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पूर्व सपा नेता अशोक बाजपेई ने की भाजपा में जाने की घोषणा, भावुक दिखे डा. बाजपेई
BY Suryakant Pathak14 Aug 2017 1:09 PM GMT

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Suryakant Pathak14 Aug 2017 1:09 PM GMT
हरदोई - समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे डा. अशोक बाजपेई ने राजनीति की अगली रणनीति का खुलासा कर दिया है। एमएलसी के साथ ही सपा से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने शनिवार को हरदोई पहुंचकर अपने समर्थकों से विचार विमर्श किया और फिर रविवार को भाजपा में जाने की घोषणा कर दी। धर्मशाला मार्ग स्थित आवास पर उन्होंने पत्रकार वार्ता में कहा कि सपा अब समाजवादी पार्टी नहीं रह गई है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी बनाई लेकिन उन्हें भी किनारा कर दिया गया। पार्टी में वरिष्ठों का कोई सम्मान नहीं रहा और उसी पर उन्होंने पार्टी छोड़ी है। भाजपा में ही देश और प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है और उसी ही मजबूत करने के लिए वह सैकड़ों समर्थकों के साथ 19 तारीख को भाजपा ज्वाइन करेंगे। राजनीति के 42 साल मुलायम सिंह के साथ बिताकर डा. अशोक बाजपेई ने काफी उतार चढ़ाव देखे लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी पर अपमान की सीमा समाप्त हो जाने पर उन्होंने पार्टी और पद छोड़ दिया।
जनता कुटीर आवास पर पत्रकारों से बातचीत में डा. बाजपेयी ने कहा कि ढाई दशक पहले समाजवादी पार्टी का जन्म एक विचारधारा के रूप में हुआ था, लेकिन अब पार्टी समाजवादियों की नहीं रह गई है, इसलिए घुटन महसूस कर रहे थे। कहा कि उन्होंने पार्टी को खून-पसीने से सींचा, लेकिन लगातार हो रहे अपमान से आहत थे, इसलिए सपा की प्राथमिक सदस्यता और विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। अखिलेश यादव को लेकर कहा कि वह पुत्रवत हैं और उन पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
डा. बाजपेयी ने अपने समर्थकों से राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रचार प्रसार का आह्वान किया। सपा छोडऩे के बाद किसी समान विचारधारा के दल में जाने के सवाल पर कहा कि भाजपा को देश की जनता ने अपना विश्वास सौंपा है। आज भाजपा आम आदमी की आकांक्षाओं का बिंब है। ऐसे में शत प्रतिशत शुभ चिंतकों और कार्यकर्ता साथियों का मत भाजपा के साथ नई पारी शुरू करने का था। हमने अपनों के मत और भावनाओं का सम्मान करते हुए भाजपा से जुड़ऩे का निर्णय लिया है। भाजपा में आपकी क्या भूमिका रहेगी या किस पद पर समायोजन की बात हुई है। इस सवाल के जवाब में डा. बाजपेयी ने कहा कि शर्तें जोडऩा उनके स्वभाव में नहीं है। पार्टी जो दायित्व देगी, उसे निभाएंगे।
गोरखपुर प्रकरण पर कहा कि नौनिहालों की मृत्यु दुर्भाग्यपूर्ण है और वह भी स्वाभाविक दुखी हैं। प्रदेश और केंद्र सरकार ने प्रकरण को संवेदनशीलता से लिया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली जांच समिति त्रासदी की तह तक पहुंचेगी और न्यायोचित कार्रवाई होगी, ये विश्वास है। पत्रकार वार्ता के दौरान अविनाश मिश्रा और प्रशांत बाजपेई, जिला पंचायत सदस्य विमल मिश्र सहित सैकड़़ों समर्थक मौजूद रहे।
भावुक दिखे डा. बाजपेई
राजनीति के 42 साल जिस पार्टी को न्योछावर कर दिए उसे छोड़ते समय डा. अशोक बाजपेई कुछ भावुक दिखे। उनके चेहरे पर बफादारी दिख रही थी, साथ ही चेहरा बयां कर रहा था कि वह कितना दर्द छिपाए हैं। उन्होंने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का अपमान बर्दाश्त न करने की बात कही, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर कोई कमेंट नहीं किया। कहा कि जिस पार्टी को खून पसीने से सींचा उसके लिए क्या बोलें। हां अखिलेश कैसे हैं यह पूरा प्रदेश समझ चुका है।
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