यूपी के यह 5 बाहुबली नेता
हरिशंकर तिवारी गोरखपुर के रहने वाला हैं. राजनीति का अपराधीकरण गोरखपुर से शुरू हुआ था तो हरीशंकर तिवारी इसके सबसे बड़े अगुवा थे. एक जमाने में पूर्वांचल की राजनीति में तिवारी की तूती बोलती थी. रेलवे से लेकर पीडब्लूडी की ठेकेदारी में हरीशंकर का कब्जा था. उसके दम पर तिवारी ने एक बहुत बड़ी मिल्कियत खड़ी कर दी. उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि जेल में रहकर चुनाव जीतने वाले वह पहले नेता थे. उनको ब्राह्मणों का भी नेता माना जाता है. यह हरीशंकर तिवारी का ही दबदबा है कि उनके बेटे और रिश्तेदार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीतते आए हैं.
अमरमणि त्रिपाठी पूर्वी उत्तर प्रदेश से एक प्रभावशाली राजनेता हैं. वह कई बार विधायक चुने गए हैं. वर्तमान में वह कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा हैं. अमरमणि त्रिपाठी पर इस हत्याकांड के अलावा भी कई मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते किसी भी मामले को सुलझाया नहीं जा सका. पिछले साल ही उनकी बहु की भी एक कथित एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. जिसमें उनके बेटे का हाथ सामने आया था.
इलाहाबाद के रहने वाले अतीक अहमद को एक खतरनाक बाहुबली नेता के तौर पर जाना जाता है. अतीक अहमद फूलपुर से सांसद रह चुके हैं. इस लोकसभा सीट से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सांसद चुने गए थे. अतीक के 2014 के चुनाव में अपने हलफनामे के अनुसार, उनके खिलाफ 42 मामले लंबित हैं. जिसमें हत्या की कोशिश, 6 अपहरण, 4 हत्या आरोप हैं. इसमें सबसे सनसनीखेज मामला बसपा विधायक राजू पाल का है.
मुख्तार अंसारी भी पूर्वांचल में बाहुबली नेता के तौर पर जाने जाते हैं. मऊ विधानसभा क्षेत्र में एक रिकॉर्ड चार बार से विधानसभा के एक सदस्य के रूप में निर्वाचित हो रहे हैं. उनके ऊपर बीजेपी के बाहुबली नेता कृष्णानंद राय की हत्या करवाने का आरोप है. हालांकि इस मामले में दोष सिद्ध नहीं हो सका है. कभी माफिया बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच शुरू हुई दुश्मनी से पूर्वांचल की धरती लाल हो गई थी. हालांकि दोनों गुटों के बीच हुए एक मुठभेड़ में बृजेश सिंह की मौत की खबर आई. लेकिन कई सालों के बाद बृजेश सिंह को नाटकीय अंदाज में जिंदा पकड़ लिया गया. अंसारी का कब्जा अब ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में है. जिसके दम उसने बहुत बड़ा व्यवसाय खड़ा कर लिया है. अब वह पूरी तरह राजनीति में सक्रिय है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उसकी हर चाल ने प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और और पूरी टीम को परेशान करके रख दिया था
उत्तर प्रदेश की राजनीति में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक जाना-पहचान नाम है. वर्तमान में वह अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. रघुराज प्रताप सिंह को राजनीति विरासत में मिली है. उनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति और बाद में हिमाचल प्रदेश राज्य का दूसरा राज्यपाल बनाया गया था. राजा भैया पर डीएसपी जियाउल हक सहित कई हत्याओं का आरोप है. उनके ऊपर मायावती ने अपने कार्यकाल में पोटा कानून लगा दिया था. राजा भैया का पैतृक निवास प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील है. जिसके बारे में बहुत दिनों तक कहा जाता था कि 'राज्य सरकार की सीमाएं यहां से समाप्त हो जाती हैं'.
बीएसपी के सांसद रहे धनंजय सिंह पर लखनऊ से लेकर जौनपुर तक 30 मामले में दर्ज हैं. लेकिन दिल्ली में एक नौकरानी को पीटने के आरोप में उनकी डॉक्टर पत्नी जागृति सिंह और धनंजय सिंह जेल में हैं. यह समय का ही फेर है कि जिन 30 बड़े आपराधिक मामलों में बाहुबली धनंजय को जेल न भेजा सका वह नौकरानी के पीटने और सबूत मिटाने के आरोप में जेल काट रहे हैं. 1990 में धनंजय सिंह जब हाईस्कूल में थे तभी एक शिक्षक की हत्या के मामले में उनका नाम आया था. उसके बाद 1992 में इंटर की परीक्षा देने के दौरान भी उसने एक युवक की हत्या कर डाली. हालांकि हैरानी वाली बात यह है कि कई हत्याकांड में नाम आने के बाद उस पर दोष सिद्ध न हो सका. हालांकि राबिन हुड अंदाज में गरीबों और छोटी जाति के लोगों की मदद करके अपना एक बड़ा आधार तैयार कर लिया था.
