शिव महापुराण कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति संभव : बलरामदास महाराज
BY Suryakant Pathak20 July 2017 4:58 PM GMT

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Suryakant Pathak20 July 2017 4:58 PM GMT
सैफई ( इटावा) सुघर सिंह :-
सैफई में चल रही शिव महापुराण कथा में गुरुबार को बृन्दावन मथुरा से आये कथा बाचक बलरामदास जी महाराज ने कहा कि श्रावण मास में शिव महापुराण की कथा सुनने से मनुष्य को 84 लाख योनियों से मुक्ति मिल जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव भाव के भूखे हैं। मनुष्य को अहंकार रूपी विष को त्यागना होगा। इससे पूर्व सुबह वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शिव भक्तों ने समूह में रुद्राभिषेक किया।
श्री शास्त्री ने कहा शिबमहापुराण का श्रवण करना अमृत समान है। इससे जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं। जहां कहीं भी शिवमहापुराण की कथा चल रही हो, हमें इसका श्रवण करना चाहिए। शिव नाम कल्याणकारी है। इसका जाप करने से शांति मिलती है। इससे जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं। जहां कहीं भी शिवमहापुराण की कथा चल रही हो, हमें इसका श्रवण करना चाहिए। ईश्वर की साधना और ध्यान किए बिना काम नहीं बन पाता। किसी एक में मन स्थिर होने पर मन की शक्ति बढ़ती है। दिन की व्यस्त भरी जिंदगी में कुछ समय भगवान की भक्ति में लगाए। अज्ञानता के नाश होने से ज्ञान हासिल होता है। ज्ञान को सतत बनाए रखने के लिए ध्यान जरूरी है। जब तक अज्ञानता का नाश नहीं होता, तब तक जीवन में समृद्घि नहीं आ सकती। इस संसार में माया-मोह के कारण मनुष्य के जीवन में अशांति फैली हुई है। यदि हमें सुख की प्राप्ति चाहिए तो प्रभु की शरण में आना होगा। भक्तिभाव से दूर होने की वजह से परिवार में बिखराव हो रहा है। शिवमहापुराण कथा के श्लोकों में इतनी ताकत है कि इसके श्रवण मात्र से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं। जहां कहीं भी कथा का आयोजन होता है, वहां हमें कथा का श्रवण करना चाहिए।
श्री शास्त्री ने कहा कि शिव को संहार का देवता कहा गया है, लेकिन सर्वशक्तिमान होते हुए भी वह दयालु और कृपालु हैं। वह प्रकृति से भी बहुत प्रेम करते हैं। शिव का श्रृंगार भस्म से होता है, जिससे हमें संदेश मिलता है कि यह शरीर नश्वर है और आत्मा परमात्मा का ही सूक्ष्म रूप है। शिव ने सिर पर गंगा को धारण किया है, जो सदैव वैराग्य की सीख देती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में असंभव काम भी भगवान की सेवा और सत्संग से संभव हो जाता है ने कहा कि शिव का गुणगान ही इस पुराण का अमृतसार है। इसे श्रवण से हम देवों के देव शिव से साक्षात्कार करते हुए उनके करीब जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें खुद में परिवर्तन लाना होगा। दरअसल, जैसा हम सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। इसलिए सकारात्मक सोच रखें और धैर्यवान बनें। श्रावण ऐसा मास है, जब शिव जल की कुछ बूंदों से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। प्रवचन सुनने प्रतिदिन काफी संख्या में श्रद्घालु पहुंच रहे हैं। शिवमहापुराण कथा का आयोजन सैफई के राजकुमार यादव, अमित यादव द्वारा किया जा रहा हैं।
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