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मुंबई हाईकोर्ट के इस फैसले से नीतीश की बढ़ी मुश्किलें, हट सकता है शराबबंदी से बैन
बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर भले ही नीतीश सरकार खूब वाहवाही लूट रही हो, लेकिन ऐसा लग रहा है कि अदालत से मिली हालिया फटकार के बाद वह अपने कदम पीछे भी खींच सकती है.
दरअसल, पिछले दिनोंं सुनवाई के दौरान नागरिक के मौलिक अधिकार में बढ़ते सरकारी दखल को लेकर अदालत ने जमकर राज्यों को फटकार लगाई है. पहला उदाहरण शराबबंदी से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट का है और दूसरा मामला महाराष्ट्र में बीफ बैन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का. दोनों अदालतों ने सरकार के रवैये और फैसले पर सवाल उठाते हुए जमकर फटकार लगाई है.
पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार शराबबंदी को लागू कराने को लेकर स्टंटबाजी बंद करे. हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर को फटकारते हुए कहा कि क्या इससे पहले बिहार सरकार शराब बेचने के लिए स्कूल और मंदिरों के पास शराब की दुकानों को खोलने के लिए प्रतिबद्ध थी?
इस दौरान अदालत कहा कि सरकार आज हमें मर्सीडीज गाड़ी खरीदवाए और अगले दिन पर्यावरण प्रदूषण के बहाने सभी चार पहिए वाहनों के चलने पर पाबंदी लगा दे, तो लोग गाड़ियों का क्या करेंगे? एयरपोर्ट पर हवाई यात्रियों की सांस की जांच कराकर सरकार क्या जानना चाहती है कि उन्होंने शराब का सेवन किया है या नहीं. ये क्या है?
वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र में बीफ पर पाबंदी जारी रहने के हक में फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने कहा, 'राज्य में बीफ पर प्रतिबंध जारी रहेगा, लेकिन बाहर के राज्यों से (जिन राज्यों में इसकी इजाजत है) महाराष्ट्र में बीफ लाया जा सकता है और यहां के लोग बीफ खा भी सकते हैं. मसलन, बीफ खाने वाले उस व्यक्ति पर कानूनी कारवाई नहीं हो सकती है.
ऐसे में अदालतों के इन फैसलों से यह साफ हो गया है कि कोई जनता के अधिकार और खानपान में बढ़ते सरकारी दखल को लेकर बेहद सचेत है. ऐसे में इसकी संभावना बनती है कि आगामी कुछ दिनों में बिहार में शराबबंदी और महाराष्ट्र में बीफ पर से बैन हटाया जा सकता है.
दरअसल, पिछले दिनोंं सुनवाई के दौरान नागरिक के मौलिक अधिकार में बढ़ते सरकारी दखल को लेकर अदालत ने जमकर राज्यों को फटकार लगाई है. पहला उदाहरण शराबबंदी से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट का है और दूसरा मामला महाराष्ट्र में बीफ बैन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का. दोनों अदालतों ने सरकार के रवैये और फैसले पर सवाल उठाते हुए जमकर फटकार लगाई है.
पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार शराबबंदी को लागू कराने को लेकर स्टंटबाजी बंद करे. हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर को फटकारते हुए कहा कि क्या इससे पहले बिहार सरकार शराब बेचने के लिए स्कूल और मंदिरों के पास शराब की दुकानों को खोलने के लिए प्रतिबद्ध थी?
इस दौरान अदालत कहा कि सरकार आज हमें मर्सीडीज गाड़ी खरीदवाए और अगले दिन पर्यावरण प्रदूषण के बहाने सभी चार पहिए वाहनों के चलने पर पाबंदी लगा दे, तो लोग गाड़ियों का क्या करेंगे? एयरपोर्ट पर हवाई यात्रियों की सांस की जांच कराकर सरकार क्या जानना चाहती है कि उन्होंने शराब का सेवन किया है या नहीं. ये क्या है?
वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र में बीफ पर पाबंदी जारी रहने के हक में फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने कहा, 'राज्य में बीफ पर प्रतिबंध जारी रहेगा, लेकिन बाहर के राज्यों से (जिन राज्यों में इसकी इजाजत है) महाराष्ट्र में बीफ लाया जा सकता है और यहां के लोग बीफ खा भी सकते हैं. मसलन, बीफ खाने वाले उस व्यक्ति पर कानूनी कारवाई नहीं हो सकती है.
ऐसे में अदालतों के इन फैसलों से यह साफ हो गया है कि कोई जनता के अधिकार और खानपान में बढ़ते सरकारी दखल को लेकर बेहद सचेत है. ऐसे में इसकी संभावना बनती है कि आगामी कुछ दिनों में बिहार में शराबबंदी और महाराष्ट्र में बीफ पर से बैन हटाया जा सकता है.
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