बेमेल विवाह इतना कष्टकारी हो सकता हैं : नीतीश तिवारी
BY Suryakant Pathak12 Aug 2017 1:13 PM GMT

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Suryakant Pathak12 Aug 2017 1:13 PM GMT
यदि कोई युवक , विशेषकर ब्राह्मण समाज में सिविल सेवा से अधिकारी बनता हैं तो निश्चित रूप से शालीन व बुद्धिजीवी हैं ।
व यदि व समाज के आर्थिक रूप से कमजोर / मध्यम श्रेणी से आता हैं तो पूरे परिवारी की जिम्मेवारी व परिवार का भी इसको लेकर एक अपेक्षित आकांक्षा होती हैं , और यह सब स्वभाविक भी हैं।
परंतु कहानी का ट्विस्ट यह हैं कि इस अधिकारी से विवाह हेतु समाज के सबसे सम्पन्न वर्ग से रिश्ते आते हैं जहा से युवक अधिकारी व/या परिवार द्वारा अधिक दहेज व सामाजिक प्रतिष्ठा आदि के लोभ के कारण विवाह सम्पन्न होता हैं और यही बेमेल विवाह कष्टकारी हो सकता हैं।
कारण-
अत्यधिक धनी व सम्पन्न परिवार से होने की वजह से कन्या का लाइफ स्टाइल अलग होगा।
वर तथा कन्या पक्ष के परिवारी के आर्थिक /मानसिक/समाजिक जीवन स्तर में असमानता का होना।
परिवारिक मूल्यों का न होना
किसी भी नव नियुक्त अधिकारी की सैलरी 2-3 साल तक 50 हज़ार से 60 हज़ार प्रतिमाह तक होती हैं , हो सकता हैं कि लड़की का प्रत्येक माह का खर्च ही इतना हो व चुकी वह ब्राह्मण वर्ग से होकर भी सिविल सेवा की परीक्षा उतीर्ण किया हुआ है तो जीवन को लेकर उसके अपने जीवन मूल्य /सिद्धान्त भी होंगे ।
अब यदि कहीं पर भी दोनों के विच किसी स्तर पर तालमेल नही बैठा तो नतीजा परिवारिक कलह के रूप में सामने आता हैं।
स्वर्गीय मुकेश पांडे जी की आत्महत्या की न्यूज़ tv पर फ्लेश होते ही मेरे मन मे आत्म हत्या के कारण का अंदाजा हो गया था , जो सुसाइड नोट के बाद बिल्कुल सही साबित हुआ।
इससे पहले एक संघ शाशित प्रदेश के डिप्टी सेक्रेटरी को भी इसी डिप्रेशन के कारण डिप्रेशन में जाते हुए देख चुका हूं , उनके ससुराल पक्ष ने उन्हें उन्ही के क्षेत्र में दहेज प्रताड़ना का केस फ़ाइल करके जेल भी करवा दिया था।
फिलहाल अभी तलाक हो चुका हैं , ऐसे कई मामले समाज मे हैं।
इस पूरे लेख में अधिक सम्पन्न परिवार की लड़कियो से मेरा कोई पूर्वाग्रह नही हैं, लड़की/लड़के का जीवन स्तर परिवार के संस्कार पर निर्भर करता हैं, न कि आर्थिक स्तर पर परंतु ऐसे परिवार बहुत ही कम होंगे जो आर्थिक रूप से सम्पन्न व संस्कार दोनो के पोषक होंगे व यह भी जरूरी नही हैं कि जो परिवार आर्थिक से कमजोर/ मध्यम हैं उनके बच्चे संस्कारी होंगे।
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