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उत्तर प्रदेश

कर्जदारों के लिए बुरी खबर चुनाव लड़ने पर पाबंदी

नई दिल्ली: देश में कर्ज वसूली की व्यवस्था में सुधार के लिए प्रस्तावित नया कानून लागू होने पर कोई दिवालिया व्यक्ति स्वत: ही सरकारी सेवा में शामिल होने या जनप्रतिनिधि बनने के लिए अयोग्य हो जाएगा.

दिवालिया एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2015 में प्रावधान के मुताबिक इस प्रावधान के तहत कोई व्यक्ति अपने खिलाफ कार्रवाई होने की तारीख से लोक सेवक नियुक्त किये जान या लोक सेवा का काम करने या सरकारी पद के लिए चुने जाने के अयोग्य होगा.

संबंधित विधेयक के मसौदे में न्यायिक प्राधिकार द्वारा छूट न मिलने पर दिवालिया की अयोग्यता का प्रावधान है. बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली संसद की 30 सदस्यों वाली संयुक्त समिति ने सुझाव दिया है कि न्यायिक प्राधिकार को दिवालिया व्यक्ति को आयोग्यता से छूट देने का विशेषाधिकार नहीं दिया जाए.

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने संयुक्त समिति द्वारा सुझाए गए सभी बदलाव स्वीकार कर लिए हैं जिनमें दिवालिया व्यक्ति को आयोग्य ठहराया जाना शामिल है.

इस विधेयक में दिवालिया की परिभाषा के तहत ऐसा कर्जदार जो धारा 126 के तहत दिवाला आदेश के तहत दिवालिया घोषित किया गया हो, या उस फर्म के सभी भागीदार आते हैं जिसके खिलाफ उपरोक्त धारा के तहत दिवाला का आदेश जारी किया जा चुका हो.
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