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सुषमा स्‍वराज ने संसद में राहुल गांधी को लताड़ा, कहा- चीनी राजदूत से मिलने से पहले बता तो देते

सुषमा स्‍वराज ने संसद में राहुल गांधी को लताड़ा, कहा- चीनी राजदूत से मिलने से पहले बता तो देते
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सुषमा स्‍वराज ने गुरुवार को संसद में अपने मंत्रालय से जुड़े कई मुद्दों पर सरकार का रुख स्‍पष्‍ट किया। विपक्ष की ओर से लगातार मांग की जा रही थी कि सुषमा, चीन के साथ सिक्किम सीमा पर जारी तनाव पर स्थिति स्‍पष्‍ट करें। राज्‍य सभा में बोलते हुए सुषमा ने कहा कि 'भारत, चीन और भूटान के बीच ट्राई-जंक्‍शन पर बात हो रही है। सीमांकन को लेकर आपसी सहमति है। 2012 वाला समझौता अभी प्रभावी है।' सुषमा ने सदन को बताया कि चीन ने सिक्किम क्षेत्र में सीमांकन का प्रस्‍ताव दिया है। उन्‍होंने लिख‍ित बयान पढ़ते हुए कहा कि 'चीन ने नेहरू के कई पत्रों का उल्‍लेख इस संबंध में किया है। हाल के दिनों में चीन ने भारत-चीन बॉर्डर पर शांति बनाये रखने की बात कही है।' हालांकि चीन पर बोलते-बोलते सुषमा ने कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने पिछले महीने चीनी राजदूत से गुप्‍त बातचीत की थी, जिसकी जानकारी सामने आने पर खासा विवाद हुआ था।

राज्‍य सभा में बोलते समय सुषमा ने बिना राहुल का नाम लिए कहा, "सबसे बड़े प्रमुख विपक्षी दल के नेता ने चीन की स्थिति जानने के लिए भारत के नेतृत्‍व को पूछने के बजाय, चीनी राजदूत से मुलाकात की।" इसके बाद सुषमा ने सदन में मौजूद वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की ओर मुखातिब होते हुए कहा, 'आप भी उस मीटिंग में मौजूद थे।' इस पर शर्मा ने जवाब दिया कि चीनी राजदूत ने खुद विपक्ष के लोगों से बातचीत की गुजारिश की थी। सुषमा ने इसके बाद कहा कि "पहले विपक्ष को भारत का दृष्टिकोण समझाना चाहिए था, उसके बाद चीनी राजदूत को बताना चाहिए था कि ये हमारा पक्ष है। आप एक बार सरकार से बात तो कर लेते, पूछ तो लेते।"

चीन के साथ युद्ध की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए सुषमा ने संवाद पर जोर दिया। उन्‍होंने सदन में कहा, "किसी भी समस्‍या का समाधान युद्ध से नहीं निकलता। युद्ध के बाद भी संवाद करना पड़ता है। तो बुद्धिमत्‍ता ये है कि बिना लड़े सब सुलझा लो। सेना है, युद्ध के लिए तैयार है मगर युद्ध से समाधान नहीं निकलता।" विपक्षी नेताओं की ओर से देश की सामरिक ताकत को और बढ़ाने की अपील पर भी सुषमा ने सरकार का पक्ष रखा। उन्‍होंने कहा, "आपने (विपक्ष) कहा कि अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाइए तभी पड़ोसियों को लगेगा कि हम मजबूत हैं। आज सामरिक क्षमता नहीं, आर्थिक क्षमता से तय होता है कि कौन ज्‍यादा मजबूत है। मैं चाहती हूं कि भारत के विकास में पड़ोसी देशों को भी लाभ हो। हमारी जो आर्थ‍िक क्षमता बढ़ रही है, उसमें बड़ा हिस्‍सा चीन से आता है। अगर द्विपक्षीय चर्चा होगी तो निश्चित तौर पर समाधान निकलेगा।"

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