहीं हैं। विश्वसनीयता खो चुके दल से गठबंधन करके कोई लाभ नहीं होने वाला है।

दूसरी तरफ अजित-मुलायम की वार्ता के सूत्रधार शिवपाल सिंह यादव ने संभल में मीडिया से बातचीत के दौरान सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए गठबंधन की पैरवी की। कहा कि सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ दलों को एकजुट होना चाहिए।

रालोद से बातचीत चल रही है। सपा-रालोद का गठबंधन नेताजी व अजित सिंह मिलकर तय करेंगे। सपा, गांधीवादी, लोहियावादी और चौधरी चरण सिंह के अनुयायियों की एकजुटता चाहती है।





इसलिए हो सकता है गठबंधन


- मुलायम सिंह, रालोद के साथ ही कांग्रेस से भी गठबंधन के पक्षधर हैं ताकि कार्यकर्ताओं में 2017 के चुनाव में सपा की सत्ता में वापसी का भरोसा पैदा हो सके।

- इस गठबंधन से प्रदेश में सपा के पक्ष में माहौल बनेगा, मुस्लिम वोटों के बिखर कर बसपा के पाले में जाने की चिंता काफी हद तक दूर हो सकती है।

- 2017 के चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशों पर रोक लग सकती है।

- संभावित गठबंधन से राष्ट्रीय राजनीति और तीसरे मोर्चे में मुलायम का कद एक बार फिर नीतीश कुमार व ममता बनर्जी से बड़ा हो सकता है।

- रालोद के साथ आने से पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर सपा को लाभ होने की उम्मीद।




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