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गिर गया है राजनीति का स्तर, नहीं जाना राज्यसभा : गायत्री परिवार के संचालक डॉ. प्रणव पांड्या
राज्यसभा में नहीं कह पाएंगे अपनी बात
प्रणव पंड्या ने कहा कि प्रस्ताव मिलने पर उन्हें महसूस हुआ कि वो सदन से गायत्री परिवार के संदेश को पूरे देश में फैला सकते हैं लेकिन अब उन्हें लगता है जिस तरह से राज्यसभा में कामकाज होता है, उसमें वो अपनी बात नहीं कह पाएंगे।
पहले ही कर दिया था इंकार
दरअसल, पंड्या मोदी के बहुत खास माने जाते हैं और कहा जाता है पंड्या ने ही मोदी को स्वच्छ भारत अभियान की सलाह दी थी। उसके बाद ही मोदी सरकार ने ये अभियान चलाया था। पंड्या के मुताबिक, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मुलाकात के वक्त ही उन्होंने इस प्रस्ताव से मना कर दिया था। इसके बाद भी कई बार उनके पास संदेश आया कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि वो राज्यसभा जाएं। जिसके बाद उन्हें होम सेकेट्ररी की तरफ से मेसेज मिला कि उन्हें नॉमिनेट कर दिया गया है।
दो दिन पहले ही भरी थी हामी
अभी दो दिन ही हुए थे जब प्रधानमंत्री के कहने पर प्रणव पंड्या ने राज्यसभा के लिए हामी भरी थी लेकिन उन्होंने देशभर में फैले अपने लगभग 8 करोड़ भक्तों की राय मांगी और 80% लोगों ने पंड्या को राज्यसभा जाने से मना कर दिया। पंड्या का कहना है कि उनकी अंतरआत्मा जवाब नहीं दे रही थी की वो राजनीति में कदम रखें।
मेरा फैसला है सही
पंड्या ने कहा कि राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है। आज की परिस्थितियां ऐसी नहीं हैं कि राज्यसभा में जाकर बैठा जाए। इसके साथ ही पांड्या ने कहा कि उनका फैसला सही है और काम से हटने के लिए वो क्षमा चाहते हैं।
राजनीति में कभी नहीं जाएंगे
गौर हो कि पंड्या मोदी के कई मिशन से जुड़ चुके हैं साथ ही पंड्या को जोड़कर केंद्र सरकार संतों और अध्यात्मिक जगत से जुड़े लोगों को अपनी और आकर्षित करना चाहती थी। लेकिन पंड्या की मनाही ने उनके इस मनसूबे पर भी पानी फेर दिया। पंड्या शांतिकुंज के संस्थापक रहे आचार्य श्रीराम शर्मा के दामाद हैं और उनकी जीवनी में भी लिखा है राजनीति में वो कभी नहीं आएंगे और न वो कभी आना चाहते हैं। इसी वजह से डॉ प्रणव पंड्या शुरू से ही नहीं चाहते थे की वो राज्यसभा में जाएं।
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