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उत्तर प्रदेश

मायावती का मास्टरस्ट्रोक और उत्तराखंड की सियासी पिच पर बीजेपी बोल्ड

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उत्तराखंड फ्लोर टेस्ट के दौरान कांग्रेस का साथ देकर 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले जबरदस्त दांव खेला है.

उत्तराखंड विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट में मायावती ने सांप्रदायिक ताकतों को कमजोर करने का हवाला देते हुए हरीश रावत के पक्ष में वोट करने की बात कही. दरअसल, उनका यह दांव यूपी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया एक मास्टरस्ट्रोक था.

फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले मायावती ने कहा कि बीजेपी को सपोर्ट करने की बात अफवाह है. हमारे दो विधयक कांग्रेस के समर्थन में वोट करेंगे.

बीएसपी के एक बड़े नेता ने कहा, "बीजेपी ने समर्थन के लिए ऑफर दिया था, लेकिन बहनजी नहीं चाहती थीं कि सांप्रदायिक ताकतों को सपोर्ट किया जाए. इसी वजह से कांग्रेस का समर्थन किया गया. भविष्य में भी पार्टी सांप्रदायिक ताकतों से लड़ती रहेगी."

भले ही मायावती कांग्रेस के साथ जाने की वजहों को सांप्रदायिक ताकतों को कमजोर करने की बात कर रही हों, लेकिन इसके पीछे का मकसद यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ी है.

अगर मायावती ने बीजेपी का साथ दिया होता तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस समेत विपक्षी दल इस मुद्दे को जरूर उठाते कि बीएसपी और बीजेपी में आंतरिक सुलह है और त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में दोनों एक साथ हो सकते हैं. इतना ही नहीं, चुनाव प्रचार में विपक्षी दल इसे मुद्दे के रूप में भी उठा सकते थे, जिससे बीएसपी को मुस्लिम वोट खिसकने का खतरा था.

हालांकि, बीजेपी ने हरिद्वार पंचायत चुनावों के लिए बीएसपी को सपोर्ट कर दोनों विधायकों को अपने खेमे में करने की चाल अवश्य चली थी, लेकिन मायावती ने उसे कामयाब नहीं होने दिया. इस चाल के साथ मायावती ने यूपी वोटरों को मैसेज दे दिया है कि वह बीजेपी के साथ किसी भी तरह की गठजोड़ नहीं करेगी.

यही वजह है कि बीएसपी के सपोर्ट से हरीश रावत ने लगभग फ्लोर टेस्ट जीत लिया है. हालांकि, इसकी औपचारिक घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार को किया जाएगा. शक्ति परिक्षण का रिजल्ट बंद लिफाफे में अब सुप्रीम कोर्ट भेजा जाएगा.
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