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उत्तर प्रदेश

यूपी के होनहार जिन्होंने सिविल सर्विसेज में रचा इतिहास, शशांक त्रिपाठी आईएएस टॉपर

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा के मंगलवार को आए परिणाम में काशी की बिटिया आर्तिका शुक्ला ने देश भर में चौथा रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। रोहित नगर निवासी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बीके शुक्ला और लीना शुक्ला की बिटिया आर्तिका ने पहले प्रयास में ही बड़ी सफलता हासिल की है। कहा कि जीवन में सपना देखने के साथ उसके अनुरूप परिश्रम बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने पर सफलता अवश्य मिलती है। तैयारी के लिए जरूरी नहीं कि कितने घंटे पढ़ाई की जाए लेकिन अहम यह है कि जितनी देर भी पढ़ें, गंभीरता से पढ़ाई की जाए।

नवनीत का सिविल सर्विसेज में चयन
मुरादाबाद के मिलन विहार में रहने वाले नवनीत कुमार कांवत ने सिविल सर्विसेज 2015 में सफलता हासिल की है। उन्हें 933वीं रैंक मिली है। इससे पहले उनका चयन भारतीय इंजीनियरिंग सर्विसेज में हुआ था। मंगलवार को यूपीएससी सिविल सर्विसेज का रिजल्ट जारी हुआ। जिसमें महानगर के नवनीत सिंह राणा का चयन हुआ है। नवनीत ने अपनी शिक्षा केंद्रीय विद्यालय मुरादाबाद और सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से पूरी की। इसके बाद आईआईटी रुड़की से बीटेक किया। 2015 में ही उन्होंने आईईएस की परीक्षा उत्तीर्ण की और इंडियन रेलवे में कार्यरत हैं। उनके पिता महेंद्र सिंह मीणा रेलवे में चीफ कंट्रोलर और माता नीलम मीणा प्राथमिक विद्यालय मोरा की मिलक में प्रधानाध्यापिका हैं।

सिविल सर्विस में मेरठी अभिनव को 36वीं रैंक
सिविल सर्विस परीक्षा 2015 में मेरठ की पांच प्रतिभाओं ने परचम लहराया है। आईआरएस की ट्रेनिंग कर रहे अभिनव गोयल ने 36वीं रैंक हासिल कर सिविल सर्विस का सपना पूरा किया। दिगंत आनंद ने नौकरी के साथ अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। 223 रैंक प्राप्त की। अखिल गोयल ने 251 रैंक हासिल कर सॉफ्टवेयर इंजीनियर से अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। गंगानगर निवासी बीएसएनएल में जूनियर टेलीकॉम ऑफिसर प्रताप सिंह के बेटे अशोक रतन को 920वीं और इनकम टैक्स ऑफिसर मनीष चौहान को 983वीं रैंक मिली है।

मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो सफलता खुद ब खुद कदम चूमती है। यह बात पूर्वांचल के मेधावियों पर सटीक बैठती है। गाजीपुर की गरिमा और आशुतोष तथा जौनपुर के  प्रियंका सिंह, डा. सौरभ सिंह और कासिम आब्दी ने आईएएस में चयनित हो कर क्षेत्र का मान बढ़ाया है। मरदह निवासी भाजपा नेता एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य संजीव जायसवाल के भाई आशुतोष जायसवाल को आईएएस की परीक्षा में 877वीं रैंक हासिल हुई है। बता दें कि जयप्रकाश जायसवाल के पुत्र आशुतोष का चयन कुछ माह पूर्व ही आईएफएस पद के लिए भी हुआ है।

आईपीएस अंशुल गुप्ता अब आईएएस बने
यूपी कैडर में 2012 बैच के आईपीएस अफसर अंशुल गुप्ता (एसपी सिटी) अब आईएएस बन गए। यूपीएससी 2016 का परिणाम मंगलवार शाम जब जारी हुआ तो खुद उनकी खुशी का ठिकाना न था। उन्होंने खुद न सोचा था कि वह टॉप-20 में स्थान पाएंगे। परिणाम की खबर सबसे पहले अपनी मां से शेयर की और इसके बाद अपने मौजूदा बॉस एसएसपी जे रविंदर गौड़ से मिलकर खुशी बांटी। वह कहते हैं कि देश के लिए कुछ करने की इच्छा ने इस मुकाम पर पहुंचाया है और सपने को पंख लग गए हैं। अब उसे सच करके दिखाऊंगा।

