Home > राज्य > उत्तर प्रदेश > 1857 में ग़दर मचाकर अंग्रेज़ों की चूलें हिलाने वाले महान क्रांतिकारी #MangalPandey को हम जनता की आवाज़ की ओर से शत् शत् नमन् करते हैं...
1857 में ग़दर मचाकर अंग्रेज़ों की चूलें हिलाने वाले महान क्रांतिकारी #MangalPandey को हम जनता की आवाज़ की ओर से शत् शत् नमन् करते हैं...
BY Suryakant Pathak19 July 2017 2:35 AM GMT

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Suryakant Pathak19 July 2017 2:35 AM GMT
अंग्रेज़ हुकुमत के सामने सबसे पहली चुनौती पेश करने वाले मंगल पांडे की वीरता के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज है. आज 19 जुलाई के दिन साल 1827 में क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म हुआ था.
इस खास मौके पर पढ़िए उस जगह बैरकपुर के बारे में जहां से शुरू हुई थी बग़ावत. जानिए कैसे यहां से उठी क्रांति की चिंगारी, एक आग बनकर पूरे मुल्क में फैली.
पश्चिम बंगाल में मौजूद बैरकपुर कोलकाता से 22 किमी दूर है. बैरकपुर भारत में अंग्रेज़ों की बसाई सबसे पुरानी सैन्य छावनियों में से एक है. साल 1765 में अंग्रेज़ों ने बैरकपुर को ही अपना फौज़ी अड्डा बनाया था. 29 मार्च 1875 को अंग्रेज़ अधिकारी पर मंगल पांडे ने गोली यहीं पर चलाई थी. मंगल ने बैरकपुर परेड ग्राउंड पर इस घटना को अंजाम दिया था.
निकलि आव पलटुन, निकलि आव हमार साथ
अंग्रेज़ अधिकारी पर गोली चलाकर पांडे ने अपने भारतीय साथियों से बग़ावत करने की अपील की थी. पांडे ने हुंकार भरते हुए कहा था कि निकलि आव पलटुन, निकलि आव हमार साथ.
भारत का पहला रेसकोर्स भी बंगाल के बैरकपुर में अंग्रेज़ों ने साल 1806 में बनाया था. यहां आज भी बैठने के लिए स्टेडियम की तरह सीटें लगी हुईं हैं. इतने साल बीत जाने के बावजूद भी सरकार इसके रखरखाव के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. यहां की इमारतें जर्जर हैं.
बैरकपुर बना फांसी का गवाह
1857 की क्रांति की नींव के साथ-साथ मंगल पांडे की मौत का गवाह भी बैरकपुर था. इसी परेड ग्राउंड में पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई. लेकिन ये कोई नहीं जानता कि ठीक किस जगह उन्हें फांसी दी गई थी.
बेशक जन्मतिथी और पुण्यतिथी के दिन मंगल पांडे को याद कर लिया जाता है लेकिन बैरकपुर आज पूरी तरह भुला दिया गया है, जिसका कभी ऐतिहासिक महत्व हुआ करता था.
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