मोदी और नीतीश से मुकाबले को मुलायम सिंह ने , खेला अमर और बेनी कार्ड
अमर सिंह की सक्रिय राजनीति में फिर से वापसी हो गई। समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्य सभा के लिए उम्मीदवार बनाया है। सपा नेता शिवपाल यादव ने मंगलवार को उनकी उम्मीदवारी का एलान किया। जिस समय एलान हुआ उस समय अमर सिंह उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ में थे। उन्होंने बताया, ”मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि मैं मुलायमवादी हूं। मैं समाजवादी नहीं हूं। मुझे राज्य सभा सीट देना मुलायमजी का मेरे प्रति स्नेह दिखाता है। मैं दिल से इस बात से प्रभावित हूं।” अगर अमर सिंह राज्य सभा पहुंच जाते हैं तो यह उनका वहां पर चौथा कार्यकाल होगा। अमर सिंह को लंबे समय तक मुलायम सिंह यादव की छाया माना जाता था। लेकिन अखिलेश यादव, शिवपाल, राम गोपाल यादव और आजम खान के उभरने के बाद उनका कद कम होता गया। 2010 में उन्हें सपा से छह साल के लिए निकाल दिया गया था। इसके बाद उन्होंने ठाकुर वोटों को अपने पाले में करने के लिए नई पार्टी बनाई लेकिन बुरी हार झेलनी पड़ी।
सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से अमर सिंह ने राम गोपाल यादव का भरोसा जीतने के लिए खूब मेहनत की। दोनों के बीच अब सुलह हो चुकी है। राम गोपाल राज्य सभा में सपा सांसदों के नेता हैं। अमर सिंह की वापसी अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों से भी जुड़ी हुई है। सपा ने तीन ठाकुर नेताओं अमर सिंह, रेवतीरमण सिंह और अरविंद प्रताप सिंह को संसद के ऊपरी सदन के लिए उम्मीदवार बनाया है। इस कदम को भाजपा के ठाकुर मतों को अपने पक्ष में करने के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
वहीं बेनी प्रसाद वर्मा को नीतीश कुमार का जवाब माना जा रहा है। बेनी और नीतीश दोनों कुर्मी हैं। बेनी प्रसाद वर्मा का बाराबंकी और उसके पास काफी प्रभाव है। नीतीश कुमार भी इस बार उत्तर प्रदेश में भाग्य आजमाने जा रहे हैं। एक अन्य उम्मीदवार विशंभर प्रसाद निषाद के जरिए सपा मल्लाह समाज को साधना चाहती है। भाजपा भी इस समाज पर काफी ध्यान दे रही है। सपा की राज्य सभा सूची में एक भी ब्राह्मण, मुस्लिम या दलित नेता नहीं है। यह भी बताया जा रहा है कि अमर सिंह काेे राज्य सभा भेजने के प्रस्ताव से आजम खान सहमत नहीं थे।
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