4 करोड़ लीटर पानी बचायेंगे यूपी की जेलों के कैदी
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की जेलों में एक नायाब कोशिश शुरू होने जा रही है. प्रदेश की जेलों में सज़ा काट रहे कैदियों के ज़रिये यह नायाब काम कराया जाएगा. जेलों के कैदी अब जल संरक्षण और पक्षी रक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे. उत्तर प्रदेश की जेलों में इस समय 92 हज़ार क़ैदी निरुद्ध हैं.
प्रदेश के कारागार मंत्री बलवन्त सिंह रामूवालिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश की जेलों से ऐसा सकारात्मक सन्देश निकलेगा जो पूरे देश के लिए प्रेरणा का सबब बनेगा. उन्होंने बताया कि राज्य की जेलों में बंद 92 हज़ार कैदी अब देश को पर्यावरण का सन्देश देंगे.
श्री रामूवालिया ने बताया कि राज्य की जेलों में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सोच को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने बताया कि जेलों में बंद हर कैदी को यह प्रेरणा दी जायेगी कि वह प्रतिदिन कम से कम एक लीटर पानी रोज़ बचाएं. इस प्रयास से जेलों में 92 हज़ार लीटर पानी रोज़ कैदी बचायेंगे. जेलकर्मी इस प्रयास में शामिल हो गए तो रोजाना एक लाख 12 हज़ार लीटर पानी बचेगा. पानी बचाने के लिए जेल की हर बैरक में एक जल रक्षक बनाया जाएगा. इस जल रक्षक को कैदियों को जल संरक्षण की तकनीक बताने की ट्रेनिंग दी जायेगी.
उन्होंने बताया की कैदियों को गौरैया के संरक्षण की सीख भी दी जायेगी. जल रक्षक की तरह हर बैरक में पक्षी रक्षक भी होंगे. यह कैदियों को बताएँगे कि छोटी सी चिड़िया गौरैया देखरेख के अभाव में लुप्त होती जा रही है. इसका ध्यान रखा जाए तो आँगन में होने वाली चहचाहट फिर सुनाई दे सकती है.
कारागार मंत्री ने बताया कि जेलों में पानी के लिए ट्यूबवेल, समरसेबिल और इण्डिया मार्का-2 हैण्डपम्प का इस्तेमाल किया जाता है. कैदियों के अलावा जेलकर्मी और उनके परिवार इस पानी का इस्तेमाल किया जाता है. प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 60 लीटर पानी का इस्तेमाल करता है. इस पानी को नालियों के माध्यम से खेतों में पहुँचाया जाता है ताकि इस्तेमाल किया गया पानी सिंचाई के काम आ जाए.
उन्होंने बताया कि बुन्देलखंड क्षेत्र को छोड़कर उत्तर प्रदेश के एक लाख 12 हज़ार कैदियों और जेलकर्मियों द्वारा प्रतिदिन 56 लाख लीटर पानी का उपयोग किया जाता है. कैदी और जेलकर्मी अगर एक लीटर पानी रोज़ बचाए तो रोजाना एक लाख 12 हज़ार लीटर पानी की बचत हो जायेगी.
कारागार मंत्री ने बताया कि कैदियों और जेलकर्मियों के ज़रिये पानी की बचत और संरक्षण के अलावा जल संवर्धन के स्रोत भी विकसित किये जायेंगे. जेलों की कच्ची ज़मीन पर छोटे-छोटे तालाब विकसित किये जायेंगे. इसमें वर्षा का जल जमकर जल स्तर में वृद्धि की जायेगी. उन्होंने बताया कि अब निर्माणाधीन कारागारों की छतों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा ताकि वर्षा जल का संचयन किया जा सके.
प्रदेश के कारागार मंत्री बलवन्त सिंह रामूवालिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश की जेलों से ऐसा सकारात्मक सन्देश निकलेगा जो पूरे देश के लिए प्रेरणा का सबब बनेगा. उन्होंने बताया कि राज्य की जेलों में बंद 92 हज़ार कैदी अब देश को पर्यावरण का सन्देश देंगे.
श्री रामूवालिया ने बताया कि राज्य की जेलों में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सोच को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने बताया कि जेलों में बंद हर कैदी को यह प्रेरणा दी जायेगी कि वह प्रतिदिन कम से कम एक लीटर पानी रोज़ बचाएं. इस प्रयास से जेलों में 92 हज़ार लीटर पानी रोज़ कैदी बचायेंगे. जेलकर्मी इस प्रयास में शामिल हो गए तो रोजाना एक लाख 12 हज़ार लीटर पानी बचेगा. पानी बचाने के लिए जेल की हर बैरक में एक जल रक्षक बनाया जाएगा. इस जल रक्षक को कैदियों को जल संरक्षण की तकनीक बताने की ट्रेनिंग दी जायेगी.
उन्होंने बताया की कैदियों को गौरैया के संरक्षण की सीख भी दी जायेगी. जल रक्षक की तरह हर बैरक में पक्षी रक्षक भी होंगे. यह कैदियों को बताएँगे कि छोटी सी चिड़िया गौरैया देखरेख के अभाव में लुप्त होती जा रही है. इसका ध्यान रखा जाए तो आँगन में होने वाली चहचाहट फिर सुनाई दे सकती है.
कारागार मंत्री ने बताया कि जेलों में पानी के लिए ट्यूबवेल, समरसेबिल और इण्डिया मार्का-2 हैण्डपम्प का इस्तेमाल किया जाता है. कैदियों के अलावा जेलकर्मी और उनके परिवार इस पानी का इस्तेमाल किया जाता है. प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 60 लीटर पानी का इस्तेमाल करता है. इस पानी को नालियों के माध्यम से खेतों में पहुँचाया जाता है ताकि इस्तेमाल किया गया पानी सिंचाई के काम आ जाए.
उन्होंने बताया कि बुन्देलखंड क्षेत्र को छोड़कर उत्तर प्रदेश के एक लाख 12 हज़ार कैदियों और जेलकर्मियों द्वारा प्रतिदिन 56 लाख लीटर पानी का उपयोग किया जाता है. कैदी और जेलकर्मी अगर एक लीटर पानी रोज़ बचाए तो रोजाना एक लाख 12 हज़ार लीटर पानी की बचत हो जायेगी.
कारागार मंत्री ने बताया कि कैदियों और जेलकर्मियों के ज़रिये पानी की बचत और संरक्षण के अलावा जल संवर्धन के स्रोत भी विकसित किये जायेंगे. जेलों की कच्ची ज़मीन पर छोटे-छोटे तालाब विकसित किये जायेंगे. इसमें वर्षा का जल जमकर जल स्तर में वृद्धि की जायेगी. उन्होंने बताया कि अब निर्माणाधीन कारागारों की छतों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा ताकि वर्षा जल का संचयन किया जा सके.
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