मूल रूप से इंदौर निवासी अंशुल गुप्ता के पिता अशोक कुमार गुप्ता सरकारी जॉब में थे। खुद बताते हैं कि घर में दो बहनों के बीच इकलौते होने और ज्यादा समय मां के सानिध्य में रहकर पढ़ने-लिखने में हौनहार अंशुल का स्कूलिंग तक कोई लक्ष्य नहीं था। आईआईटी से बीटेक और एमटेक करने के बाद एमबीए पब्लिक पॉलिसी फाइनेंस में किया। एमटेक करने के दौरान देश और समाज के लिए कुछ करने के लिए आईएएस बनने का सपना देखा। तभी से लगातार यूपीएससी की तैयारी शुरू की और 2012 में आईपीएस बन भी गए। मगर सपना आईएएस बनने का था, इसलिए तैयारी जारी रखी और कुल चौथे प्रयास में 2016 में टॉप-20 में रहकर अठारहवें स्थान पर आकर उन्होंने आईएएस बनने का गौरव हासिल किया। बरेली, मेरठ, मुरादाबाद में रहकर प्रशिक्षण काल पूरा किया। बतौर एसपी सिटी अलीगढ़ यह उनकी पहली तैनाती है।

प्रतापगढ़ के भाई-बहन बने आईएएस और आईपीएस 
प्रतापगढ़ के लालगंज तहसील के इटौरी गांव निवासी सगे भाई-बहन ने आईएएस और आईपीएस में सफलता अर्जित कर पूरे जिले का मान बढ़ा दिया है। भाई लोकेश मिश्र को आईएएस में 44 वीं रैंक मिली है तो बहन क्षमा मिश्रा ने आईपीएस में 172वीं रैंक हासिल की है। इनके सगे भाई-बहन पिछले वर्ष आईएएस की परीक्षा में सफल हुए थे। एक ही परिवार से दो भाई और दो बहनों का चयन होने से पूरे गांव में जश्न है। उधर, जिले के राकी गांव निवासी दिल्ली में एक्साइज इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत संजय यादव को भी आईपीएस बनने में कामयाबी मिली है। संजय को आईपीएस में 702वीं रैंक मिली है।

जिले के लालगंज तहसील के प्रतिभाशाली युवाओं ने बेल्हा का इतिहास ही बदल दिया है। मंगलवार को आईएएस 2015 का रिजल्ट घोषित होने के बाद जिले के इटौरी गांव के लोग खुद पर इतराने लगे। लक्ष्मणपुर इलाके के इटौरी गांव निवासी अनिल कुमार मिश्र का बेटा लोकेश मिश्र आईएएस में चयनित हुआ है। उसे 44वीं रैंक मिली है। लोकेश की सगी बहन क्षमा मिश्रा ने आईपीएस में 172 वां स्थान हासिल किया है। बता दें कि बीते वर्ष आए परिणाम में लोकेश और क्षमा के सगे भाई-बहन, माधवी मिश्रा और योगेश मिश्रा का आईएएस में चयन हुआ था। भाइयों में लोकेश सबसे छोटा है, जबकि बहनों में क्षमा सबसे बड़ी है। चार भाई-बहनों के परिवार में तीन का आईएएस और एक का आईपीएस में चयन हुआ है। पहले ही प्रयास सें आईएएस बनने वाले लोकेश बीते वर्ष लोअर सबआर्डिनेट की परीक्षा में बीडीओ पद पर चयनित हुए थे। वर्तमान में वह इटावा जिले के टांखा ब्लॉक में बीडीओ के पद पर तैनात हैं। जबकि क्षमा का बीते वर्ष आए परिणाम में डीएसपी पद पर चयन हुआ था। वर्तमान में वह मुरादाबाद में ट्रेनिंग प्राप्त कर रही हैं।

