मालेगांव विस्फोट: साध्वी प्रज्ञा को क्लीचिट
2008 के मालेगांव विस्फोट में एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीनचिट दे दिया है. शुक्रवार को मुंबई कोर्ट में दाखिल होने वाली चार्जशीट में साध्वी का नाम नहीं है. अब माना जा रहा है कि पिछले 8 सालों से जेल में बंद साध्वी प्रज्ञा की रिहाई जल्दी ही हो जाएगी.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक आरोप पत्र में कह गया है कि इस मामले की पहले की गई जांच में कई गलतियां पाई गई हैं. साध्वी प्रज्ञा और इस मामले में दूसरे सह अभियुक्त कर्नल पुरोहित के खिलाफ जे भी सबूत पेश किए गए वह फर्जी थे. गवाहों को डराया धमकाया गया था.
खबर के मुताबिक एनआईए की चार्जशीट में एक चौंकाने वाली बात यह भी लिखी गई है कि कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार करने से पहले एटीएस ने उनके घर में विस्फोटक रखा था. मतलब साफ था कि कर्नल पुरोहित को फंसाने की साजिश रची गई थी.
अब एनआईए ने फैसला किया है कि इस मामले में कर्नल पुरोहित और दूसरे आरोपियों पर मकोका के तहत दर्ज किया गया मुकदमा हटा लिया जाएगा और इन सबके खिलाफ गैर-इरादतन के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. आपको बता दें कि 2008 में मालेगांव में विस्फोट में 4 लोगों की मौत हो गई थी और 79 घायल हो गए थे.
वकील ने लगाया था दबाव आरोप
इस मामले की सरकारी वकील रोहिनी सालिन ने जून 2015 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि एनआई की ओर से बहुत दबाव है कि इस मामले में आरोपियों पर नरमी बरती जाए. उसके बाद उनको केस से हटा दिया गया.
'कमजोर सूबतों' के चलते फैसला
इससे पहले महाराष्ट्र एटीएस ने मालेगांव में विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित सहित 14 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. सूत्रों के मुताबिक एबीवीपी के लिए काम कर चुकीं साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कमजोर सबूतों के चलते मकोका के तहत मामला खत्म करने का फैसला किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक आरोप पत्र में कह गया है कि इस मामले की पहले की गई जांच में कई गलतियां पाई गई हैं. साध्वी प्रज्ञा और इस मामले में दूसरे सह अभियुक्त कर्नल पुरोहित के खिलाफ जे भी सबूत पेश किए गए वह फर्जी थे. गवाहों को डराया धमकाया गया था.
खबर के मुताबिक एनआईए की चार्जशीट में एक चौंकाने वाली बात यह भी लिखी गई है कि कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार करने से पहले एटीएस ने उनके घर में विस्फोटक रखा था. मतलब साफ था कि कर्नल पुरोहित को फंसाने की साजिश रची गई थी.
अब एनआईए ने फैसला किया है कि इस मामले में कर्नल पुरोहित और दूसरे आरोपियों पर मकोका के तहत दर्ज किया गया मुकदमा हटा लिया जाएगा और इन सबके खिलाफ गैर-इरादतन के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. आपको बता दें कि 2008 में मालेगांव में विस्फोट में 4 लोगों की मौत हो गई थी और 79 घायल हो गए थे.
वकील ने लगाया था दबाव आरोप
इस मामले की सरकारी वकील रोहिनी सालिन ने जून 2015 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि एनआई की ओर से बहुत दबाव है कि इस मामले में आरोपियों पर नरमी बरती जाए. उसके बाद उनको केस से हटा दिया गया.
'कमजोर सूबतों' के चलते फैसला
इससे पहले महाराष्ट्र एटीएस ने मालेगांव में विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित सहित 14 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. सूत्रों के मुताबिक एबीवीपी के लिए काम कर चुकीं साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कमजोर सबूतों के चलते मकोका के तहत मामला खत्म करने का फैसला किया गया है.
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