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बसपा नेता का आरोप, हर क्षेत्र से 9-22 लाख रुपये वसूलने को कह रही थीं माया
BY Suryakant Pathak3 Aug 2017 3:07 AM GMT

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Suryakant Pathak3 Aug 2017 3:07 AM GMT
बसपा एमएलसी ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे के बाद पार्टी के दूसरे कद्दवार नेता, राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज ने पार्टी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सरोज ने बुधवार को मायावती पर आरोपों की बौछार की है। वहीं सरोज के आरोपों पर बसपा ने चुप्पी साध ली है।
इंद्रजीत सरोज ने बताया कि आठ जुलाई को प्रदेश कार्यालय पर मायावती ने जोन इंचार्ज, जिला प्रभारी व बड़े पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने प्रति विधानसभा क्षेत्र 9 लाख से 22 लाख रुपये तक जमा कराने का निर्देश दिया था।
इसमें वेस्ट यूपी के लिए प्रति विधानसभा क्षेत्र 22 लाख रुपये और लखनऊ, इलाहाबाद व कानपुर मंडलों में 15 लाख रुपये प्रति विधानसभा क्षेत्र जमा करने को कहा था।
इसके लिए विधानसभा क्षेत्रवार रजिस्टर बनाने और गांव-गांव घूमकर पैसा इकट्ठा कराने का आदेश दिया था। सरोज ने कहा कि राष्ट्रीय महासचिव के साथ लखनऊ जोन की जिम्मेदारी भी देख रहा था।
लगातार हार के बावजूद बंद नहीं कर रही हैं वसूली
बैठक के बाद ही मैंने अपने क्षेत्र के लोगों से कह दिया कि अब न तो मैं चुनाव लड़ूंगा, न ही किसी से पैसा मागूंगा और न पैसा दे पाऊंगा। यह बात बहनजी तक पहुंची तो उन्होंने मंगलवार को फोन किया। उनको भी पैसे की वसूली कर पाने में असमर्थता बता दी। इसके बाद उन्होंने सभी पदों से हटाने का फरमान सुना दिया।
पूर्व मंत्री ने कहा कि मायावती ने पैसे की भूख में पार्टी को खत्म कर दिया। अब उन्हें सिर्फ अपने परिवार की चिंता है, समाज व गरीब से उनका कोई वास्ता नहीं रहा।
लगातार चुनावों में हार के बावजूद पैसे की वसूली बंद नहीं कर रही हैं। उन्होंने पार्टी को खत्म करने का संकल्प ले लिया है। उधर आगे की रणनीति पर सरोज ने कहा है कि वह लखनऊ आकर समर्थकों से बातचीत कर आगे के कदम पर निर्णय करेंगे।
समर्थन में कई विधायक भी देंगे इस्तीफा
सरोज मंझनपुर (कौशांबी) से 1996 से 2017 तक चार बार विधायक रहे हैं। पूर्व मंत्री आरके चौधरी के बसपा से बाहर होने के बाद से ही सरोज पार्टी में पासी समाज के मुख्य चेहरे के रूप में देखे जाते रहे हैं। वह पार्टी में लखनऊ के जोनल इंचार्ज तथा राष्ट्रीय महासचिव जैसी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
इसके पहले विधानसभा चुनाव में हार के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मायावती ने पार्टी से निकाल दिया था। बाद में सिद्दीकी ने मायावती पर भी कई आरोप लगाए थे।
लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए हाथ-पैर मार रही पार्टी के लिए नियमित अंतराल पर एक-एक नेता का साथ छोड़ना बसपा के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं इंद्रजीत सरोज के समर्थन में कई पूर्व विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों ने इस्तीफा देने की शुरुआत कर दी है।
चायल के पूर्व विधायक मो. आसिफ जाफरी के भी सरोज की राह पर बढ़ने के संकेत हैं। जाफरी ने कहा कि वह अभी बाहर हैं, लेकिन सरोज मेरे नेता हैं और मैं लगातार उनके संपर्क में हूं। बृहस्पतिवार को उनके साथ बैठकर आगे की रणनीति तय करूंगा।
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