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उत्तर प्रदेश

समाजवादी रथ बनकर लगभग तैयार है इस बार युद्ध तीन स्तर पर होगा

नई दिल्ली : तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मनोबल बढ़ा दिया है। वह दोबारा वापसी के इस ट्रेंड को अपने लिए सकारात्मक संकेत के रूप में देखने लगे हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं तक को स्पष्ट निर्देश है कि पूरी तरह आक्रामक रहें।

भाजपा विकास की बात करे तो प्रदेश में राज्य सरकार के विकास कार्यों के आंकड़े को ज्यादा दम के साथ रखें और तुष्टीकरण की बात करे तो अयोध्या, मथुरा और चित्रकूट-काशी की झलक दिखाएं। संभव है कि अगले कुछ दिनों में सपा की ओर से आक्रामक चुनाव अभियान की शुरुआत हो। वैसे इस बार अखिलेश हेलीकाप्टर और साइकिल के जरिए ही नहीं, समाजवादी रथ पर सवार होकर भी वोट मांगने निकलेंगे। उनका रथ बनकर लगभग तैयार है।

सपा में चुनावी अभियान की रूप रेखा को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू हो गई है। यह तीन स्तर पर होगा। खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास पर केंद्रित रहेंगे, पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिह यादव सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखेंगे और दूसरी-तीसरी पंक्ति के नेता व कार्यकर्ता भाजपा, बसपा व कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। अगर तुष्टीकरण का मुद्दा उठा तो आंकड़ों के साथ बताया जाएगा कि अयोध्या, मथुरा, काशी और चित्रकूट भी सपा सरकार के एजेंडे में है और वहां विकास का काम तेजी से चल रहा है। मथुरा, काशी और लखनऊ में रिवर फ्रंट बन रहा है तो चित्रकूट और अयोध्या में सत्संग भवन बनवाया जा रहा है। इतना ही नहीं अखिलेश ने सभी धार्मिक स्थलों पर चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति के निर्देश पहले ही दे दिए हैं।

जाहिर है कि पार्टी इस बार अपने उस वोट बैंक को दुरुस्त रखना चाहती है जो हंिदूु्त्व के मुद्दे पर टूट सकता है। अगर कानून, व्यवस्था की बात उठी तो खुद दिल्ली का उदाहरण पेश किया जाएगा और विकास के मुद्दे पर परियोजनाएं गिनाई जाएंगी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से हालांकि लड़ाई सपा के साथ बताई गई है लेकिन सपा इसका ध्यान रखेगी कि किसी भी स्तर पर मुकाबला दो दलों के बीच न बताया जाए। बल्कि हर मंच से यही कहा जाएगा कि सपा का मुकाबला किसी भी पार्टी से नहीं है।
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