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उत्तर प्रदेश

लापरवाही की हदः दो चिट्ठियां खोल रही प्रशासन के दावे की पोल

लापरवाही की हदः दो चिट्ठियां खोल रही प्रशासन के दावे की पोल
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यदि कहा जाए कि इन मौतों के लिए अधिकारियों की लापरवाही पूरी तरह जिम्मेदार है तो यह गलत नहीं होगा। प्रशासन भले ही आक्सीजन की कमी से हुई मौतों की बात को नकार रहा हो लेकिन अस्पताल प्रशासन से जुड़े पत्राचार से एक दूसरी ही तस्वीर सामने आ रही है। इनमें से दो पत्र ऐसे हैं जो अस्पताल प्रशासन के दावों की पोल खोलने को पर्याप्त हैं। मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल में पुष्पा सेल्स कंपनी द्वारा लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई की जाती है। कंपनी ने एक अगस्त को ही पत्र लिखकर आक्सीजन की सप्लाई न करने की चेतावनी दे दी थी। साथ ही पिछले बकाया का भुगतान करने के बाद ही कंपनी ने आक्सीजन सप्लाई करने की बात कही थी।
उधर बीते गुरुवार को दिन में ही यह साफ हो चुका था कि जिस लिक्विड आक्सीजन पर सौ बेड के इंसेफ्लाइटिस वार्ड व दूसरे आइसीयू में भर्ती मरीजों की सांसें टिकी हुई हैं वह लगभग खत्म हो चुका था। इसकी भी जानकारी हो गई थी कि विकल्प के रूप में जितने आक्सीजन सिलेंडर की जरूरत है वे सीमित संख्या में हैं। यह भी सबकी जानकारी में था कि संवेदनशील स्थिति बाल रोग विभाग के वार्डों की है जहां बड़ी तादाद में इंसेफ्लाइटिस के मरीज भर्ती हैं। खुद सेंट्रल आक्सीजन पाइप लाइन के आपरेटरों ने बाल रोग के विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर दिन में ही इस संकट से आगाह कर दिया था। पत्र से साफ है कि तीन अगस्त को भी लिक्विड आक्सीजन के स्टाक की समाप्ति की जानकारी दी गई थी।


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अनुरोध के बाद भी बेपरवाह रहे अधिकारी
दस अगस्त को भी लिक्विड आक्सीजन संयंत्र में लगे मीटर की रीडिंग सुबह 11 बजे की गई थी। मीटर रीडिंग के हिसाब से यह बताया गया था कि गुरुवार की रात तक ही आक्सीजन की सप्लाई हो सकेगी। बाल रोग के विभागाध्यक्ष से अनुरोध किया गया कि मरीजों के हित को देखते हुए तत्काल आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित कराएं। इसके बावजूद अधिकारी बेपरवाह रहे। जब शाम को जब प्राचार्य डा. राजीव मिश्र से बात की गई तो उन्होंने बताया कि फैजाबाद से आक्सीजन सिलेंडर से लदी गाड़ी गुरुवार को शाम पांच बजे चल चुकी है और वह देर शाम तक पहुंच जाएगी। लेकिन, उन्होंने जो भी कहा उसका ठीक उल्टा हुआ। रात करीब आठ बजे सौ बेड के इंसेफ्लाइटिस वार्ड के सिलेंडर की आक्सीजन खत्म हो गयी। आनन-फानन वार्ड को लिक्विड आक्सीजन से जोड़ा गया जो थोड़ी ही बची थी। रात साढ़े ग्यारह बजते-बजते यह भी जवाब दे गया और मौत ने विभिन्न आइसीयू में भर्ती मरीजों को अपनी आगोश में लेना शुरू कर दिया।
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