कंप्यूटर से भी तेज चलता है मेरठ के अनमोल और आयूषी का दिमाग
मेरठ के रहने वाले अनमोल और आयूषी को देश में मेमोरी मास्टर के नाम से जाना जाता है. अनमोल एक सांस में विभिन्न देशों की राजधानियों के नाम उनके मुखिया,राज्यों के नाम और उनसे जुड़ी तमाम जानकारियां सेकेंडों देता है.
अगर हम बात करे इतिहास, भारतीय संस्कृति से जुड़े सवालों के जवाब वो प्रश्न पूरा होने से पहले ही बता देता है. एक सांस में देश के सभी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम बता सकता है. ये होनहार बच्चा देश के जीनियस बच्चों में शामिल है. अनमोल के साथ साथ उसकी बहन आयूषी की भी प्रतिभा निराली है. आयूषी पल भर में किसी भी टॉपिक में कविता लिख सकती है.
7 साल की आयूषी ने अब तक दर्जनों कविताएं लिख डाली हैं. इस नन्हीं बच्ची के कविताओं के संग्रह भी जल्द ही प्रकाशित होगा.
अनमोल को अदभुत क्षमता के कारण उसे कई राज्यों में सम्मानित किया जा चुका है. अनमोल को सबसे कम उम्र का जीनियस और यूपी का गूगल ब्यॉय भी कहा जाता है. बाबा रामदेव और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई भी इस नन्हें जीनियस को सम्मानित कर चुके हैं.
मेरठ में गांधीनगर निवासी अनमोल आयूषी के पिता शादियों में बग्घी का कारोबार करते हैं. इस व्यापार से ही उनके घर का खर्च चलता है. गांधीनगर की एक संकरी गली में ये परिवार रहता है लेकिन इन बेमिसाल बच्चों के माता पिता ने ठानी है कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आएं लेकिन वो बच्चों को आगे पढ़ाते रहेंगे.
अगर हम बात करे इतिहास, भारतीय संस्कृति से जुड़े सवालों के जवाब वो प्रश्न पूरा होने से पहले ही बता देता है. एक सांस में देश के सभी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम बता सकता है. ये होनहार बच्चा देश के जीनियस बच्चों में शामिल है. अनमोल के साथ साथ उसकी बहन आयूषी की भी प्रतिभा निराली है. आयूषी पल भर में किसी भी टॉपिक में कविता लिख सकती है.
7 साल की आयूषी ने अब तक दर्जनों कविताएं लिख डाली हैं. इस नन्हीं बच्ची के कविताओं के संग्रह भी जल्द ही प्रकाशित होगा.
अनमोल को अदभुत क्षमता के कारण उसे कई राज्यों में सम्मानित किया जा चुका है. अनमोल को सबसे कम उम्र का जीनियस और यूपी का गूगल ब्यॉय भी कहा जाता है. बाबा रामदेव और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई भी इस नन्हें जीनियस को सम्मानित कर चुके हैं.
मेरठ में गांधीनगर निवासी अनमोल आयूषी के पिता शादियों में बग्घी का कारोबार करते हैं. इस व्यापार से ही उनके घर का खर्च चलता है. गांधीनगर की एक संकरी गली में ये परिवार रहता है लेकिन इन बेमिसाल बच्चों के माता पिता ने ठानी है कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आएं लेकिन वो बच्चों को आगे पढ़ाते रहेंगे.
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