लालगंज के ही रॉकी गांव के एक और लाल ने भी कमाल कर दिखाया है। रायबरेली सीमा स्थित रॉकी गांव निवासी संजय कुमार यादव ने आईपीएस की परीक्षा में 702वीं रैंक प्राप्त की है। छह भाई-बहनों में सबसे छोटे संजय कुमार का वर्ष 2012 में सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर चयन हो गया था। वह वर्तमान में दिल्ली में तैनात हैं। नौकरी के साथ वह परीक्षा की तैयारी भी कर रहे थे। चार साल पहले पिता स्व. रामसुख का साया सिर से उठने के बाद भी संजय ने अपने मजबूत इरादों को डिगने नहीं दिया। हालांकि परिवार में एक भाई सीआरपीएफ में ड्राइवर है, मगर अपनी मां गंगादेई के सपने को साकार करने के लिए संजय संघर्ष करता रहा। अविवाहित संजय ने आईपीएस में चयन होने के बाद ही शादी रचाने का निश्चय किया था। गांव में अकेली रह रही मां गंगादेई को जब जानकारी हुई कि उसका बेटा आईपीएस में चयनित हो गया है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसकीआंखों से खुशी के आंसू टपक पड़े।



गाजीपुर जनपद के रेवतीपुर निवासी एवं पूर्व आईएएस लाल जी राय की पुत्रवधू गरिमा सिंह ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में 55वीं रैंक हसिल की है। वर्तमान में झांसी में एसपी सिटी के पद पर कार्यरत गरिमा की शुरुआती शिक्षा लखनऊ में हुई। इसके बाद स्नातक एवं परास्नातक की परीक्षा नई दिल्ली स्थित सेंट स्टीफेन कालेज से उर्त्तीण की। गरिमा के पति राहुल राय इंजीनियर हैं। वे अपनी सफलता का श्रेय परिवारीजनों और ईष्ट मित्रों को वह देती हैं।

अभिषेक ने 31वीं रैंक तो श्रेयांश दूसरी बार चयनित
मजबूत इरादे और बुलंद हौसले के दम पर गोरखपुर के कई मेधावियों ने भी भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है।

शाहपुर आवास विकास कालोनी के अभिषेक पांडेय ने आईएएस बनने की पहली ही कोशिश में 31वीं रैंक हासिल की है। अभिषेक ने आईआईटी रुड़की से 2012 में बीटेक किया है। वे अपनी इस सफलता को मंजिल नहीं बल्कि एक पड़ाव मानते हैं। वहीं गोला बाजार के भर्रोह गांव के शशांक प्रताप सिंह ने 429वीं रैंक प्राप्त करके इलाके का नाम रोशन किया है। शशांक ने जेएनयू से एमफिल के बाद पीएचडी की और वर्तमान में शिक्षक हैं। उनके पिता डॉ. अवंती कुमार सिंह चिकित्सक रहे हैं और बढ़ती उम्र के बीच प्रेक्टिस छोड़कर खेती को तरजीह दे रहे हैं।

बीटेक करने वाले शहर के श्रेयांश मोहन ने लगातार दूसरी बार कामयाबी हासिल कर अपनी रैंक में सुधार किया है। इस दफा उन्हें 447वीं रैंक हासिल हुई है। आईआरएस की ट्रेनिंग कर रहे श्रेयांश अपनी सफलता का श्रेय मां गोमती देवी और नाना केशव प्रसाद द्विवेदी को देते हैं।

मुंडेरा बाजार, चौरीचौरा के सिद्धार्थ शिव जायसवाल के आईएएस बनने का सपना दूसरी कोशिश में पूरा हुआ है। सिद्धार्थ ने सेंट पॉल स्कूल से शुरुआती तालीम हासिल करने के बाद उच्च शिक्षा पुणे से ली। वह अपनी कामयाबी का श्रेय बड़ी बहन शिक्षक वर्षा जायसवाल को देते हैं, जिन्होंने पिता के निधन के बाद घर की जिम्मेदारियों को अभिभावक की तरह संभालकर सिद्धार्थ को बेहतर तालीम का माहौल दिया।

बरेली की आकृति और ज्ञानेंद्र को भी मिली कामयाबी
मंगलवार को आए यूपीएससी के रिजल्ट में बरेली के दो होनहारों ने नाम रोशन किया है। रामवाटिका में रहने वाले चंद्रसेन सागर की तीसरी बेटी आकृति सागर ने यूपीएससी क्वालीफाई कर लिया है। आकृति को 239वीं रैंक मिली है। आकृति की एक बहन आईआरएस है और दूसरी आईएएस। चंद्रसेन को तीसरी बेटी के सिविल सेवा परीक्षा पास करने पर रिश्तेदार घर पहुंचकर बधाई दे रहे हैं। चंद्रसेन सागर के परिवार के लिए यह बहुत बड़ी खुशी है, क्योंकि अब उनकी तीनों बेटियां सिविल सेवा में होंगी। नवाबगंज के हिमकरपुर चमरौआ गांव में रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक राम गुलाम गंगवार के बेटे ज्ञानेंद्र कुमार गंगवार ने 314वीं रैंक हासिल की है। ज्ञानेंद्र इस समय पर एनटीपीसी में इंजीनियर हैं। ज्ञानेंद्र का पूरा परिवार गांव में ही रहता है।

