हाईकोर्ट के फैसले से मिली अनीता यादव को राहत, बहाल हुई नौकरी
अदालत का मानना है कि ऐसे मामलों में कोई दूसरी छोटी सजा दी जा सकती है। जस्टिस एम. सी. त्रिपाठी की बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत एक पति या पत्नी के रहते की गई दूसरी शादी शून्य मानी जाती है, इसीलिये गर्वनमेंट सर्वेन्ट कन्डक्ट रूल्स 1956 की धारा 29 (2) के तहत दूसरी शादी के मामले में नौकरी से बर्खास्त किए जाने का कोई नियम ही नहीं है।
अदालत ने पहले से शादीशुदा सिपाही से शादी कर उसकी दूसरी पत्नी बनने की वजह से नौकरी से बर्खास्त की गई कानपुर की रहने वाली यूपी पुलिस की महिला सिपाही अनीता यादव के बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया और उसे फ़ौरन बहाल किये जाने का फैसला सुनाया है।
कानपुर की महिला सिपाही अनीता यादव यूपी पुलिस में 15 मार्च 1994 को भर्ती हुई थी। नौकरी के साल भर बाद ही उन्होंने यूपी पुलिस के ही सिपाही बृजेश कुमार यादव से शादी कर ली थी। बृजेश पहले से शादीशुदा था और उसके चार बच्चे थे।
अनीता और बृजेश के खिलाफ विभाग में शिकायत की गई। बरसों चली जांच के बाद दूसरी शादी करने वाले अनीता के पति को सिर्फ उसकी सर्विस बुक में प्रतिकूल प्रविष्टि देकर छोड़ दिया गया, जबकि अनीता को शादीशुदा से शादी करने के मामले में 20 जून 2014 को बर्खास्त कर दिया गया। एसपी द्वारा जारी किये बर्खास्तगी आदेश को डीआईजी और आईजी के यहां चुनौती दी गई, लेकिन अनीता को कहीं से भी राहत नहीं मिल सकी।
अनीता ने बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि दूसरी शादी करने को गर्वनमेंट सर्वेन्ट कन्डक्ट रूल्स 1956 में दुराचरण तो बताया गया है, लेकिन उसमे बर्खास्तगी का कोई नियम नहीं है। ऐसे में संबधित विभाग कोई छोटी कार्रवाई तो कर सकता है, लेकिन नौकरी से बर्खास्त नहीं कर सकता।
अदालत ने महिला सिपाही अनीता यादव की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया है कि दूसरी शादी करने या फिर शादीशुदा से शादी करने के मामलों में इतनी कड़ी सजा देना गलत है।
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