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उत्तर प्रदेश

कृष्ण भक्ति में गफ्फार बना 'रसखान'

इबादत खुदा की हो या भक्ति कृष्ण की। लगन लग जाए तो धर्म से उठकर व्यक्ति ‘रसखान’ बन जाता है। टेढ़ी बगिया के 42 वर्षीय अब्दुल गफ्फार छह साल पहले बांकेबिहारी दर्शन को गए तो वे उन्हीं के होकर रह गए। अब तो सिर्फ कृष्ण भक्ति का प्रचार और पांचों वक्त की नमाज ही उनका जीवन है।

अब्दुल गफ्फार ने इस्लाम से नाता नहीं तोड़ा, पांचों वक्त इबादत करते हैं, लेकिन जहां भी भागवत होती है तो भगवन को सुनने पहुंच जाते हैं। कुरान पढ़ते हैं तो गीता-रामायण भी नहीं छूटती। ‘रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय, टूटे पे फिर न जुरे, जुरे गांठ परि जाए’ सुनाते हुए अब्दुल कहते हैं, प्रेम और मानवता सबसे बड़ा धर्म है। इस्लाम हो या फिर सनातन धर्म सभी का यही संदेश है।

अब्दुल बताते हैं, छह साल पहले मित्र की शादी में वृंदावन गए थे। अगले दिन उनके दोस्त बांके बिहारी के दर्शन को ले गए। मंदिर पहुंचे तो पट बंद मिले। दोस्त लौट आए, लेकिन वह वहीं रुक गए। शाम को बिहारी जी की मूरत को देखा तो अजीब सी अनुभूति हुई। घर लौट आया, लेकिन मन में मूरत बस गई। दोबारा गए और फिर ये सिलसिला शुरू हो गया।


पांच वक्त के नमाजी हैं, बांके बिहारी के दर्शन को जाते हैं हर सप्ताह



101 भागवत कथा कराने का संकल्प
पेशे से फोटोग्राफर गफ्फार बताते हैं कि गोवर्धन की पांच बार और 84 कोस की तीन बार परिक्रमा कर चुके हैं। 101 भागवत कथा कराने का संकल्प लिया है। टेढ़ी बगिया में कथा का दूसरा आयोजन है। खुद के खर्च पर आयोजन कराते हैं।

कथा में झूमे तो मस्जिद में पढ़ी नमाज
कथावाचक श्रीओम कृष्ण व्यास ने सुन बरसाने वारी, गुलाम तेरौ बनवारी... भजन गाया तो गफ्फार झूम उठे। भजन गाते हुए जमकर नाचे। जैसे ही दोपहर की नमाज का वक्त हुआ। गफ्फार पास ही स्थित मस्जिद पहुंचे। वुजू की, फिर नमाज पढ़ी। ‘आया है सो जाएगा, राजा रंक फकीर...’ सुनाते हुए बोले, मौत के बाद पहुंचना तो एक ही के पास है।

850 धार्मिक पुस्तकें
कुरान है तो हिंदू धर्म की पुस्तकें भी। गफ्फार के पास 850 हिंदूधर्म की पुस्तकें हैं। वेद, गीता, रामायण, श्रीरामचरित मानस जैसे कई ग्रंथ हैं। भक्ति की आलम ऐसा कि दीवारों पर खुद के खर्चे पर राधे-राधे लिखवाते हैं।

तानों का भी नहीं असर
परिवारीजन उनका विरोध करते हैं। पत्नी कहती हैं कि रिश्तेदार ताना मारते हैं। डर लगता है कि इसका असर बच्चों की जिंदगी पर न पड़ जाए। इसी भय के चलते उनकी पत्नी ने उनका और उनके बच्चों का नाम अखबार में नहीं लिखने की अपील भी की।
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