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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार के कामकाज पर अपने ही उठा रहे सवाल, माननीयों का असंतोष देखने को मिल रहा

योगी सरकार के कामकाज पर अपने ही उठा रहे सवाल, माननीयों का असंतोष देखने को मिल रहा
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अब अपने भी योगी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने लगे हैं। इससे विपक्ष को प्रतिक्रिया के लिए मौका मिल रहा है। यद्यपि शुरुआत में ही यह बात कही गई थी कि अगर कोई भी शिकायत हो तो उसे पार्टी फोरम पर रखा जाए लेकिन, सदन से लेकर चिट्ठियों के जरिए व्यवस्था पर माननीयों का असंतोष देखने को मिल रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले क्षेत्रवार विधायकों की बैठक की तो बहुतों के मन के गुबार फूटे थे। थानेदार और लेखपाल की मनमानी से लेकर बिजली आपूर्ति पर विधायकों ने अपनी शिकायत दर्ज कराई। यह बात अंदरखाने की थी लेकिन, मीडिया को भी इसकी भनक लगी। विधानसभा में 19 जुलाई को सरकार ने बिजली आपूर्ति पर बड़े दावे किए और उसी दिन आबकारी मंत्री जयप्रताप सिंह ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र लिखकर अपने गृह जिले सिद्धार्थनगर की बिजली आपूर्ति ठप हो जाने का मामला उठाकर जनता के आक्रोश से भी अवगत कराया।
विधानसभा में बुधवार को भाजपा के ही विधायक अशोक सिंह चंदेल ने यहां तक कह दिया कि 'हम लोगों की स्थिति विपक्षी दलों से भी बदतर है। हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हमीरपुर में एक शराब की दुकान हटवाने के लिए मंत्री से शिकायत करने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में अफसरों और राज्य सरकार के मंत्रियों के कामकाज को लेकर कई सांसदों ने शिकायत दर्ज कराई थी।
लोकसभा में पार्टी के ही सांसद हुकुम सिंह ने तो गन्ना भुगतान पर ही सवाल उठा दिया है, जबकि सरकार का दावा है कि बड़े पैमाने पर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है। हुकुम सिंह का कहना है कि चीनी मिल मालिकों ने खूब कमाई की लेकिन, अभी तक गन्ना किसानों का भुगतान रोक कर बैठे हैं। उनका कहना है कि गन्ना मिलों को आपूर्ति के बाद भी किसान भुगतान से वंचित है। उन्होंने शामली जिले का उदाहरण दिया जहां तीन चीनी मिले हैं। हुकुम सिंह के मुताबिक किसानों का वहां दो सौ करोड़ रुपये का भुगतान अवशेष है।
हुकुम की दलील है कि सरकार की ओर से बार-बार आश्वासन के बावजूद गन्ना किसानों का भुगतान न होना मालिकों की हठधर्मी है। इस तरह और भी कई सांसद और विधायक कामकाज को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। पार्टी फोरम पर बात रखने के निर्देश का अनुपालन न होने पर एक विधायक का कहना था कि क्षेत्र की जनता के सवालों का जवाब देना मुश्किल है। इस तरह कम से कम जनता के बीच यह बात तो पहुंच रही कि उनकी बात हम उठा रहे हैं।
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