अमरमणि त्रिपाठी पूर्वी उत्तर प्रदेश से एक प्रभावशाली राजनेता हैं. वह कई बार विधायक चुने गए हैं. वर्तमान में वह कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा हैं. अमरमणि त्रिपाठी पर इस हत्याकांड के अलावा भी कई मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते किसी भी मामले को सुलझाया नहीं जा सका. पिछले साल ही उनकी बहु की भी एक कथित एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. जिसमें उनके बेटे का हाथ सामने आया था.
इलाहाबाद के रहने वाले अतीक अहमद को एक खतरनाक बाहुबली नेता के तौर पर जाना जाता है. अतीक अहमद फूलपुर से सांसद रह चुके हैं. इस लोकसभा सीट से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सांसद चुने गए थे. अतीक के 2014 के चुनाव में अपने हलफनामे के अनुसार, उनके खिलाफ 42 मामले लंबित हैं. जिसमें हत्या की कोशिश, 6 अपहरण, 4 हत्या आरोप हैं. इसमें सबसे सनसनीखेज मामला बसपा विधायक राजू पाल का है.
मुख्तार अंसारी भी पूर्वांचल में बाहुबली नेता के तौर पर जाने जाते हैं. मऊ विधानसभा क्षेत्र में एक रिकॉर्ड चार बार से विधानसभा के एक सदस्य के रूप में निर्वाचित हो रहे हैं. उनके ऊपर बीजेपी के बाहुबली नेता कृष्णानंद राय की हत्या करवाने का आरोप है. हालांकि इस मामले में दोष सिद्ध नहीं हो सका है. कभी माफिया बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच शुरू हुई दुश्मनी से पूर्वांचल की धरती लाल हो गई थी. हालांकि दोनों गुटों के बीच हुए एक मुठभेड़ में बृजेश सिंह की मौत की खबर आई. लेकिन कई सालों के बाद बृजेश सिंह को नाटकीय अंदाज में जिंदा पकड़ लिया गया. अंसारी का कब्जा अब ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में है. जिसके दम उसने बहुत बड़ा व्यवसाय खड़ा कर लिया है. अब वह पूरी तरह राजनीति में सक्रिय है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उसकी हर चाल ने प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और और पूरी टीम को परेशान करके रख दिया था
उत्तर प्रदेश की राजनीति में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक जाना-पहचान नाम है. वर्तमान में वह अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. रघुराज प्रताप सिंह को राजनीति विरासत में मिली है. उनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति और बाद में हिमाचल प्रदेश राज्य का दूसरा राज्यपाल बनाया गया था. राजा भैया पर डीएसपी जियाउल हक सहित कई हत्याओं का आरोप है. उनके ऊपर मायावती ने अपने कार्यकाल में पोटा कानून लगा दिया था. राजा भैया का पैतृक निवास प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील है. जिसके बारे में बहुत दिनों तक कहा जाता था कि 'राज्य सरकार की सीमाएं यहां से समाप्त हो जाती हैं'.
बीएसपी के सांसद रहे धनंजय सिंह पर लखनऊ से लेकर जौनपुर तक 30 मामले में दर्ज हैं. लेकिन दिल्ली में एक नौकरानी को पीटने के आरोप में उनकी डॉक्टर पत्नी जागृति सिंह और धनंजय सिंह जेल में हैं. यह समय का ही फेर है कि जिन 30 बड़े आपराधिक मामलों में बाहुबली धनंजय को जेल न भेजा सका वह नौकरानी के पीटने और सबूत मिटाने के आरोप में जेल काट रहे हैं. 1990 में धनंजय सिंह जब हाईस्कूल में थे तभी एक शिक्षक की हत्या के मामले में उनका नाम आया था. उसके बाद 1992 में इंटर की परीक्षा देने के दौरान भी उसने एक युवक की हत्या कर डाली. हालांकि हैरानी वाली बात यह है कि कई हत्याकांड में नाम आने के बाद उस पर दोष सिद्ध न हो सका. हालांकि राबिन हुड अंदाज में गरीबों और छोटी जाति के लोगों की मदद करके अपना एक बड़ा आधार तैयार कर लिया था.
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