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उत्तर प्रदेश

राष्ट्रवादी पेड़ पर वामीनुमा विषबेल छाने लगी है

राष्ट्रवादी पेड़ पर वामीनुमा विषबेल छाने लगी है
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राजनीतिक विषय पर लिखने से हम हमेसा कतराते रहे है।परंतु "लोक प्रशासन"के विद्यार्थी होने के नाते मुझे अच्छे से पता है कि प्रशासन और राजनीति का सम्बंध एक-दूसरे से सीधे-सीधे होता आया है।
अभी के संदर्भ में संघ के राजनीतिक संगठन भाजपा के सांसद सह भारत के प्रधानमंत्री "मोदी जी" राजनीति के चरम बिंदु पर है। जो शोभनीय है।
अनेकानेक योजनाओं का क्रियान्वयन किये है जिनका दूरगामी और बेहद सफल परिणाम आने वाला है। अर्को कार्यो में बेहद कठोर फैसला लेकर कार्य किये है। जो इन्हें तारीफ के काबिल बनाता है। तो आलोचक भी पैदा करता है।
मोदी जी राजनीति के दूरद्रष्टा है ये तो सत्य है। उनकी राजनीतिक परिणाम भविष्य में देश को नयी दिशा दिखाएगी। दूरगामी परिणाम आने के अलावा तत्कालीन परिणाम दिखे आइसए काम ही योजना का विस्तार हो पाया है। ये भी कहना उचित है।
साधारण जनता तत्कालीन परिणाम की चिंता करती है।जिन्हें अपने समय मे रोटी-दाल का फायदा देखना है। वो ये नही सोचती कि भविष्य के परिणाम उन्हें क्या लाभ देंगे।
सत्ता पर काबिज राजनीतिज्ञ सत्ता के लाभ तभी ले सकते है जब वो आम जनता के लिए वर्तमान में कोई कार्य करे। जिससे उन्हें फायदा मीले। भारत की जनता है तौबा मचाने वाली जनता है। जिन्हें राष्ट्रभक्ति भी सीखाने के लिये एक शिक्षक नियुक्त किया जाए तभी वो देश हित सोचेगी।
भविष्य को देखकर योजना बनाने वाले राजनेता को जीवन पर्यटन आलोचना झेलना पड़ता है, जो मोदी जी के साथ भी हो रहा है। परंतु इनके कार्य की सराहना इतिहास में जरूर व्यक्त होगी। ऐसा सुनिश्चित है। जिस तरह की दूरदर्शिता का इस्तेमाल मोदी जी करते है, वो अपने आप मे अब तक कि भारत की अलग राजनीति है। जो देश हित मे बेहतर है।
इससे पहले के भी राजनीतिक दल दूरदर्शी परिणाम को सोच कर कार्य किये परंतु वो कार्य देश को भविष्य में तोड़ने का रहा है। सीधा-सीधा कांग्रेस के शासनकाल से संबंध जोड़ा जाए तो इसका दूरगामी परिणाम देश के अहित में ही रहा है।
टमाटर,प्याज, मिर्च, दाल, पेट्रोल इत्यादि के बढ़ते दाल को लेकर जो जनता सरकार की आलोचना करने पर चल जाती है उन्हें महीने के 10हज़ार मुफ्त के देकर भी सरकार के द्वारा संतुष्ट नही किया जा सकता। उनकी फ़ितरः है हल्ला करना जिसमे वो जुड़े है।

राष्ट्रनीति इससे बढ़कर है ये पक्ष इस सरकार में ही देखने को मिला है। समय मोदी जी के गुण गायेंगे ये तय है।
कोई भक्त किसी का नही होता बस वो उसके नीति को सही स जानने वाला होता है तभी किसी के पक्ष में अपनी बात रखता है।

तथाकथित मोदी जी के समर्थक को भक्त कहना वामी, कामी घृणित साजिस है। वो ये शब्द बोलकर दुत्कारना चाहते है। और लोग इस जाल में उलझ जाते है। अगर आप समर्थक है तो समर्थक ही समझिए खुद को,न कि किसी के भक्त कह देने मात्र से झेप जाइये जैसे शर्म से डूब मरने वाले हो।

सच कहा गया है अभी बौद्धिक लड़ाई है वामी कामी से। देखिए वामी में क्या चर्चा चल रहा है। वो भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोष को भी अपना प्रेरणा बता रहे है। ये साजिस है कि वो इन सभी क्रान्तिकारो के चेहरे को वामी रंग में रंगने का प्रयास कर रहे है। सम्भालना होगा हमे, बौद्धिक स्तर पर, नही तो वो दिन दूर नही जब राष्ट्रवाद को धूमिल करने में ये कामयाब हो जाएंगे। एक पीढ़ी तैयार हो चुकी है वामियो कि, आजादी के बाद कान्वेंट में पढे बुद्धिजियो की जो आज देश विरोधी कार्य मे लगे है।

समझिए,सम्भालिए और कार्य कीजिये।
आजाद थे,आजाद है और आजाद रहेंगे।
नमन अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के चरणों मे।

राजऋषि कुमार
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