जौनपुर जिले के तीन मेधावियों का चयन आईएएस में हुआ है। सुजानगंज क्षेत्र के बेलवार गांव निवासी पीसीएस अधिकारी राजेश सिंह की पत्नी डा. प्रियंका सिंह को आईएएस में 362वीं रैंक मिली है। प्रियंका पेशे से चिकित्सक हैं। मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज इलाहाबाद से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सफदरजंग हास्पिटल, नई दिल्ली से इस समय एमडी कर रही हैं। इसी बीच उनका चयन आईएएस में होने से परिवार सहित क्षेत्र के लोगों ने खुशी जताई। प्रियंका के पति राजेश सिंह मेरठ में तैनात हैं। प्रियंका के पिता पीएन सिंह पूर्वोत्तर रेलवे में डिप्टी एसएस पद से रिटायर्ड हुए हैं। माता कृष्णा सिंह गृहणी हैं। वह वाराणसी के हंसनगर कालोनी, महावीर मंदिर की निवासी हैं। बेलवार निवासी ससुर सूर्यबख्श सिंह की बहू प्रियंका का चयन आईएएस में होने पर मंगलवार को देर रात तक बधाई देने के लिए क्षेत्रीय लोगों की भीड़ लगी रही। नगर के सुक्खीपुर निवासी जमुहाई पीजी कालेज के प्रवक्ता बीके सिंह के पुत्र डा. सौरभ सिंह ने पहले ही प्रयास में 46वीं रैंक हासिल की है। वह वर्तमान में दिल्ली के एम्स में सीनियर रेजीडेंट हैं। उधर सिकरारा के अहिरौली गांव निवासी मोहम्मद अकबर के पुत्र  कासिम आब्दी का चयन आईएएस के लिए हुआ है।

एसपी के भाई अमितपाल बने आईएएस
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में पुलिस अधीक्षक डॉ. अजयपाल शर्मा के छोटे भाई अमितपाल शर्मा ने 17वीं रैक के साथ कामयाबी पाई है। अमितपाल 2014 में भी इस परीक्षा में कामयाब हुए थे और बतौर आईपीएस हैदराबाद में ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। उन्हें पहले भी यूपी कैडर आवंटित हुआ है। ट्रेनिंग के दौरान आईएएस बनने की ख्वाहिश पूरी करने के लिए उन्होंने फिर से प्रयास किया और अच्छी रैंक के साथ कामयाबी हासिल की। मूल रूप से पंजाब के रहने वाले अमितपाल अपनी कामयाबी का श्रेय अपने बड़े भाई एसपी अजयपाल और अन्य परिजनों को देते हैं। उनका मानना है उनकी शिक्षा में इस प्रकार आगे बढ़ने में उनके बडे़ भाई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जब भी तैयारियों में कोई आवश्यकता हुई तो बड़े भाई ने उनका हर कदम पर साथ दिया। वह अपनी इस कामयाबी से खुश है और आईएएस बनकर देश की पूर्ण निष्ठाभाव से सेवा करना चाहते हैं। एसपी अजयपाल भी अपने भाई की इस कामयाबी पर खुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनके भाई आईएएस बनकर देश के विकास में अहम योगदान देंगे।

यूपीएससी में हर्ष कुमार ने पाया मुकाम
उत्तर प्रदेश सिविल सर्विसेज (यूपीएससी) परीक्षा में हर्ष कुमार ने 157वीं रैंक हासिल की। खंदारी निवासी हर्ष इन दिनों दिल्ली में है। रिजल्ट आते ही इनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। पिता सुभाष चंद्र सक्सेना भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, छलेसर से मुख्य तकनीकी अधिकारी के पद से हाल ही में रिटायर हुए हैं। मां रंजना सक्सेना प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका हैं। बेटे की सफलता की खुशी को अभिभावक बधाई देने वालों से खुलकर बांट रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर्ष ने सेंट पीटर्स से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई की है। शुरू से ही सिविल सेवा में जाने की इच्छा थी। फोन पर हर्ष कुमार ने बताया कि करप्शन देश की आर्थिक विकास में बड़ा रोड़ा है। वर्तमान में उन्होंने जल संकट को बड़ी चुनौती बताया। गढ़ी भदौरिया के डा. ईरज राजा ने 1010 रैंक प्राप्त की है। वर्तमान में ईरज बिजनौर के स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल आफिसर हैं। पिता डा. अशोक कुमार संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य हैं, जो लखनऊ में सेवारत हैं। मां सुधा गृहणी हैं।

