बुंदेलखंड में कर्ज ने एक और किसान की ली जान
सूखे से तबाह और बर्बाद हुए बुंदेलखंड में लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. या तो लोग अपना गांव-घर छोड़कर बाहर मेहनत-मजदूरी की आश में पलायन कर रहे हैं या फिर बदहाली और आर्थिक तंगी से परेशान होकर मौत को गले लगा रहे हैं.
हालांकि सरकार चाहे कितने भी दावे कर रही हो लेकिन लोगों में बांटी जाने वाली सूखा राहत सामग्री भी ज़्यादातर गरीबों को नसीब नही हो पा रही है.
किसान की आत्महत्या के बाद से परिवार में कोहराम मचा हुआ है. मृतक के मां-बाप की मौत पहले ही चुके थे. इस दुनिया में एक बहन और भाई थे. दोनों ही भाई भूमिहीन थे. बड़े भाई देवकी नन्दन ने कुछ ज़मीन बटाई पर लेकर फसल बोई थी लेकिन सूखा पड़ जाने की वजह से खेत में कुछ पैदा नहीं हुआ और जो थोड़ी बहुत पूँजी थी वह भी बीज और पानी में जाती रही. थक हार कर देवकी नन्दन ड्राइवरी करने लगा और किसी तरह अपना और अपने भाई के लिए दो जून कि रोटी का इंतजाम करने लगा.
लेकिन खर्चे पूरे न हो पाने की वजह से वह परेशान रहता था और उसी परेशानी से तंग आकार शनिवार को उसने फांसी लगा कर जान दे दी.
देवकी नन्दन हमीरपुर जिले के बिदोखर गांव का रहने वाला था. गांव के लोग यह तो जानते थे की इनके हालात ठीक नहीं हैं, लेकिन आज फांसी लगा लेने की खबर से सब सकते में हैं. बचपन से ही गरीबी की चादर ओढ़ कर जिन्दगी जीने वाले देवकी नन्दन ने हमेशा से ही अपनी बहन और भाई के लिए रोटी को लेकर संघर्ष किया था
बहन के हाथ तो जैसे तैसे उसने पीले कर दिए लेकीन अब जिन्दगी के संघर्ष से टूट चुका था. तंगहाली से टूटे देवकी नन्दन का संघर्ष मौत के साथ भी कम नही हुआ. पुलिस को सूचना देने के बाद भी उसकी लाश कई घंटो कमरे में टंगी रही लेकीन पुलिस के पास शायद इस गरीब के लिए समय ही नही था कि वो इसको मौत के बाद संधर्ष से जल्दी आराम दे दे.
यह कोई पहला मामला नही है जिसमे किसी ने तंगहाली से परेशान हो कर मौत का रास्ता चुना हो लेकीन देवकी नन्दन की मौत सूबे के मुखिया अखिलेश के उन तमाम दावों की पोल जरुर खोलती है जिसमे वो किसी भी आदमी की बुन्देलखण्ड भुखमरी और तंगहाली से मौत नही होने का दावा करते है.
हालांकि सरकार चाहे कितने भी दावे कर रही हो लेकिन लोगों में बांटी जाने वाली सूखा राहत सामग्री भी ज़्यादातर गरीबों को नसीब नही हो पा रही है.
किसान की आत्महत्या के बाद से परिवार में कोहराम मचा हुआ है. मृतक के मां-बाप की मौत पहले ही चुके थे. इस दुनिया में एक बहन और भाई थे. दोनों ही भाई भूमिहीन थे. बड़े भाई देवकी नन्दन ने कुछ ज़मीन बटाई पर लेकर फसल बोई थी लेकिन सूखा पड़ जाने की वजह से खेत में कुछ पैदा नहीं हुआ और जो थोड़ी बहुत पूँजी थी वह भी बीज और पानी में जाती रही. थक हार कर देवकी नन्दन ड्राइवरी करने लगा और किसी तरह अपना और अपने भाई के लिए दो जून कि रोटी का इंतजाम करने लगा.
लेकिन खर्चे पूरे न हो पाने की वजह से वह परेशान रहता था और उसी परेशानी से तंग आकार शनिवार को उसने फांसी लगा कर जान दे दी.
देवकी नन्दन हमीरपुर जिले के बिदोखर गांव का रहने वाला था. गांव के लोग यह तो जानते थे की इनके हालात ठीक नहीं हैं, लेकिन आज फांसी लगा लेने की खबर से सब सकते में हैं. बचपन से ही गरीबी की चादर ओढ़ कर जिन्दगी जीने वाले देवकी नन्दन ने हमेशा से ही अपनी बहन और भाई के लिए रोटी को लेकर संघर्ष किया था
बहन के हाथ तो जैसे तैसे उसने पीले कर दिए लेकीन अब जिन्दगी के संघर्ष से टूट चुका था. तंगहाली से टूटे देवकी नन्दन का संघर्ष मौत के साथ भी कम नही हुआ. पुलिस को सूचना देने के बाद भी उसकी लाश कई घंटो कमरे में टंगी रही लेकीन पुलिस के पास शायद इस गरीब के लिए समय ही नही था कि वो इसको मौत के बाद संधर्ष से जल्दी आराम दे दे.
यह कोई पहला मामला नही है जिसमे किसी ने तंगहाली से परेशान हो कर मौत का रास्ता चुना हो लेकीन देवकी नन्दन की मौत सूबे के मुखिया अखिलेश के उन तमाम दावों की पोल जरुर खोलती है जिसमे वो किसी भी आदमी की बुन्देलखण्ड भुखमरी और तंगहाली से मौत नही होने का दावा करते है.
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