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मोदी ने 'वो' कर दिया , जो अटल-मनमोहन नहीं कर सके







समझौते के बाद हुए मोदी-रोहानी की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने कहा कि चाबहार पोर्ट के लिए 500 मिलियन डॉलर के निवेश का समझौता हुआ है। साथ ही मोदी ने कहा कि आज हुए समझौते से ईरान-भारत की कूटनीतिक साझेदारी का एक नया अध्याय शुरू हुआ है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान की शुरुआत में यहां जोरदार स्वागत के लिए ईरान को धन्यवाद दिया। मोदी ने कहा कि ईरान और भारत की दोस्ती काफी पुरानी है। दोनों देशों ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर उभरती समस्याओं को सुलझाने पर चर्चा की। मोदी ने कहा कि 'भारत हमेशा ईरान के साथ मुश्किल की घड़ी में खड़ा रहा है। भारत ईरान की सुख-दुख के साथी हैं। पीएम मोदी ने इस दौरान ईरान के राष्ट्रपति के विजन की भी तारीफ की।

राष्ट्रपति रोहानी ने कहा कि वह टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे पर उनकी काफी बातचीत हुई है। दोनों देशों के बीच एकेडमिक और तकनीकी स्तर पर सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है। आर्थिक रिश्तों में सुधार लाने पर भी बातचीत हुई।

दो दिवसीय ईरान दौरे पर गये प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता में कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, ‘चाबहार के रणनीतिक बंदरगाह के निर्माण और परिचालन संबंधी वाणिज्यिक अनुबंध पर समझौते से भारत को ईरान में अपने पैर जमाने और पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान, रूस और यूरोप तक सीधी पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।’
उन्होंने कहा, ‘कांडला एवं चाबहार बंदरगाह के बीच दूरी, नयी दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी से भी कम है। इसलिए इस समझौते से हमे वस्तुएं ईरान तक तेजी से पहुंचाने और फिर नये रेल एवं सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान तक ले जाने में मदद मिलेगी।

गडकरी ने कहा, ‘चाहबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि, ईरान के पास सस्ती प्राकृतिक गैस और बिजली है और भारतीय कंपनियां 50 लाख टन का एल्युमीनियम स्मेल्टर संयंत्र और यूरिया विनिर्माण ईकाइयां स्थापित करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, ‘हम यूरिया सब्सिडी पर 45,000 करोड़ रपए सालाना खर्च करते हैं और यदि हम इसका विनिर्माण चाबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में करते हैं और कांडला बंदरगाह ले जाते हैं और वहां से भीतरी इलाकों में तो उतनी ही राशि की बचत होगी।’
गडकरी ने कहा कि नाल्को एल्युमीनियम स्मेल्टर स्थापित करेगी जबकि निजी एवं सहकारी उर्वरक कंपनियों यूरिया संयंत्र बनाने की इच्छुक हैं, बशर्ते उन्हें दो डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से कम की दर पर गैस मिले।

उन्होंने कहा कि रेलवे का पीएसयू इरकॉन चाबहार में एक रेल लाइन का निर्माण करेगा, ताकि अफगानिस्तान तक सीधे सामान पहुंचाया जा सके। गडकरी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट की संयुक्त उद्यम इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड यहां 640 मीटर लंबी दो कंटेनर गोदी और तीन बहु मालवाहक गोदी के निर्माण पर 8.5 करोड़ डालर का निवेश करेगी।

उन्होंने कहा कि, ‘यह अनुबंध 10 साल के लिए है और इसका विस्तार किया जा सकता है। हमे पहले चरण का निर्माण पूरा करने में 18 महीने का समय लगेगा।’ अनुबंध के पहले दो साल की अवधि छूट अवधि है, जिसमें भारत को किसी कार्गो के लिए गारंटी नहीं देनी है। तीसरे साल से भारत चाबहार बंदरगाह पर 30,000 टीइयू कार्गो की गारंटी देगा, जो 10वें साल में बढ़कर 2,50,000 टीईयू तक पहुंच जाएगा।

2003 से रुका था समझौता
गडकरी ने कहा कि, ‘अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में 2003 में चाबहार बंदरगाह बनाने के लिए आरंभिक समझौता किया गया था, लेकिन यह सौदा बाद के वर्षों में आगे नहीं बढ़ सका। पिछले एक साल में इसे तेजी से आगे बढ़ाया गया है, जिसकी वजह से आज पहले चरण के लिए समझौता हुआ।’ उन्होंने कहा कि, ‘यह ऐतिहासिक मौका है, जो विकास का एक नया दौर शुरू करेगा। हम अब बिना पाकिस्तान गये अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप जा सकेंगे।’

गडकरी ने कहा कि भारत द्वारा 2009 में निर्मित जारंज-देलारम सड़क अफगानिस्तान के राजमार्ग तक पहुंच प्रदान कर सकता है, जो अफगानिस्तान के चार प्रमुख शहरों - हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक पहुंच प्रदान करेगा।

ऐसी खबर है कि भारत, अफगानिस्तान के भीतर एक और सड़क नेटवर्क के निर्माण के लिए वित्तपोषण करेगा। जिससे ईरान को अपेक्षाकृत छोटे मार्ग के जरिए ताजिकिस्तान तक जुड़ने में मदद मिलेगी।

ग्वादार बंदरगाह से लगभग 100 किलोमीटर दूर है चाबहार
चाबहार पाकिस्तान में चीन द्वारा परिचालित ग्वादार बंदरगाह से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। जो चीन की 46 अरब डॉलर के निवेश से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा विकसित करने की योजना का अंग है और इसका उद्देश्य एशिया में नए व्यापार और परिवहन मार्ग खोलना है।

भारतीय संयुक्त उद्यम कंपनियां बंदरगाह में 8.52 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश करेंगी। भारत का एक्जिम बैंक और 15 करोड़ डालर की ऋण सुविधा प्रदान करेगा। गडकरी ने यह भी कहा कि भारत चाबहार और जहेदान के बीच 500 किलोमीटर का रेलमार्ग बनाये, जो चाबहार को मध्य एशिया से जोड़ेगा।

भारत के लिए काफी फायदेमंद है चाबहार
ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलुचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक तौर पर उपयोगी है। यह फारस की खाड़ी के बाहर है और भारत के पश्चिम तट पर स्थित है और भारत के पश्चित तट से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

चाबहार परियोजना, भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बंदरगाह के लिए पहला विदेशी उद्यम होगा। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट भारत का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह है।


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