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उत्तर प्रदेश

महोबा में नहीं है लातूर जैसे हालात, केंद्र से मदद की जरूरत नहीं: आलोक रंजन

बुंदेलखंड में पानी को लेकर सियासत तेज हो गई है। केंद्र सरकार ने महोबा में ट्रेन से पानी भेजने का दांव चलकर सूबे की सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की तो प्रदेश सरकार ने उसे उसी के अंदाज में जवाब देने का मन बनाया है।

मुख्य सचिव आलोक रंजन ने केंद्र सरकार की मदद लेने से ये कहते हुए इंकार कर दिया है कि महोबा में लातूर जैसे हालात नहीं हैं। हमें अभी केंद्र से मदद लेने की जरूरत नहीं है।

वहीं महोबा के जिलाधिकारी वीरेश्वर सिंह ने कहा है कि जरूरतमंद गांवों में ट्रेन से पानी पहुंचाना संभव नहीं है। टैंकर से पानी बंटवाने का काम पहले ही हो रहा है। ऐसे में ट्रेन भेजने से पहले यहां की जरूरतों का जमीनी आकलन करना चाहिए था।

बता दें कि पानी के संकट से जूझ रहे महोबा के लोगों को राहत देने के लिए लातूर की तर्ज पर पानी एक्सप्रेस शुक्रवार 6 मई को महोबा पहुंचनी थी। कोटा (राजस्थान) में बांध से पानी भर कर बीना और झांसी होते हुए ट्रेन सुबह छह बजे महोबा स्टेशन पहुंचनी थी।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच सात मई को दिल्ली में सूखा और पानी पर बैठक होनी है। इससे पहले सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। केंद्र सरकार ने महोबा में ट्रेन से पानी भेजने का एलान कर दिया।

मगर, उसने इस फैसले की जानकारी न तो प्रदेश के आला अफसरों को दी और न ही महोबा के डीएम से कोई चर्चा की। बताया जाता है कि  डीएम से रेलवे के स्थानीय अधिकारियों ने संपर्क किया तो उन्होंने शासन के शीर्ष अधिकारियों से बात की।

शासन के अफसरों ने पूरी स्थिति की जानकारी लेने के बाद इस मामले में जल्दबाजी न दिखाने का संकेत दिया। शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी केंद्र के  फैसले पर सवाल उठाते  हुए कहते हैं, यदि केंद्र की मंशा लोगों को राहत पहुंचाने की थी तो उसे प्रदेश सरकार से तालमेल बिठाना चाहिए था ताकि उसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सके।

रेलवे के स्थानीय अधिकारियों ने डीएम से पानी की ट्रेन आने की बात जरूर की है लेकिन ऐसी कोई जरूरत अभी नहीं है। आखिर यह ट्रेन गांव में तो पानी लेकर जाएगी नहीं। गांवों में पानी टैंकर से ही जाएगा। टैंकर से पानी पहुंचाने का बंदोबस्त पहले ही हो चुका है।

उन्होंने कहा, 30-40 गांवों में पानी की गंभीर समस्या है। वहां 50 फीसदी हैंडपंप सूख गए हैं। कबरही टाउन में 12 टैंकर दिन भर में 6-6 राउंड लगा रहे हैं। इसके अलावाग्राम पंचायतों को भी टैंकर खरीदकर पानी आपूर्ति की अनुमति दी गई है।

ऐसे में पानी ट्रेन भेजने से पहले यह देखना चाहिए कि वास्तव में वहां के लोगों की आवश्यकता क्या है? डीएम जो भी स्थानीय स्तर पर उचित होगा करेंगे।
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