'मुलायम परिवार' ढाई दशक बाद यह पहला ऐसा रक्षाबंधन रहा, जिसमें शिवपाल अकेले सैफई में मौजूूद रहे,

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार के रिश्तों पर जमीं बर्फ रक्षाबंधन पर भी नहीं पिघली। ऐसे में सत्ता संग्राम के बीच सुलह समझौते की एक और गुंजाइश समाप्त हो गई। करीब ढाई दशक बाद यह पहला ऐसा रक्षाबंधन रहा, जिसमें शिवपाल सिंह यादव अकेले सैफई में मौजूूद रहे। मुलायम सिंह यादव एवं अखिलेश यादव के साथ प्रोफेसर रामगोपाल यादव सैफई नहीं पहुंचे। पहली बार वर्ष 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से यह परंपरा रही कि रक्षाबंधन पर पूरा परिवार इटावा सैफई में जुटता रहा है। मुलायम सिंह यादव बहन कमला देवी के घर रक्षाबंधन पर जरूर पहुंचते रहे हैं। यहां शिवपाल, रामगोपाल के साथ ही अखिलेश भी पहुंचते थे। दो बार दिल्ली रहने पर मुलायम सिंह नहीं पहुंचे थे, लेकिन अन्य सभी लोग सैफई में साथ-साथ रक्षाबंधन बंधवाते रहे हैं।
परिवार के बीच चली खींचतान के बाद लोगों की निगाह रक्षाबंधन पर लगी थी। माना जा रहा था कि रक्षाबंधन पर सैफई परिवार एकजुट होगा और इसमें बहन कमला देवी की रिश्तों की डोर को एक सूत्र में बांध सकती हैं। लेकिन यह उम्मीद भी टूट गई। मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के इटावा आने का कार्यक्रम बना। लेकिन ऐन मौके पर रद्द हो गया। जबकि शिवपाल सिंह यादव पहले से ही सैफई पहुंच गए थे। मुलायम सिंह यादव की गैरमौजूदगी में उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अपनी बहन कमलादेवी से राखी बंधवाई। पिता-पुत्र के नहीं पहुंचने पर कमला देवी के चेहरे पर उदासी जरूर दिखी।
इटावा सैफई में मुलायम सिंह यादव के भतीजे और बदायूं से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव रक्षाबंधन पर अपने पैतृक गांव सैफई में आम जनता से खुलकर के मिले । उन्होंने लोगों की बातों को न केवल सुना बल्कि उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए भी लोगों को भरोसा दिया ।
इसी तरह से सैफई में ही मुलायम सिंह यादव के भाई के पौत्र और मैनपुरी से सांसद तेज प्रताप सिंह यादव भी लोगों से खुलकर के रूबरू होते हुए देखे गए । दोनों सांसदों ने 9 अगस्त के कार्यक्रम के बहाने प्रदेश भर मे होने वाले प्रदर्शनों में भारी भीड़ जुटाने का आवाहन किया।