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उत्तर प्रदेश

पीने को पानी नहीं, इसलिए छोड़ रहे घर, 'फसल को पानी मिलता तो भूखे न मरते'

लखनऊ : सूखे का जायजा लेने आईं केंद्र की टीमों ने भी माना है कि बुंदेलखंड की हालत वाकई खराब है। खासतौर से पानी संकट पर टीमों ने चिंता जताई। इस मुआयने के बाद यूपी को मिलने वाली सूखा राहत बढ़ सकती है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के बाद केंद्रीय टीमें बुधवार को यहां प्रदेश सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक करके राहत बढ़ाए जाने के मुद्दे पर चर्चा करेंगीं।

केंद्र सरकार की ओर से यह माना गया था कि रबी की फसलों पर भी सूखे का असर पड़ा है। उसके बाद राज्यों से प्रस्ताव मांगे गए थे। यूपी ने 1261 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। उसका मुआयना करने के लिए केंद्र की तीन टीमें सोमवार को लखनऊ पहुंची थीं। उसके बाद बुंदेलखंड के सात जिलों और कानपुर देहात का दौरा करने गईं। अफसरों का कहना है कि राहत की राशि 1261 करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है। बुधवार को केंद्रीय टीमों के साथ बैठक के बाद बढ़ी हुई राशि का मेमोरेंडम केंद्र को भेजा जाएगा। खासतौर से पेयजल, सिंचाई और चारे के लिए कुछ विभागों के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
केंद्रीय टीमों ने माना बुंदेलखंड के हालात वाकई खराब

बांदा: सूखे का जायजा लेने आई केंद्र सरकार की तीन सदस्यीय टीम ने अतर्रा और बदौसा क्षेत्र के कई गांवों में जाकर ग्रामीणों की समस्याएं जानीं। किसानों से रबी के उत्पादन, सिंचाई समस्या, पेयजल आदि के संबंध में जानकारी ली। टीम को किसानों ने उत्पादन कम होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी फसल बर्बाद हो गई मगर उन्हें एक भी रुपये का मुआवजा नहीं मिला। टीम ने भरोसा दिलाया कि वह अपनी रिपोर्ट देकर केंद्र सरकार को हकीकत से अवगत कराएंगे।

बांदा और चित्रकूट का जायजा लेने आई तीन सदस्यीय टीम में कृषि मंत्रालय के अधिकारी आशीष बनर्जी, जीके भास्कर, आरके दुबे शामिल थे। इसके अलावा प्रदेश सरकार के कृषि निदेशालय के एनके भाटिया भी उनके साथ मौजूद रहे। अधिकारी अतर्रा तहसील के तरसुमा गांव पहुंचे। किसान रामबहोरी तिवारी, जगदीश

हमीरपुर : सूखे की वजह से बदहाल हो चुके बुंदेलखंड के हमीरपुर में मंगलवार को केंद्रीय टीम दौरे पर पहुंची। टीम ने सुमेरपुर विकासखंड के कुछेछा और कुंडौरा गांव का दौरा किया। यहां के लोगों ने अधिकारियों को बताया कि नहरों में पानी न छोड़ने की वजह से उनकी फसल की सिंचाई नहीं हो सकी, अगर फसल को पानी मिल जाता तो आज इस तरह भूखों मरने की स्थिति नहीं आती। किसानों ने बताया कि उनके खेतों में प्रति बीघा एक कुंतल फसल की पैदावार नहीं हो पाई है। सरकार की तरफ से जो मिल रहा है वह पेट भरने के लिए काफी नहीं है। टीम में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के प्रबंध निदेशक डॉ. एके सिंह, गन्ना विकास विभाग के निदेशक डॉ. एमसी दिवाकर, केंद्रीय विद्युत अभिकरण के उपनिदेशक ओपी सुमन और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की तरफ से नारायन रेड्डी शामिल थे।

टीम ने चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं पूछीं। अधिकारियों ने ग्रामीणों से पूछा कि उन्हें योजना के तहत भूसा मिल रहा है कि नहीं, इस पर सभी ने हां में जवाब दिया। वहीं, बांक गांव के अजय कुमार, दयाराम, स्वदेश कोरी, गुरुप्रसाद यादव, पलरा प्रधान रामलखन प्रजापति, बिलहड़ी प्रधान जयवीर खंगार, बांकी प्रधान बाबूराम यादव व क्षेत्र पंचायत सदस्य शिवशंकर गुप्ता ने टीम को सूखे की हकीकत बताई।

टीम के साथ एसडीएम डॉ. राजेश कुमार प्रजापति, जल संस्थान के सहायक अभियंता एसके त्रिवेदी और खंड विकास अधिकारी महेंद्र देव सहित कई अन्य अधिकारी मौजूद थे। इसके बाद टीम मौदहा विकासखंड के रतवा गांव पहुंची। यहां अधिकारियों ने चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। आखिरी में टीम महोबा के लिए रवाना हो गई।

महोबा पहुंची टीम ने खन्ना, बरीपुरा और बिलबई गांव पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुनीं। अधिकारियों ने पेयजल, जल संरक्षण सहित सरकार की तरफ से चलाए गए राहत कार्यक्रम की जानकारी जुटाई। अधिकारियों ने ग्रामीणों से पूछा कि आखिर यहां से पलायन किस तरह रोका जा सकता है। चार सदस्यी दल के साथ जिले के अधिकारी मौजूद रहे।

महोबा के चारों विकास खंड डार्क जोन घोषित हैं। कबरई विकास खंड के बरीपुरा गांव में जांच दल ने किसानों से पूछा कि उन्हें पीने का पानी मिल रहा है या नहीं। गांव वालों ने बताया कि अब पीने का पानी बचा ही नहीं है। इसी वजह से हम घर छोड़कर जा रहे हैं। गांव वालों ने अधिकारियों से मवेशियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करने की मांग की। जांच दल के नोडल अधिकारी एके सिंह ने बताया कि यहां के हालातों पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
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