माया इन एक्शन ...23 को दिल्ली में बुलाई पार्टी की बैठक
BY Suryakant Pathak21 July 2017 9:24 AM GMT

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Suryakant Pathak21 July 2017 9:24 AM GMT
राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब संगठन के पेंच कसना शुरू कर दिया हैं. 23 जुलाई को बीएसपी ने देश भर के नेताओं और कोऑर्डिनेटर की बैठक बुलाई है. इसमें पार्टी अध्यक्ष मायावती आगे की रणनीति का एलान करेंगी. बता दें कि दलित अत्याचार के मुद्दे पर राज्यसभा में न बोलने देने का आरोप लगाते हुए मायावती ने सदन में ही इस्तीफे का एलान कर दिया था.
बैठक में पार्टी के सभी संसद सदस्य, विधायक, कोऑर्डिनेटर और जिला अध्यक्ष शामिल होंगे. मायावती बीजेपी पर निशाना साधेंगी. दलित अत्याचार के मुद्दे के बहाने दलित वोट बैंक को एकजुट रखने के लिए मायावती ने बीजेपी राज में दलितों पर अत्याचार का मुद्दा प्रमुखता से उठने की रणनीति बनाई है. माया बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसी सीबीआई का उनके और उनके परिवार के खिलाफ गलत इस्तेमाल का आरोप पहले ही लगा चुकी हैं. कुल मिलाकर माया इस बैठक में साफ करेंगी कि उन्होंने क्यों दलित अत्याचार के मुद्दे पर अपनी राज्य सभा की सदस्यता को कुर्बान कर दिया.
बीजेपी ने 2014 के लोक सभा चुनाव में माया के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई थी, जिसकी वजह से पार्टी एक भी लोक सभा सीट नहीं जीत पाई थी. अब यूपी से आने वाले कोविंद को राष्ट्रपति बनाकर भी मोदी ने यूपी के दलित वोट बैंक को साधने की एक और कोशिश की है. सुगबुगाहट ये भी है कि प्रदेश में अध्यक्ष भी दलित वर्ग से बनाया जा सकता है. बीजेपी की चालों के इसी चक्रब्यूह से बचने के लिए मायावती पूरा जोर लगा रही हैं. दलित वोटरों की सहानुभूति पाने की जुगत लगा रही हैं.
2019 का लोक सभा चुनाव ही अब बसपा प्रमुख मायावती का अगला एजेंडा है. मतलब अगले 2 साल में वो खुद जमीन पर उतरकर संगठन की चूलें कसने और कार्यकर्ताओं में भरोसा जगाने का काम करेंगी. पार्टी दलित और मुस्लिम वोट बैंक का नजर में रखकर अपना कार्यक्रम चलाएगी. हालांकि, सूत्रों से ये जानकारी भी मिली है कि मुस्लिमों का मुद्दा उठाते वक़्त ये ख्याल रखा जाएगा कि बीजेपी इसका फायदा हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के लिए न उठा पाए. पार्टी नए मुस्लिम चेहरे की तलाश में भी है जो सिद्दीकी के जाने के बाद खाली हुई जगह की भरपाई कर सके.
पार्टी संगठन में भी फेरबदल की सुगबुगाहट है. पिछले कुछ महीनों में पार्टी से कई नेताओं की रुखसती हो चुकी है. दारा सिंह चौहान, स्वामी प्रसाद मौर्या, नसीमुद्दीन सिद्दीकी और ब्रजेश पाठक जैसे माया के खास नेता अब पार्टी में नहीं हैं. इन नेताओं द्वारा खाली हुई जगह की भरपाई के लिए नए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में पार्टी संगठन की पूरी तरह ओवरहालिंग होगी.
बीएसपी सूत्र बताते हैं कि साल 2018 में राज्य सभा का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद वापस सदन नहीं पहुंच पाने जैसी परिस्थिति ने मायावती को परेशान कर दिया था. माया खुद को नए सिरे से संघर्ष के लिए तैयार करना चाहती है, वो भी समय रहते. गौरतलब है कि मायावती के इस्तीफे के दिन ही न्यूज़ 18 इंडिया ने बताया था कि उन्होंने सोच समझ के रणनीति के तहत इस्तीफ़ा दिया है. अब पार्टी को मज़बूत करने में माया जी जान से जुटने वाली हैं.
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