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उत्तर प्रदेश

सपा में राज्यसभा के लिए जोड़तोड़ तेज, इन्हें मिल सकता है मौका

राज्यसभा की 11 सीटों के लिए राजनीतिक जोड़तोड़ तेज हो गई है। सर्वाधिक मारामारी सपा में है। सपा से पार्टी के कुछ नेताओं के साथ ही बाहरी नामों को लेकर भी चर्चा जोरों पर है।

अमर सिंह, अखिलेश दास और संजय सेठ जैसे नामों को लेकर सपा बंटी हुई है। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव के साथ ही किसी युवा और अल्पसंख्यक नेता को राज्यसभा भेजा जा सकता है।

राज्यसभा की 11 सीट भले ही चार जुलाई को खाली हो रही है, लेकिन इसके लिए अभी से लामबंदी शुरू हो गई है। इस चुनाव में सपा के सात, बसपा के दो और भाजपा व कांग्रेस का एक-एक सदस्य चुना जा सकता है।

बसपा से सतीश चंद्र मिश्र और अंबेथ राजन को फिर से राज्यसभा भेजने की संभावना है। भाजपा मुख्तार अब्बास नकवी को दोबारा मौका दे सकती है। कांग्रेस चार-पांच विधायकों का इंतजाम करके अपना एक सदस्य जिता सकती है। कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। कांग्रेस उन्हें फिर से राज्यसभा भेज सकती है।

बेनी प्रसाद को भी राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा


पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को भी राज्यसभा भेजने की चर्चा है। पिछले दिनों मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद उनके सपा से राज्यसभा जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

हालांकि  बातचीत में बेनी वर्मा ने इन अटकलों को खारिज किया। उन्होंने कहा, मैंने कांग्रेस नहीं छोड़ी है, मैं ऐसी चर्चाओं को तवज्जो नहीं देता। मुलायम सिंह से मेरी मुलाकात हुई थी, इसलिए इस तरह की बातें की जा रही हैं।

राज्यसभा के लिए सपा में जो नाम हवा में तैर रहे हैं, उनमें अमर सिंह, पूर्व मेयर अखिलेश दास, बिल्डर संजय सेठ और एक न्यूज चैनल समूह के चेयरमैन शामिल हैं।

इन चारों नामों को लेकर सपा नेतृत्व एकमत नहीं है। इन नामों पर वरिष्ठ नेताओं से लेकर निचले स्तर तक पार्टी बंटी हुई है। ऐसे में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह का फैसला ही आखिरी होगा।

इन्हें भी मिल सकता है मौका


सपा के जिन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें अरविंद कुमार सिंह या विशंभर प्रसाद निषाद को फिर से राज्यसभा भेजा जा सकता है। हालांकि, पारिवारिक विवाद के चलते कनकलता की दावेदारी कमजोर हुई है। उन्हें राज्यसभा के बजाय कहीं और समायोजित किया जा सकता है।

विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव भी राज्यसभा भेजे जा सकते हैं। ये दोनों पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और सपा मुखिया मुलायम के नजदीकी माने जाते हैं।

सपा युवा नेताओं को राज्यसभा भेजती रही है। इस बार भी युवा संगठन में सक्रिय रहे किसी नेता को राज्यसभा भेजकर नौजवानों में संदेश देने की कोशिश हो सकती है।

उम्मीद है, अल्पसंख्यक समुदाय खासतौर से किसी मुसलमान को राज्यसभा भेजा जाएगा। इसमें आजम खां की पसंद को तरजीह मिल सकती है।
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