संतोख बेन जडेजा की तर्ज पर पश्चिमी यूपी में कई महिलाएं बनीं 'गॉड मदर'
मेरठ। फिल्म गॉड मदर का जिक्र आते ही गुजरात की संतोखबेन जडेजा की तस्वीर जेहन में तैरने लगती है। संतोखबेन जडेजा वो महिला थी जिन्होंने राजनीतिक दुश्मनी में अपने पति को खो दिया था। पति की मौत के बाद उन्होंने सियासत की पगडंडियों पर अपने सफर को बढ़ाया। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उन्होंने तमाम जायज और नाजायज हथकंडों का इस्तेमाल किया। और 2011 तक अपनी मौत से पहले अपने प्रतिद्वंदियो के खिलाफ अपराजेय बनी रहीं। कुछ ऐसे ही मामले पश्चिम उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में देखने को मिला। संतोख बेन जडेजा के नक्शेकदम पर चलते हुए कुख्यात अपराधियों की मां चुनावी मैदान में उतरीं। खौफ और जज्बातों का इस्तेमाल कर वो अब जनता की नुमाइंदगी भी कर रही हैं। आइए आप को उन्हीं कुछ गॉड मदर से रूबरू कराते हैं।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स इंडिया के मुताबिक बागपत जिले की सुरेश देवी हैं। सुरेश देवी मौजूदा समय में जिला पंचायत की सदस्य हैं। सुरेश देवी कुख्यात अपराधी धर्मेंद्र कीर्थल की मां है। धर्मेंद्र पर हत्या के चालीस मामले चल रहे हैं। सुरेश देवी और उनके परिवार की कहानी किसी बॉलीवुड स्टोरी से कम नहीं है। सुरेश देवी का कहना है कि वर्ष 2014 में उनके परिवार के सात सदस्यों की राजनीतिक रंजिश में हत्या कर दी गयी थी। जिसमें उनके पति, बड़े बेटे, उनकी 9 महीने की गर्भवती बहू और एक कुत्ते की मौत हो गयी थी। 2004 के उस हत्याकांड में सुरेश देवी का छोटा बेटा धर्मेंद्र कीर्थल बच पाने में कामयाब रहा। और वो अब गंवई राजनीति में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता है। सुरेश देवी का कहना है कि उसरे बेटे के खिलाफ लूट और डकैती का कभी कोई मामला नहीं था। उसके ऊपर सारे मुकदमे लाद दिए गए । धर्मेंद्र कीर्थल के सामने और कोई रास्ता ही नहीं था।
63 साल की कुसमा देवी की कहानी भी कुछ कम रोचक नहीं है। कुसमा देवी कुख्यात अपराधी राहुल खट्टा की मां हैं। जिसे यूपी पुलिस ने 2005 में एक एनकाउंटर में मार गिराया था। खट्टा के खिलाफ हत्या के 32 मामले दर्ज थे। कुसमा देवी बागपत जिले में प्रहलादपुर खट्टा गांव की प्रधान हैं। अपने बेटे के मारे जाने पर उन्होंने कहा कि उनका बेटा पुलिस के जुल्मों का शिकार बन गया। वो एक शर्मीला लड़का था। जिसने पूर्व प्रधान की ज्यादतियों से तंग आकर उसका विरोध किया। पूर्व प्रधान द्वारा एक विधवा की जमीन हड़पने का विरोध किया था। पुलिस उसे उठाकर ले गयी थी। जेल से छूटने के बाद वो बदल चुका था। उसने पूर्व प्रधान की हत्या कर दी। और उसके बाद उसके अपराध का ग्राफ चढ़ता ही गया। चाहे इसे डर कहें या लोगों का प्यार कुसमा देवी के सामने जो मामले लाए जाते हैं। उनका फैसला अंतिम माना जाता है। कुसमा के एक रिश्तेदार का कहना है कि वो चुनाव में लड़ना नहीं चाहती थीं। लेकिन लोगों के दबाव के बाद उन्होंने चुनाव में शामिल होने का फैसला किया। गांव के लोगों का कहना है कि उनके बेटे का खौफ अभी भी कायम है। लिहाजा डर की वजह से उनके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता है।
पूर्व प्रधान राजेश मावी गैंगेस्टर एक्ट में गिरफ्तार
सुभासना राठी जिनकी उम्र 55 साल है। वो कुख्यात अपराधी प्रमोद गंगनौली की मां हैं। प्रमोद को यूपी पुलिस ने वर्ष 2015 में मुठभेड़ में मार गिराया था। सुभाषना का कहना है कि उनका बेटा हालात का शिकार हो गया । वो कुछ भ्रष्ट पुलिस वालों का शिकार बन गया। जिसे पूरा गांव जानता है। सुभाषना बागपत जिले में गंगनौली गांव की प्रधान हैं। यूपी की राजनीति में अपराधियों का वर्चस्व हमेशा से ही रहा है। लेकिन बदमाशों के नाम पर दहशत का फायदा उठाकर महिलाओं द्वारा चुनावी मैदान मारना एक नए प्रयोग की कहानी सुना रहा है।
Next Story