अखिलेश बदलेंगे पार्टी का कलेवर...

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी के तौर-तरीके बदल भाजपा से भिड़ने की तैयारी में नजर आ रहे हैं। इसके लिए वह एक युवा ब्रिगेड भी तैयार कर रहे हैं।
.सपा अब सोशल मीडिया पर और आक्रामक होने जा रही है। मेंबरशिप कैम्पेन से पार्टी के कोष में सदस्यता शुल्क के रूप में 55 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा जमा हुआ है। माना जा रहा है कि पार्टी खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए यूथ एजेंडे पर काम कर रही है। इस बीच पार्टी के मेंबरशिप कैम्पेन में 1 करोड़ 28 लाख मेंबर्स जुड़े हैं। इनमें 65% से ज्यादा युवाओं की संख्या है।
मुलायम सिंह के सपा के अध्यक्ष पद से हटने और 2 जनवरी को अखिलेश यादव के सपा का अध्यक्ष बनने के बाद ये पहला मेंबरशिप कैम्पेन है। बताया जा रहा है कि इस कैम्पेन के साथ अखिलेश यादव पार्टी पर न सिर्फ अपनी पकड़ मजबूत करने जा रहे हैं, बल्कि उसका कलेवर भी बदल देंगे।
यही नहीं पार्टी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को देखते हुए सभी मेंबर्स के मोबाइल फोन का डाटा बैंक तैयार करेगी। बूथ लेवल तक के वर्कर्स का ब्यौरा पार्टी ऑफिस के आईटी सेल में हर वक्त तैयार मिलेगा।
संगठन के चुनाव सितंबर के अंत तक राष्ट्रीय अधिवेशन के साथ पूरा होगा, जिसमें अखिलेश यादव दूसरी बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जा सकते हैं। उधर, सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव लगातार मुलायम सिंह को फिर से पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे है।
पार्टी के प्रदेश सचिव एसआरएस यादव ने बताया, पार्टी के मेंबरशिप कैम्पेन में 11 लाख से ज्यादा युवाओं ने ऑनलाइन प्राथमिक सदस्यता ली है। ये पहली बार है, जब इतनी बड़ी संख्या में युवाओं ने ऑनलाइन मेंबरशिप ली है। बता दें, पहली बार 2012 विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के मैनिफेस्टो में कम्प्यूटर के इस्तेमाल और फ्री लैपटॉप बांटने की पहल की गई थी। माना जाता है कि पार्टी के बहुमत से सत्ता में आने की ये बड़ी वजह रही।
सपा अब खुद को बीजेपी से मुकाबले के लिए तैयार कर रही है। मेंबरशिप की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि अभी सभी जिलों से पूरे दस्तावेज नहीं आ सके हैं। वहीं, करीब 2 हजार एक्टिव मेंबर हैं। इस तरह से ये संख्या 1.28 करोड़ की है। पार्टी के प्राइमरी मेंबर बनने के लिए 20 रुपए और एक्टिव मेंबर बनने के लिए 1500 रुपए की फीस है। इस फीस से 25 फीसदी पैसा जिले को, 25 फीसदी पैसा विधानसभा क्षेत्र को, 25 फीसदी पैसा राज्य को और 25 फीसदी राष्ट्रीय कमेटी को दिया जाता है।