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यपूएससी) के रिजल्ट में शहर के मेधावियों का दबदबा है। आवास विकास के शशांक त्रिपाठी ने पांचवीं रैंक हासिल करके शहर का मान बढ़ाया है। शशांक ने संस्कृत साहित्य से यूपीएससी का पेपर दिया था। वर्ष 2015 में भी शशांक को 272वीं रैंक मिली थी। वह नागपुर से आईआरएस की ट्रेनिंग कर रहे हैं। शुक्लागंज के ऋषि त्रिपाठी की 45वीं रैंक है। अलंकृता पांडेय ने 85वीं रैंक हासिल की है। इंजीनियरिंग बैक ग्राउंड की अलंकृता ने सामान्य लोक प्रशासन से तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली। शहर से और भी मेधावियों का यूपीएससी में सेलेक्शन हुआ है।

सिविल सेवा के टॉप 50 में संगम के दो मेधावी
संघ लोक सेवा आयोग की ओर से मंगलवार को घोषित सिविल सेवा के अंतिम परिणाम में संगम नगरी के दो प्रतियोगियों ने प्रथम 50 में स्थान बनाया है। नैनी के अश्वनी पांडेय ने 34वीं रैंक के साथ इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता पाई है। वहीं यहीं रहकर तैयारी करने वाले सौरभ गहरवार को 46वीं रैंक मिली है। हालांकि संख्या के लिहाज से यहां के प्रतियोगियों को निराशा हाथ लगी है। देर रात तक प्राप्त जानकारी के अनुसार सफल होने वालों की संख्या 10 से भी कम है। जबकि, सीसैट लागू होने से पहले 50 से अधिक प्रतियोगी सफल होते रहे हैं।

प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग पेपर करने के बाद उम्मीद जगी थी कि हिन्दी पट्टी के अभ्यर्थियों के सफलता का ग्राफ फिर ऊपर जाएगा लेकिन मुख्य परीक्षा का परिणाम आने के बाद ही उम्मीदों को झटका लगा। यहां के प्रतियोगी मुख्य परीक्षा के नए प्रारूप के अनुरूप अभी खुद को नहीं ढाल पाए हैं। इसका असर अंतिम परिणाम में भी सामने है। देर रात तक मिली जानकारी के अनुसार अश्वनी और सौरभ के अलावा यहां के मनीष देव मिश्रा, प्रियंका सिंह, एसएसल के मनोज पांडेय ने सफलता हासिल की है। डॉ.डीएन देव के पुत्र मनीष देव मिश्रा ने 257वीं रैंक के साथ सफलता पाई है। इनका पूर्व में 2012 में भी चयन हो चुका है। मनीष 2003 में जीआईसी से इंटरमीडिएट किया है और पूरे प्रदेश में 17वां स्थान प्राप्त किया था। कानपुर आईआईटी से बीटेक के बाद तैयारी में जुट गए और लगातार पांच बार इंटरव्यू दिया। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से एबीबीएस प्रियंका को 362वीं रैंक मिली है। इस समय वह दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल से एमडी कर रही हैं। उनके पति राजेश सिंह भी पीसीएस अधिकारी हैं और इस समय मेरठ में तैनात हैं।

इतने खराब परिणाम के पीछे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में व्याप्त अराजकता को मुख्य कारण माना जा रहा है। एक समय इलाहाबाद आईएएस का गढ़ रहा। इसके पीछे विश्वविद्यालय की फैकेल्टी का परंपराओं का विशेष योगदान रहा लेकिन पिछले कुछ वर्षों से विश्वविद्यालय में पढ़ाई का स्तर काफी नीचे गए है। इसका असर परिणाम पर है। सिविल सेवा कोच रनीश जैन का कहना है कि विश्वविद्यालय में पढ़ाई शोधार्थियों के भरोसे है। इससे पुराना माहौल गायब हो गया है। इसके अलावा प्रशिक्षण देने वाले संस्थान भी सिविल सेवा के नए प्रारूप को समझ नहीं पा रहे।
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