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उत्तर प्रदेश

केंद्र सरकार का हुर्रियत पर यू-टर्न

नई दिल्ली. पाकिस्तान के साथ अपने सबसे कॉन्ट्रोवर्शियल मुद्दे पर भारत यू-टर्न लेता दिख रहा है। भारत ने कहा है कि उसे कश्मीरी अलगाववादी संगठन हुर्रियत के नेताओं के पाक से बातचीत करने पर कोई एतराज नहीं है। सरकार का तर्क है कि चूंकि कश्मीर के नेता भी भारतीय नागरिक हैं और इसके चलते वे किसी भी देश के रिप्रेजेंटेटिव्स से बात कर सकते हैं। बता दें कि भारत हुर्रियत नेताओं की पाक से बातचीत का विरोध जताता रहा है। पिछले साल सुषमा स्वराज ने तो यह तक कहा था कि भारत या कश्मीरी नेताओं में से पाकिस्तान किसी को एक चुन ले।


संसद को लिखे लेटर में सरकार ने ये बताया...



- पिछले हफ्ते फॉरेन मिनिस्ट्री ने संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में यह खुलासा किया।
- इस जवाब के मुताबिक विदेश मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। इस लिहाज कश्मीर के 'लीडर्स' भारतीय नागरिक हैं।''
- ''इसलिए कश्मीर के नेता किसी भी देश के रिप्रेजेंटेटिव्ज के साथ बातचीत कर सकते हैं।''
- हालांकि सरकार ने ये भी साफ किया कि भारत-पाकिस्तान की बातचीत में किसी थर्ड पार्टी की भूमिका नहीं होगी।

फॉरेन मिनिस्ट्री ने और क्या कहा?
- 'भारत-पाकिस्तान के बीच बाइलेटरल डायलॉग में किसी भी थर्ड पार्टी का कोई रोल नहीं होगा। भारत इस बात को हमेशा कायम रखेगा।'
- 'दोनों देशों के बीच बातचीत शिमला समझौते और लाहौर डिक्लेरेशन के मुताबिक ही होगी।'
- भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर जता दिया है कि वह हमारे आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी न करे।

पाक के साथ बातचीत करते रहे हैं हुर्रियत नेता
- 2014 में सरकार ने एक कंडीशन लगाते हुए पाकिस्तान के साथ फॉरेन सेक्रेटरी लेवल की बातचीत करने से मना कर दिया।
- इसकी वजह पाकिस्तान के भारत में हाईकमिश्नर की हुर्रियत नेताओं से बातचीत को बताया गया।
- बता दें कि 2001 में हुए आगरा समिट (अटल बिहारी वाजपेयी-परवेज मुशर्रफ) के बाद से पाकिस्तानी नेता और सीनियर ऑफिशियल हुर्रियत नेताओं से लगातार मिलते रहे हैं।
- अगस्त 2015 में पाकिस्तान के नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर को भारत आना था, लेकिन उससे ठीक पहले दिल्ली में मौजूद पाकिस्तानी हाई कमिश्नर ने कश्मीरी अलगाववादी नेताओं से बातचीत कर ली।
- इसके बाद भारत ने बातचीत रद्द कर दी। प्रेस काॅन्फ्रेंस में सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को यह तक कहा कि भारत या कश्मीरी नेताओं में से पाकिस्तान किसी को एक चुन ले।
- 2015 में भी उफा समझौते के बाद जब भारत और पाकिस्तान के बीच एनएसए लेवल की बातचीत होनी थी, तब भी हुर्रियत ने अंतिम समय में बातचीत डिरेल करने की कोशिश की थी।
- तब सरकार ने हुर्रियत नेताओं को दिल्ली आने से साफ मना कर दिया था।

इसलिए लेना पड़ा फैसला
- हुर्रियत को लगातार लाइमलाइट में रखने पर मोदी सरकार लगातार क्रिटिसाइज करती रही है।
- बैंकॉक में दोनों देशों के एनएसए (अजीत डोभाल और नसीर खान जंजुआ) की मुलाकात के बाद सिक्युरिटी और टेररिज्म जैसे मुद्दों पर उम्मीद जगी थी।
- ये साफ हो गया था कि सरकार के लिए हुर्रियत के पाकिस्तानी नेताओं के साथ मिलने पर बैन लगाना कठिन होगा।
- इस साल 23 मार्च को पाकिस्तान डे के मौके पर पाकिस्तान हाईकमीशन में हुर्रियत लीडर्स मौजूद थे।
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