Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

'नरेंद्र मोदी ने हिंदुओं के साथ छल किया है'

राम मंदिर जन्मभूमि मामले में 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में शामिल निर्मोही अखाड़े के प्रमुख महंत पुजारी रामदास ने कहा है कि राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार हिंदुओं के साथ छल कर रही है।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में वर्षों पुराने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद इन दिनों फिर सुर्ख़ियों में हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने बार-बार दोहराया है कि आगामी विधान सभा चुनावों में राम मंदिर निर्माण एक मुद्दा नहीं है।

निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख महंत पुजारी रामदास ने बताया, “भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में अंतर है। इनका मुद्दा था राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। अटल जी जब प्रधानमंत्री थे, तब भी मुद्दा उठा था। 1991 में इतने जोर शोर से ये मुद्दा आया कि चार-चार प्रांतों में इनकी सरकार बन गई। और कोई दूसरा कारण नहीं था।”

पुजारी रामदास ने आगे कहा, “अब इनको मंदिर बनवा देना चाहिए। इनके पास पूर्ण बहुमत है। इन्हें एक अध्यादेश लाना चाहिए, कानून में परिवर्तन लाएं। राम मंदिर के लिए एक विशेष बिल लाएं।”

हालांकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद लगातार कहते रहे हैं कि राम मंदिर कोई मुद्दा नहीं है। जबकि एक समय था कि वे हिंदुत्व के हिमायती थे।

उनके इस रवैए पर पुजारी रामदास ने कहा, “इन बयानों से बहुत निराशा होती है। इन्होंने हिंदुस्तान के हिंदुओं को छला है। अयोध्या के साधु संतों को छला। विकास का नारा देकर छल रहे हैं।”

पुजारी रामदास के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के दौरान विकास नारा नहीं था।

उन्होंने बताया, “हिंदुओं ने इन्हें चुनाव में जिताया। लोकसभा में हिंदुओं ने इन्हें एकजुट होकर वोट दिया था क्योंकि उन्हें आशा थी कि ये लोग मंदिर बनाएंगे। लेकिन अब साधु संतों का समाज इनके बहकावे में नहीं आएगा, इनकी असलियत को लोग जान गए हैं।”

हालांकि नरेंद्र मोदी की सरकार को अभी दो ही साल हुए हैं और तीन साल बाक़ी हैं। लेकिन निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख को इस सरकार से अब उम्मीद नहीं है। वे कहते हैं, “हमारी उम्मीद टूट चुकी है।”

पुजारी रामदास ने नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए ये भी कहा, “1990 में आडवाणी की रथ यात्रा के संयोजक नरेंद्र मोदी ही थे। अगर उनका ध्येय नहीं था तो वे संयोजक क्यों बने? क्या सत्ता पाना उनका ध्येय था? मेरा तो इतना ही कहना है कि राम को भुलाएंगे तो फिर दिक्कत में आ जाएंगे, ये पक्की बात है।”

पुजारी रामदास ये भी मानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी बीते 30 साल से छल कर रही है और अटल बिहारी वाजपेयी भी इस मुद्दे पर कभी साथ में नहीं थे।

निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख ने ये भी कहा कि उनका भरोसा न्यायालय में है। उन्होंने ये भी कहा कि 1986 में ताला खुलवाने की बात हो या फिर 1989 में शिलान्यास हुआ हो या फिर 30 सितंबर, 2010 का फैसला, न्यायालय की ओर से आया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले में राम मंदिर जन्मभूमि से संबंधित तीनों दावेदारों को विवादास्पद जमीन का हिस्सेदार बताया था। इसके मुताबिक, रामल की प्रतिमा वाली जगह राम जन्मभूमि न्यास की है।

वहीं सीता रसोई और राम चबूतरे पर निर्मोही अखाड़ा का कब्जा है। जबकि विवादास्पद भूमि का एक हिस्सा, जहां मुस्लिम नमाज पढ़ते रहे हैं, उसका हक़ सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास है।
Next Story
Share it