जॉर्ज फर्नांडिस की राह पर शरद यादव, नीतीश जल्द ले सकते हैं फैसला
BY Suryakant Pathak10 Aug 2017 1:37 AM GMT

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Suryakant Pathak10 Aug 2017 1:37 AM GMT
जदयू के राज्यसभा सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव गुरुवार से बिहार का दौरा शुरू कर रहे हैं लेकिन राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि पार्टी विरोधी बयान के लिए शरद यादव को जल्द ही साइडलाइन किया जा सकता है.
वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने पूरे राज्य में घूमकर नीतीश के फैसले (महागठबंधन से अलग होने) को लेकर लोगों के सामने अपनी राय रखने का फैसला किया है. इससे पहले बिहार में महागठबंधन में टूट को शरद यादव मैनडेट के साथ धोखा करार दे चुके हैं.
पार्टी लाइन से अलग बयान देने के बाद शरद यादव निशाने पर आ गए हैं और उनके खिलाफ पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पटना में होने वाली बैठक में कोई फैसला लिया जा सकता है.
26 जुलाई को अलांयस टूटने के बाद से शरद यादव ने पार्टी के फैसले पर पहले चुप्पी साध ली थी और फिर इसे मैनडेट के खिलाफ लिया गया फैसला बताया था. इससे पहले भी वो कह चुके थे कि तेजस्वी यादव के इस्तीफे से ज्यादा जरुरी महागठबंधन को बचाना है, हालांकि शरद यादव ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि वो नई पार्टी बना सकते हैं.
इन खबरों के बीच नीतीश कुमार ने पटना में पत्रकारों के सवाल पर इशारों में कहा कि अच्छा है एक ही झटके में कुछ और दिक्कत खत्म हो जाएंगे. इशारों में नीतीश के दिए इस बयान के काफी मायने निकाला जाने लगा. हालांकि नीतीश और उनकी पार्टी ने शरद के खिलाफ खुलकर कभी नहीं बोला.
नीतीश के इस बयान को बखूबी समझने के बाद भी शरद यादव ने बिहार में यात्रा कर अपनी बातों को लोगों के सामने रखने का फैसला किया है.
उधर, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद साफ कह चुके हैं कि वो शरद यादव के संपर्क में हैं. इससे भी आगे जाकर बुधवार को लालू ने कहा कि शरद यादव जनता दल के संस्थापक सदस्य हैं और शरद और कांग्रेस से उनका गठबंधन जारी रहेगा. इस मौके पर लालू ने नीतीश पर शरद यादव की यात्रा के दौरान साजिश रचने का भी आरोप जड़ दिया.
पार्टी के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने न केवल उनसे दूरी बनाई है बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं को उनकी यात्रा का विरोध करने को भी कहा गया है. पार्टी के नेता ने कहा कि शरद के फैसले के पार्टी के कार्यकर्ता खुश नहीं है और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने के लिए वो भी स्वतंत्र हैं. जानकारी के मुताबिक जदयू के स्थानीय नेता शरद यादव की यात्रा का विरोध करने की तैयारी कर चुके हैं.
उधर, शरद यादव को पुरानी बातें याद दिलाते हुए जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि पार्टी का कानून और नीतियां शरद की ही बनाई हुई हैं, अब अगर शरद खुद इन कानूनों के पालन से पीछे हटते हैं तो ये गंभीर बात है. नीरज ने कहा कि शरद जी सहूलियत के हिसाब से तर्क ना दें बल्कि जो सही है वही जनता को बताये.
उधर, गुजरात में राज्यसभा चुनाव में जदयू विधायक के कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल के पक्ष में वोट देने के बाद शरद यादव के समर्थक अरुण श्रीवास्तव को पार्टी के महासचिव पद से हटा दिया है. महागठबंधन में टूट के बाद अरुण श्रीवास्तव शरद यादव के लगातार संपर्क में थे और बागी नेताओं की दिल्ली में बैठक में उनकी अहम भूमिका थी.
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि पिछले साल पार्टी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद से शरद यादव नाराज हैं. शरद के हटने के बाद नीतीश कुमार पार्टी के अध्यक्ष बनाये गये हैं.
2009 में भी वरिष्ठ समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस के साथ भी कुछ ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी. पार्टी ने उन्हें मुजफ्फरपुर से लोकसभा टिकट देने से इनकार कर दिया था. अगर उन्हें टिकट मिलता तो वो सोमनाथ चटर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी की तरह 10वीं बाद लोकसभा पहुंच सकते थे.
पार्टी के इस फैसले से नाराज जार्ज फर्नांडिस ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ा तब दिग्विजय सिंह जैसे समाजवादी नेताओं ने उनका समर्थन किया था. जार्ज के इस फैसले के खिलाफ तब नीतीश ने तुरंत बैठक बुलाकर जार्ज को अप्रैल 2009 में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
उस सयम जार्ज फर्नांडिस ने भी नीतीश पर निरंकुश तरीक से पार्टी चलाने का आरोप लगाया था. हालांकि काफी दवाब के बाद जार्ज फर्नांडिस के लोकसभा चुनाव हारने के तीन महीने बाद उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया था.
पार्टी के कई नेता इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि शरद यादव भी जार्ज फर्नांडिस की राह पर चल पड़े हैं. यह भी इतेफाक है कि जार्ज फर्नाडिस की तरह शरद यादव भी आउटसाइडर (बिहार के बाहर) हैं.
पार्टी के एक नेता का मानना है कि शरद यादव जार्ज फर्नांडिस की तरह मास लीडर नहीं है.ऐसे में नीतीश आसानी से उनके खिलाफ कड़ा तेवर अपना सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक शरद यादव की बिहार यात्रा खत्म होने के बाद उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है.
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