526 करोड़ रुपये एड में उड़ा दिए, अब बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना प्रचार करने से अधिक ध्यान दिल्ली के विकास कामों पर देते तो आज केजरीवाल को बिजली कंपनियों के लिए सड़कछाप भाषा का इस्तेमाल ना करना पड़ता। करीब 526 करोड़ रुपये केजरीवाल ने एक साल में अपने प्रचार पर उड़ा दिया। इतने पैसों से दिल्ली में एक बड़ा सोलर प्लांट लगाया जा सकता था जिससे केवल 2 वर्षों में दिल्ली में बिजली की पूरी किल्लत ख़त्म हो जाती मगर अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि दिल्ली सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया और आज दिल्ली वालों को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
देश में जहाँ जहाँ भी बीजेपी की सरकारें आती हैं, सबसे पहला ध्यान बिजली की समस्या पर दिया जाता है, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा, बीजेपी सरकारों ने आते ही सबसे पहला काम बिजली की समस्या पर दिया और चार पांच महीनों में सोलर प्लांट लगा दिए, गुजरात और मध्य प्रदेश में 10-15 वर्षों से बीजेपी सरकारें हैं और आज वहां पर 24 घंटे बिजली मिल रही है। हरियाणा में बीजेपी सरकार बने करीब डेढ़ साल हो गया है और गुडगाँव में बड़े सोलर प्लांट की नींव रख दी गयी है, अगले 2-3 वर्षों में हरियाणा को भी 24 घंटे बिजली मिलने लगेगी।
केजरीवाल को भी दिल्ली का मुख्यमंत्री बने एक साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन उनके पास विकास के लिए सोचने का वक्त नहीं है, उनका ध्यान सिर्फ मोहल्ला क्लिनिक बनाने पर है जिसकी दिल्ली में कोई जरूरत ही नहीं है, दिल्ली में सबसे अधिक सरकारी अस्पताल, प्राइवेट अस्पताल, डिस्पेंसरी, प्राइमरी हेल्थ सेण्टर और अन्य अस्पताल हैं। ऐसे में एक मोहल्ला क्लिनिक खोलकर करोड़ों रुपये उसके प्रचार में खर्च करना दिल्ली वालों की समझ से परे है।
अगर केजरीवाल सत्ता में आने के बाद एक बड़ा सोलर पॉवर प्लांट लगा देते तो 2-3 वर्षों में दिल्ली में बिजली की समस्या ख़त्म हो जाती, इसके अलावा बिजली कंपनियों में कम्पटीशन पैदा हो जाता जिसके बाद उन्हें अपने आप कम कीमत में बिजली देनी पड़ती। लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि केजरीवाल का इन सब कामों में मन नहीं लगता, उनका ध्यान सिर्फ मोदी, मोदी की डिग्री और मोदी से पंगे लेने में लगता है ताकि वह मीडिया में बने रहें। दिल्ली वालों से ऐसा मुख्यमंत्री पहली बार देखा है जो दिल्ली में ओड-ईवन नियम का प्रचार पूरे देश में करता है और करोड़ों रुपये प्रचार में सिर्फ इसलिए फूंक देता है ताकि उसका और उसकी पार्टी का पूरे देश में प्रचार हो जाए।
देश में जहाँ जहाँ भी बीजेपी की सरकारें आती हैं, सबसे पहला ध्यान बिजली की समस्या पर दिया जाता है, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा, बीजेपी सरकारों ने आते ही सबसे पहला काम बिजली की समस्या पर दिया और चार पांच महीनों में सोलर प्लांट लगा दिए, गुजरात और मध्य प्रदेश में 10-15 वर्षों से बीजेपी सरकारें हैं और आज वहां पर 24 घंटे बिजली मिल रही है। हरियाणा में बीजेपी सरकार बने करीब डेढ़ साल हो गया है और गुडगाँव में बड़े सोलर प्लांट की नींव रख दी गयी है, अगले 2-3 वर्षों में हरियाणा को भी 24 घंटे बिजली मिलने लगेगी।
केजरीवाल को भी दिल्ली का मुख्यमंत्री बने एक साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन उनके पास विकास के लिए सोचने का वक्त नहीं है, उनका ध्यान सिर्फ मोहल्ला क्लिनिक बनाने पर है जिसकी दिल्ली में कोई जरूरत ही नहीं है, दिल्ली में सबसे अधिक सरकारी अस्पताल, प्राइवेट अस्पताल, डिस्पेंसरी, प्राइमरी हेल्थ सेण्टर और अन्य अस्पताल हैं। ऐसे में एक मोहल्ला क्लिनिक खोलकर करोड़ों रुपये उसके प्रचार में खर्च करना दिल्ली वालों की समझ से परे है।
अगर केजरीवाल सत्ता में आने के बाद एक बड़ा सोलर पॉवर प्लांट लगा देते तो 2-3 वर्षों में दिल्ली में बिजली की समस्या ख़त्म हो जाती, इसके अलावा बिजली कंपनियों में कम्पटीशन पैदा हो जाता जिसके बाद उन्हें अपने आप कम कीमत में बिजली देनी पड़ती। लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि केजरीवाल का इन सब कामों में मन नहीं लगता, उनका ध्यान सिर्फ मोदी, मोदी की डिग्री और मोदी से पंगे लेने में लगता है ताकि वह मीडिया में बने रहें। दिल्ली वालों से ऐसा मुख्यमंत्री पहली बार देखा है जो दिल्ली में ओड-ईवन नियम का प्रचार पूरे देश में करता है और करोड़ों रुपये प्रचार में सिर्फ इसलिए फूंक देता है ताकि उसका और उसकी पार्टी का पूरे देश में प्रचार हो जाए।
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