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राहत पैकेट लेने जा रहे भूखे मजदूर की रास्ते में मौत, पांच दिनों से परिवार था भूखा
सूखे से परेशान यूपी के बुंदेलखंड में भूख से मरने का सिलसिला जारी है. मंगलवार को बांदा जिले के नरैनी तहसील में एक गरीब मजदूर की भूख से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि इस मजदूर के घर में पांच दिनों से चूल्हा नहीं जला था.
बता दें गरीबी और भूख से परेशान इस परिवार को सूखा राहत पैकेट के लिए चुना गया था. जिसके बाद वह आज कोटेदार से यह पैकेट लेने के लिए ही घर से निकला था. लेकिन पांच दिन से भूखे नत्थू और भूख बर्दाश्त नहीं कर पाया और रस्ते में ही दम तोड़ दिया. मृतक नत्थू के घर में पत्नी के अलावा 6 बच्चे हैं.
मृतक के परिजनों के मुताबिक उनके यहां पांच दिनों से खाना नहीं बना था. वे किसी तरह पड़ोसी से मांग कर कुछ खा रहे थे. नत्थू के पड़ोसियों के मुताबिक उसका मनरेगा कार्ड बना था लेकिन वह प्रधान के कब्जे में था जिसकी वजह से उसे काम नहीं मिलता था.
इस बीच पुलिस ने मृतक के शव का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया. परिवार को शव सौंपकर आनन-फानन उसका अंतिम संस्कार करा दिया गया. इस संबंध में एसडीएम नरैनी महेंद्र सिंह का कहना है कि मृतक के परिजन पोस्टमार्टम कराना नहीं चाह रहे थे. वहीं, इस मामले में डीएम योगेश कुमार ने मृतक की आर्थिक स्थिति की जांचकर तत्काल आर्थिक मदद दिए जाने के आदेश दिए हैं
बता दें गरीबी और भूख से परेशान इस परिवार को सूखा राहत पैकेट के लिए चुना गया था. जिसके बाद वह आज कोटेदार से यह पैकेट लेने के लिए ही घर से निकला था. लेकिन पांच दिन से भूखे नत्थू और भूख बर्दाश्त नहीं कर पाया और रस्ते में ही दम तोड़ दिया. मृतक नत्थू के घर में पत्नी के अलावा 6 बच्चे हैं.
मृतक के परिजनों के मुताबिक उनके यहां पांच दिनों से खाना नहीं बना था. वे किसी तरह पड़ोसी से मांग कर कुछ खा रहे थे. नत्थू के पड़ोसियों के मुताबिक उसका मनरेगा कार्ड बना था लेकिन वह प्रधान के कब्जे में था जिसकी वजह से उसे काम नहीं मिलता था.
इस बीच पुलिस ने मृतक के शव का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया. परिवार को शव सौंपकर आनन-फानन उसका अंतिम संस्कार करा दिया गया. इस संबंध में एसडीएम नरैनी महेंद्र सिंह का कहना है कि मृतक के परिजन पोस्टमार्टम कराना नहीं चाह रहे थे. वहीं, इस मामले में डीएम योगेश कुमार ने मृतक की आर्थिक स्थिति की जांचकर तत्काल आर्थिक मदद दिए जाने के आदेश दिए हैं
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