जानिए उत्तराखंड का सियासी गणित, - किसकी बनेगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण का आदेश देने के साथ ही हरीश रावत को फिलहाल राहत दे दी है. सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में 10 मई को सुबह 11 बजे उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण होगा. कोर्ट ने इस दौरान सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक, दो घंटे के लिए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया भी दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ कहा है कि कांग्रेस के 9 बागी फ्लोर टेस्ट में भाग नहीं ले सकेंगे. उनका मामला फिलहाल हाईकोर्ट में विचाराधीन है. भाजपा और बागियों के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है.
ये है पूरा नंबर गेम:
71 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 36, भाजपा के 28, पीडीएफ के 6 (जिनमें बसपा 2, यूकेडी 1 और निर्दलीय 3 विधायक हैं) विधायक हैं. एक नामित सदस्य हैं. कांग्रेस में से 9 बागियों के निकलने से पहले कांग्रेस के पास अपने 36 विधायक थे. पीडीएफ के 6 विधायकों का भी समर्थन हासिल है. इस तरह कांग्रेस को कुल 42 विधायकों का समर्थन प्राप्त था.
अब जैसा कि आपको मालूम ही है, कांग्रेस के 9 विधायकों ने 18 मार्च को सदन में बगावत कर दी थी और वे भाजपा के समर्थन में जा खड़े हुए थे. मौजूदा स्थिति के मुताबिक़, कांग्रेस को सदन में 33 विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा, एक नामित विधायक का समर्थन भी कांग्रेस के साथ है. इस तरह कांग्रेस को सदन में मौजूदा परिस्थितियों में 34 विधायकों का समर्थन हासिल है. पीडीएफ भी मजबूती से हरीश रावत के साथ खड़े होने का दावा कर रहा है.
दूसरी तरफ सदन में भाजपा की स्थिति अब कमजोर नजर आती है. सदन में भाजपा के पास 28 विधायक हैं, लेकिन एक विधायक (भीमलाल आर्य) काफी समय से भाजपा से बगावत कर हरीश रावत के समर्थन में हैं. भाजपा ने भी भीमलाल आर्य को निलंबित किया हुआ है. भाजपा ने आर्य को अयोग्य घोषित करने के लिए स्पीकर को याचिका दी थी, जिसे स्पीकर ने सुनवाई के बाद ठुकरा दिया था.
कुल मिलाकर अगर मौजूद परिस्थितियों में सदन में शक्ति परीक्षण होता है तो हरीश रावत का करीब-करीब बाजी मारना तय लग रहा है. बड़ा सवाल क्या भाजपा, पीडीएफ को मना पाएगी?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ कहा है कि कांग्रेस के 9 बागी फ्लोर टेस्ट में भाग नहीं ले सकेंगे. उनका मामला फिलहाल हाईकोर्ट में विचाराधीन है. भाजपा और बागियों के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है.
ये है पूरा नंबर गेम:
71 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 36, भाजपा के 28, पीडीएफ के 6 (जिनमें बसपा 2, यूकेडी 1 और निर्दलीय 3 विधायक हैं) विधायक हैं. एक नामित सदस्य हैं. कांग्रेस में से 9 बागियों के निकलने से पहले कांग्रेस के पास अपने 36 विधायक थे. पीडीएफ के 6 विधायकों का भी समर्थन हासिल है. इस तरह कांग्रेस को कुल 42 विधायकों का समर्थन प्राप्त था.
अब जैसा कि आपको मालूम ही है, कांग्रेस के 9 विधायकों ने 18 मार्च को सदन में बगावत कर दी थी और वे भाजपा के समर्थन में जा खड़े हुए थे. मौजूदा स्थिति के मुताबिक़, कांग्रेस को सदन में 33 विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा, एक नामित विधायक का समर्थन भी कांग्रेस के साथ है. इस तरह कांग्रेस को सदन में मौजूदा परिस्थितियों में 34 विधायकों का समर्थन हासिल है. पीडीएफ भी मजबूती से हरीश रावत के साथ खड़े होने का दावा कर रहा है.
दूसरी तरफ सदन में भाजपा की स्थिति अब कमजोर नजर आती है. सदन में भाजपा के पास 28 विधायक हैं, लेकिन एक विधायक (भीमलाल आर्य) काफी समय से भाजपा से बगावत कर हरीश रावत के समर्थन में हैं. भाजपा ने भी भीमलाल आर्य को निलंबित किया हुआ है. भाजपा ने आर्य को अयोग्य घोषित करने के लिए स्पीकर को याचिका दी थी, जिसे स्पीकर ने सुनवाई के बाद ठुकरा दिया था.
कुल मिलाकर अगर मौजूद परिस्थितियों में सदन में शक्ति परीक्षण होता है तो हरीश रावत का करीब-करीब बाजी मारना तय लग रहा है. बड़ा सवाल क्या भाजपा, पीडीएफ को मना पाएगी?
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