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उत्तर प्रदेश

अयोध्या में अब परमहंस की समाधि को लेकर महंत सुरेशदास व आचार्य नारायण मिश्र में छिड़ी जंग

अयोध्या में अब परमहंस की समाधि को लेकर महंत सुरेशदास व आचार्य नारायण मिश्र में छिड़ी जंग
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अयोध्या, फैज़ाबाद। आगामी 26 जुलाई को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धार्मिक नगरी अयोध्या पहुंच रहे हैं | वह अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के अगुआ रहे शलाका पुरुष स्वर्गीय परमहंस रामचंद्र दास की पुण्यतिथि और श्रद्धांजलि सभा में शामिल होंगे ।

मुख्यमंत्री श्री योगी बुधवार की दोपहर 12:00 बजे अयोध्या के सरयु तट के किनारे स्थित स्वर्गीय परमहंस रामचंद्र दास की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने जाएंगे | लेकिन मुख्यमंत्री के आने से पहले ही इस समाधि पर अधिकार को लेकर विवाद शुरू हो गया है | जहां एक तरफ इस समाधि पर स्वर्गीय परमहंस रामचंद्र दास के आश्रम दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेशदास ने अपना नैतिक अधिकार बताया है | वहीं पर समाधि स्थल का निर्माण कराने वाले एक अन्य व्यक्ति नारायण मिश्र ने खुद को स्वर्गीय महंत परमहंस रामचंद्र दास का शिष्य बताते हुए इस पर अपनी दावेदारी कर दी है। इतना ही नहीं नारायण मिश्र ने स्वर्गीय महंत परमहंस रामचंद्र दास की पुण्यतिथि के अवसर पर दिगंबर अखाड़े में होने वाले परंपरागत आयोजन से इधर सरयू घाट के किनारे एक अन्य कार्यक्रम की भी रूपरेखा तैयार कर ली है जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

दिगम्बर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने कहा समाधि पर है सिर्फ दिगंबर अखाड़े का अधिकार
इस मामले को लेकर बाकायदा प्रेस नोट जारी कर दिगंबर अखाड़े के मांग सुरेश दास ने समाधि स्थल का निर्माण कराने वाले आचार्य नारायण मिश्र पर सवाल उठाए हैं दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास का कहना है कि राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाले स्वर्गीय परमहंस रामचंद्र दास जी के हजारों-लाखों शिष्य थे। आचार्य नारायण मिश्र भी उन्ही शिष्यों में से एक है। सभी शिष्यों ने मिलकर उनकी समाधि का निर्माण कराया है। इसमें आश्रम से जुड़े हुए लोगों का भी सहयोग रहा है। ऐसे में किसी व्यक्ति विशेष का एकाधिकार स्वर्गीय महंत परमहंस रामचंद्र दास जी की समाधि पर कैसे हो सकता है | पूर्व में अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने भी इस समाधि के निर्माण की बात कही थी। लेकिन उंहें इसलिए रोका गया था जिससे कि दिगंबर अखाड़े की परंपरा में कोई खलल ना पड़े। लेकिन वर्तमान में दिगंबर अखाड़े में होने वाले परंपरागत आयोजन के अतिरिक्त आयोजन करने वाले लोग सिर्फ अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए कार्य कर रहे हैं |

बदली सरकार में मुख्यमंत्री की स्वर्गीय परमहंस रामचंद्र दास के प्रति आस्था देखकर परमहंस की समाधि को लेकर चिंतित हो उठे लोग

अयोध्या में सन 1949 के बाद से राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन करने वाले और सन 1992 में बाबरी विध्वंस में अहम भूमिका निभाने वाले राम मंदिर आंदोलन के अगुआ परमहंस रामचंद्र दास के निधन के बाद आने वाले 14 वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी और तमाम साधु-संतों ने सिर्फ परमहंस जी की समाधि को लेकर जुबानी खर्च किया और बीते एक दशक तक यह समाधि टूटी फूटी हालत में रही |इसका हाल लेने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। लेकिन सत्ता में बदले निजाम और बदले निजाम की स्वर्गीय महंत परमहंस रामचंद्र दास के प्रति आस्था को देखते हुए एक बार फिर से परमहंस जी के प्रति उन तमाम लोगों के मन में अगाध श्रद्धा का ज्वार उमड़ पड़ा है जिन्होंने बीते दशक भर में परमहंस जी की यादों को बिसार दिया था। इससे दुखद और क्या हो सकता है कि परमहंस जी के निधन के बाद आने वाले करीब 6 वर्षों तक उनकी समाधि बेहद जर्जर हालत में रही और आने वाले वाले लोग उसे समाधि न समझ कर सिर्फ एक सीमेंट का बना चबूतरा समझते थे। लेकिन सरकार बदलने के बाद नए मुख्यमंत्री के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ द्वारा परमहंस जी के प्रति श्रद्धा अर्पित करने और अयोध्या आने की घोषणा होते ही वह तमाम लोग फिर से पुनर्जीवित हो उठे जो परमहंस जी के निधन के अगले 10 वर्षों तक उन्हें याद करने उनकी समाधि तक नहीं गए। फिलहाल जिला प्रशासन ने इन सभी विवादों से इतर स्वर्गीय महंत परमहंस रामचंद्र दास के समाधि स्थल पर मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर तैयारियां पूरी कर ली है और मुख्यमंत्री श्री योगी इस समाधि पर 15 मिनट का समय देने के बाद दिगंबर अखाड़े में पहुंचेंगे जहां वह संतो द्वारा स्वर्गीय महंत परमहंस रामचंद्र दास को दी जानेवाली श्रद्धांजलि सभा में शिरकत करेंगे।
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