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उत्तर प्रदेश

अखिलेश सरकार को बदनाम करने वाले इस मैसेज का सच जानिए

सोशल मीडिया पर एक मैसेज़ वायरल हो रहा है. इस मैसेज़ में दावा किया जा रहा है कि यूपी सरकार ने शिक्षकों से लेकर पुलिस तक और ग्राम विकास अधिकारी से लेकर पीसीएस तक की भर्तियों पर रोक लगा रखी है. क्या वाकई यूपी में नौकरी पर रोक है?

यूपी में तमाम पदों पर नौकरी की स्थिति बताने वाले वायरल इस मैसेज में करीब 23 ऐसे पद और विभागों का जिक्र किया गया है जहां भर्ती पर यूपी सरकार ने रोक लगा रखी है.

हम बारी-बारी आपको इस मैसेज के तमाम दावे और फिर उन दावों का सच बताएंगे. सबसे पहले बात करते हैं शिक्षकों की भर्ती वाले दावे की.

मैसेज में लिखा है कि 72 हजार 825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती पर रोक है. 29 हजार 333 जूनियर शिक्षकों की भर्ती पर रोक है. टीजीटी और पीजीटी समेत एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती पर भी रोक है.

एबीपी न्यूज ने जब इस दावे की पड़ताल की तो सामने आया कि यूपी में प्राथमिक स्कूलों में राज्य सरकार ने करीब एक लाख 75 हजार शिक्षा मित्रों की भर्ती सहायक टीचर के तौर पर की है.

इसके साथ ही प्राइमरी या जूनियर टीचर्स की भर्ती पर भी कोई रोक नहीं लगाईं गई है. ये मामला पहले पहले हाईकोर्ट में था, लेकिन अब इसका निपटारा हो चुका है. जहां तक रही टीजीटी, पीजीटी या एलटी टीचर्स की भर्ती की बात, तो उसपर सरकार ने कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया है. वायरल मैसेज का पहला दावा झूठा साबित हुआ है.

अब बात दारोगा की भर्ती पर, दावा किया जा रहा है कि दारोगा की भर्ती पर रोक है लेकिन हमारी पड़ताल में पता चला कि अखिलेश यादव के कार्यकाल में कुल 34 हजार 716 दरोगाओं की भर्ती की जा चुकी है.

पिछले साल 40 हज़ार सिपाहियों की भर्ती की गई है और सरकार की योजना के अनुसार इस साल के अंत तक करीब 15 हज़ार और सिपाहियों की भर्ती की जाएगी. पड़ताल में ये दावा भी झूठा साबित हुआ है

अगला दावा ये है कि यूपी सरकार ने ग्राम पंचायत और ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती समेत उर्दू शिक्षकों और लेखपालों की भर्ती पर भी रोक लगा रखी है. एबीपी न्यूज की पड़ताल बताती है कि राज्य सरकार ने 4280 लोगों को ऊर्दू टीचरों के पद पर नौकरी दी है जबकि पिछले साल यूपी सरकार ने 14 हजार लेखपालों की भर्ती की है. यानि ये दावा भी झूठा है.

यूपी में भर्ती वाले वायरल मैसेज के साथ ही यश भारती सम्मान को लेकर भी एक मैसेज वायरल किया जा रहा है इस मैसेज में दावा है कि यूपी सरकार ने 2015-16 के लिए 20 लोगों को यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया उनमें 15 यादव और 5 मुस्लिम हैं.

जबकि सच्चाई ये है कि 2015 के यश भारती सम्मान से कुल 53 लोगों को सम्मानित किया गया है, जिसमे कुल 13 लोग हैं, जो यादव जाति के हैं.

2017 में यूपी में विधानसभा चुनाव हैं और ऐसे में इस तरह के मैसेज का सच जनता का पहुंचना जरूरी हो जाता है. हमारी पड़ताल में वायरल हो रहे दोनों मैसेज झूठे साबित हुएं हैं.

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