कोविंद के गांव ने मनाई होली-दिवाली एक साथ

कानपुर देहात जनपद के झींझक इलाके के छोटे से गांव परौंख ने गुरुवार को होली-दिवाली दोनों साथ में मनाई। खुशी का ऐसा जश्न जिसे देखने के लिए देशभर की आंखें बेताब हैं। लेकिन यहां से कोसो दूर बैठे लोग इस नजारे के एहसास को तरस रहे हैं।
काउंटिग शुरू होने से पहले कोविंद के घर जुटी हजारों की भीड़
14 वें राष्ट्रपति के पद के चुनाव की मतगणना शुरू भी नहीं हुई थी कि कानपुर देहात के परौख गांव में जबरदस्त हलचल मच गई। मतपेटियां खुलने से पहले लोगों के दिलों की धड़कने तेज थी। सभी की आंखों में एक ही आशा कि कोविंद हमारे राष्ट्रपति चुने जाए।
सुबह के बुलेटिन में जब विशेषज्ञों ने रामनाथ कोविंद की जीत सुनिश्चित बताई तो परौंख में मौजूद लोग खुशी से झूमने लगे। ढोल- ताशों पर नाचते लोगों की खुशी को कोई ठिकाना न रहा। इनके बीच रहने वाला शख्स आज देश का राष्ट्रपति चुनने जा रहा था, इसलिए सभी को अहसास हो रहा था मानों उन्होंने सातवां आसमान छू लिया हो और एहसास हो भी क्यों ना... आखिर देश का सबसे शक्तिशाली और पहला आदमी अब इनके गांव से जो रहने वाला था।
11 बजे जब काउंटिंग शुरू हुई तो लोग खुशी से नाचने-गाने लगे। इसमें खुद कोविंद के परिवार के लोग भी लोग भी शामिल थे।वोट गिनती के लिए सांसदों की मतपेटियां पहले खोली गई जिसमें कोविंद ने शुरुआत में ही बढ़त बना ली। फिर तो गांव वालों का आत्मविश्वास और बढ़ गया।
गांव के लोगों ने ठान लिया कोविंद को जीत दिलानी है। अपने आराध्य में विश्वास रखने वाले सभी धर्मों के लोग उन्हें मनाने के लिये अनवरत मन्नतें व दुआएं करते रहे। यहां तक कि मुस्लिम युवतियां भी घर में नमाज अता कर उनके विजयी होने के लिए अल्लाह से दुआ मांगती रही। उधर हिंदू लडकियां और गांव की महिलाएं भी व्रत उपवास रखकर ईश्वर से उनकी जीत की कामना करती रही। सावन के इस माह में मंदिरों मे लोग भोले भंडारी की पूजा वंदना कर कोविंद की जीत की कामना करते नजर आए। बात की तो ग्रामीणों का कहना था कि जब तक हमारे गांव के लाल राष्ट्रपति का पद नहीं संभालेंगे, हम ऐसे ही अनुष्ठान पाठ व दुआएं मांगते रहेंगे।
जैसे-जैसे कोविंद जीत की ओर बढ़ते गए ग्रामीणों का जोश और बढ़ता गया। शाम करीब 3:50 बजे गांव वालों ने आतिशबाजी शुरू कर दी। नजारा दीपावली के पर्व के समान नजर आया। इससे पहले ग्रामीणों ने रंग भी खेला। रंगों में सराबोर पूरा गांव झूम रहा था। लोग एक दूजे के गले लग रहे थे और बधाई दे रहे थे। औरतें गीत गा रही थी। देशी लोकगीत गाकर ग्रामीण महिलाओं ने खुशी जाहिर की।