Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

24 घंटे में मुलायाम से दो बार मिले अजित सिंह

नई दिल्ली: अगले साल होने वाला यूपी विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन की राजनीति गर्म हो गई है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह हाथ मिला सकते हैं. सवाल है कि क्या आरएलडी का साथ एसपी को दोबारा सत्ता की गारंटी दिला देगा?

राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह की एकाएक समाजवादी पार्टी से करीबी बढ़ गई है. अजित सिंह ने बीते 24 घंटे में दो बार समाजवादी पार्टी अध्य़क्ष मुलायाम सिंह यादव से मुलाकात की है. सूत्रों की मानें तो मुलाकात की वजह ये है कि अजित सिंह साइकिल के पीछे बैठकर राज्यसभा जाना चाहते हैं. अजित सिंह की मंशा सिर्फ राज्यसभा पहुंचने की ही नहीं, बल्कि साइकिल का साथ लेकर यूपी विधानसभा चुनाव तक पहुंचने की भी है.

अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए दोनों दलों के बीच गठबंधन हो सकता है. यही वजह है कि दिल्ली में एसपी और आरएलडी के नेता एक-दूसरे के घर का चक्कर लगा रहे हैं.

कल रात अजित सिंह मुलायम सिंह के घर डिनर पर पहुंचे थे, आज सुबह एसपी के एमएलसी आंसू मलिक अजित सिंह से मिलने पहुंचे थे. दोपहर में एसपी महासचिव शिवपाल सिंह यादव भी अजित सिंह से मिलने पहुंचे थे. हालांकि उन्होंने अजित सिंह से मुलाकात को सामान्य बताया था, लेकिन ऐसा है नहीं.

शिवपाल से मिलने के बाद अजित सिंह सीधे मुलायम सिंह यादव के घर मिलने पहुंच गए. दरअसल अजित सिंह को यूपी में अपना वजूद बचाए रखने के लिए भी साथी की जरूरत है.

2014 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल का हैंडपंप कमल की आंधी में उखड़ गया था. पश्चिमी यूपी में कभी अपना वर्चस्व रखने वाले अजित सिंह की खुद की सीट भी चली गई थी.

ऐसे में दिल्ली की राजनीति से अजित सिंह पिछले दो सालों से दूर हैं. लिहाजा उनके पास राज्यसभा जाने के सिवाए कोई रास्ता नहीं बचता. लेकिन राज्यसभा जाने के लिए भी अजित सिंह को कोई न कोई सहारा लेना पड़ता. इसके लिए पहले अजित सिंह ने बिहार से कोशिश शुरू की थी. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में आरएलडी के विलय की चर्चा जोर शोर से चली थी, लेकिन बात बन नहीं पाई. अब एसपी से तालमेल बैठा लिया गया है. अजित सिंह का पश्चिमी यूपी में जाट वोटों पर अच्छा खासा प्रभाव है.

2012 में आरएलडी का कांग्रेस के साथ गठबंधन था. पश्चिमी यूपी की जिन 46 सीटों पर आरएलडी ने उम्मीदवारे उतारे थे, उनमें 20 फीसदी वोटों के साथ 9 सीटों पर जीती थी. पश्चिमी यूपी के इन्हीं 20 फीसदी वोटों पर अब एसपी की नजर है. मतलब ये कि अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी का साथ मिल जाता है तो समाजवादी पार्टी इस क्षेत्र में एक मज़बूत ताक़त बन सकती है. परंपरागत तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश सपा का मज़बूत इलाक़ा नहीं माना जाता है.

2012 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 224 सीटें जीतने के साथ ही 29 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे और अजित सिंह की आरएलडी को राज्य में ढाई फीसदी से भी कम वोट मिले थे. ऐसे में समाजवादी पार्टी आंकड़ों और जातिगत वोटों का गणित बैठाएगी तो उसके लिए ये गठबंधन फायदे का सौदा हो सकता है.
Next Story
Share it