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उत्तर प्रदेश

आजम बोले, मैं सहमत नहीं पर पार्टी आपकी, जानिए अमर ने क्या बोला था ............

लखनऊ : हुआ वही जिसकी उम्मीद अरसे से की जा रही थी। अमर सिंह को समाजवादी पार्टी में प्रवेश मिला और उधर आजम खां व प्रो रामगोपाल यादव ने नाराजगी जता दी। आजम खां यह कहने से नहीं चूके कि आखिर तो पार्टी मुलायम सिंह की ही है। आजम और रामगोपाल ने संसदीय बोर्ड की बैठक बीच में ही छोड़ दी। राज्यसभा के लिए जारी सपा की लिस्ट में उन बिल्डर संजय सेठ का भी नाम है जिन्हें कई कोशिशों के बाद भी पार्टी एमएलसी नामित नहीं करवा सकी थी।

एमएलसी के लिए चंद ही महीनों पहले संजय सेठ का नाम सरकार ने दो बार राज्यपाल को भेजा पर उन्होंने हर बार आयकर और प्रवर्तन निदेशालय की जांच का हवाला देकर संजय का नाम रोक दिया। वही संजय जो एमएलसी न बन सके, अब राज्यसभा सांसद बनने की राह पर हैं। अलबत्ता बेनी वर्मा को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाने के पीछे कुर्मी वोटों को सपा के पाले में करने की रणनीति है। माना जा रहा है बेनी राज्यसभा की शर्त पर ही पिछले सप्ताह ‘हाथ’ का साथ छोड़ ‘साइकिल’ पर सवार हुए।

अब सुनिये अमर सिंह का हाल।

दो फरवरी 2010 को पार्टी से बाहर हुए अमर सिंह अक्टूबर 2014 में समाजवादी पार्टी के मंच पर नजर आये। फिर तो वह अक्सर ही सपा नेतृत्व के घर भी दिखने लगे, मगर दल में उन्हें शामिल करने की चर्चा होते ही प्रो. राम गोपाल यादव व मंत्री मो. आजम खां का विरोध सामने होता। 29 जनवरी को इटावा में मुलायम सिंह ने यह कह कर कि अमर सिंह दल में नहीं हैं, मगर मेरे दिल में हैं,’ उनकी वापसी की राह आसान बनाने का प्रयास किया मगर विरोध थमा नहीं।

शिवपाल यादव ने ‘दिल डिप्लोमेसी’ का रंग गाढ़ा करने का प्रयास किया मगर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खामोशी ओढ़ ली जिससे अमर की वापसी पर सवालिया निशान लगा रहा। मंगलवार को संसदीय बोर्ड की बैठक में अमर के नाम का प्रस्ताव आते ही आजम ने विरोध जाहिर किया। मुलायम से मुखातिब होकर उन्होंने कहा ‘मुङो इस नाम पर एतराज है, मगर पार्टी आपकी है।’ प्रो. रामगोपाल यादव भी आजम के पक्ष में आ गए। मतभेद बढ़ा तो आजम व राम गोपाल बैठक छोड़कर बाहर निकल गए। रामगोपाल ने फौरन दिल्ली की फ्लाइट पकड़ ली और आजम रामपुर जाकर बैठ गए।

कुछ देर बाद आयी राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची में अमर के साथ बिल्डर संजय सेठ का नाम भी नजर आया।

राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची के साथ एमएलसी उम्मीदवार बनाये गये रणविजय सिंह, कमलेश पाठक को नामित कोटे का एमएलसी बनने के सरकार के प्रस्ताव को भी राजभवन ‘ना’ कह चुका था। सुखराम सिंह यादव व विशंभर निषाद की उम्मीदवारी के पीछे भी सियासी समीकरणों से ज्यादा मुलायम सिंह और उनके पुराने संबंध हैं।

किसी महिला को नहीं मिला टिकट

राज्यसभा व विधान परिषद के प्रत्याशियों के चयन में महिलाओं को स्थान नहीं मिला है। एक ब्राहमण  व एक शिया मुसलमान को भी उम्मीदवार बनाया गया है, मगर बड़ी आबादी वाले सुन्नी मुसलमानों टिकट हासिल करने में कामयाबी नहीं पा सके। सूची पर सपा मुखिया मुलायम सिंह की पंसद की छाप नजर आ रही है। चुनावी साल में विधान परिषद व राज्यसभा के चुनाव में जातीय समीकरण साधे जाने की उम्मीद थी, इसी पैमाने को आधार बनाकर पार्टी के अल्पसंख्यक, ब्राrाण और महिलाएं टिकट की दावेदारी कर रहे थे, मगर सूची में किसी भी महिला को स्थान नहीं मिला। हालांकि पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के माने जाने वाली निषाद बिरादरी एक-एक नेता को राज्यसभा व विधान परिषद का प्रत्याशी बनाया है। क्षत्रिय समाज को भी पार्टी ने पूरी हिस्सेदारी दी है

संजय सेठ पर पड़े थे आयकर छापे

पिछले वर्ष जून में देश भर में संजय सेठ के 15 से अधिक ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे थे। उस समय सेठ ने लगभग सौ करोड़ रुपये की कर चोरी तो स्वीकार ही कर ली थी, छापे के दौरान एक पार्टनर के घर में डेढ़ करोड़ रुपये नकद भी मिले थे। मई 2015 में विधान परिषद में मनोनीत करने से इनकार के पहले राजभवन ने आयकर विभाग से बाकायदा इस बाबत जानकारी भी मांगी थी। राजभवन ने भले ही संजय सेठ को विधान परिषद नहीं भेजा, किन्तु मंगलवार को जारी हुई सपा की राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची में सेठ का नाम शामिल था। चर्चा रही कि सपा ने एक तरह से सेठ का प्रमोशन ही कर दिया है।

रामपुर : रात को लखनऊ से रामपुर लौटे नगर विकास मंत्री आजम खां ने अमर सिंह को सपा से राज्यसभा प्रत्याशी बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की। कहा कि, यह दुखद प्रकरण है। जो हो रहा है, अच्छा नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि नेता जी का फैसला है। उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड ने अधिकृत किया था। वह पार्टी के मालिक हैं। उनके फैसले को चुनौती नहीं दे सकते हैं।


‘जहर खा लूंगा, मुलायम की सूरत नहीं देखूंगा’


पार्टी छोड़ने के सवा छह साल बाद सपा से राज्यसभा का टिकट पाए अमर सिंह ने इस दौरान सपा नेतृत्व को लेकर खासे गंभीर बयान दिये हैं। सपा अध्यक्ष को झूठा, जोकर व धृतराष्ट्र तक कहने वाले अमर सिंह ने यह एलान भी किया था कि वह जहर खा लेंगे, किंतु मुलायम की सूरत नहीं देखेंगे।1दो फरवरी 2010 को समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद अमर सिंह ने कई साल तक समूचे सपा नेतृत्व को जमकर कोसा था। 15 जनवरी 2011 को आगरा में उन्होंने एलान किया था कि वह मुलायम सिंह यादव की सूरत देखने से पहले पोटेशियम साइनाइड खाकर जान दे देंगे। वह बोले थे, ‘मैंने मुलायम सिंह को अपनी दोनों किडनी सप्लाई कीं, बसपा विधायक सप्लाई किए, इसलिए मैं सप्लायर हूं’। इसके बाद भी उन्होंने बार-बार मुलायम को कोसा। कभी सार्वजनिक बयान देकर, कभी ब्लॉग में लिखकर उन्होंने चुभने वाली बातें कहीं। ब्लाग में उन्होंने लिखा, ‘मुलायम अब आप अपनी अच्छी-बुरी राजनीति के अकेले दर्जी और कूड़ेदान खुद हैं। आपको अपनी भूमिका मुबारक और मेरे राजनीतिक निर्वाण के लिए शुक्रिया।’ एक बार तो खुद एकलव्य बताकर लिखा, ‘मैं मुलायम के लिए एकलव्य बनकर संतुष्ट हूं, पर एकलव्य की तरह अपना अंगूठा उन्हें नहीं दूंगा।
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