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उत्तर प्रदेश

दलितों की नजर में मायावती का इस्तीफा दिखावा, अमीर आलम ने बसपा छोड़ी

दलितों की नजर में मायावती का इस्तीफा दिखावा, अमीर आलम ने बसपा छोड़ी
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सहारनपुर - शब्बीरपुर गांव में लगभग सवा दो माह पहले भड़की जातीय हिंसा बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद फिर चर्चाओं में आ गई। ऐसे में दलित राजनीति गर्माने के आसार बढ़ गए हैं। इसके उलट दलितों ने इस्तीफे को महज दिखावा बताते हुए कहा है कि उन्हें केवल वोट बैंक के रूप में देखा जाता है। शब्बीरपुर जातीय हिंसा को ढाल बनाकर मंगलवार को राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा दिए गए इस्तीफे पर शब्बीरपुर के दलितों दल सिंह, मीर सिंह संत कुमार, तारावती आदि का कहना है कि दलितों की लड़ाई तो कोई लड़ता ही नहीं। सभी नेता हमारा वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करते हैं। मायावती का इस्तीफा भी महज दिखावा है।
लड़ाई लडऩे के वक्त इस्तीफा
जातीय हिंसा व आगजनी के शिकार दल सिंह बोले कि सदन में दलितों के हित की लड़ाई लडऩे का वक्त आया तो मायावती ने इस्तीफा दे दिया। दलितों को इस बात का मलाल भी है कि हिंसा के बाद ज्यादातर नेता अपनी राजनीति चमका रहे है। पीडि़तों की मदद-इमदाद से इनको कोई सरोकार नहीं है। पीडि़तों को पूरा मुआवजा नहीं मिला है। शासन ने 10 जुलाई को 44 पीडि़त व प्रभावितों के पुनर्वास के लिए 4.13 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। परंतु पैसा नहीं आ पाया। एडीएम प्रशासन एसके दुबे ने कहा कि धन स्वीकृत हो गया है, लेकिन अभी जिले में नहीं पहुंचा है। उधर ठाकुर पक्ष के पवन सिंह का कहना है कि हिंसा के बाद गांव में अमनचैन हो गया था पर मायावती ने आकर फिर हिंसा भड़का दी थी। प्रभावित हुए ठाकुरों को तो प्रदेश सरकार ने कुछ नहीं दिया। पांच मई को गांव शब्बीरपुर में महाराणा प्रताप सिंह की प्रतिमा पर माला चढ़ाने के कार्यक्रम से पहले ही दलितों व राजपूतों में बवाल हो गया था। एक दूसरे पर हमला हुआ। पांच मई को ठाकुरों ने सुमित राणा की मौत के बाद दलित बस्ती के 52 घरों में आगजनी व लूटपाट की थी। इसके बाद दूसरी हिंसा नौ मई को और तीसरी हिंसा मायावती के दौरे वाले दिन 23 मई को भड़की थी।
अमीर आलम ने बेटे संग बसपा छोड़ी
पूर्व सांसद अमीर आलम और उनके बेटे पूर्व विधायक नवाजिश आलम ने बसपा छोडऩे की घोषणा की है। उनका कहना है कि फिलहाल किसी पार्टी का दामन नहीं थाम रहे। बकौल आलम कुछ दिन राजनीति से दूर रहकर जीना चाहते हैं। रालोद के टिकट पर अमीर आलम लोकसभा सदस्य और सपा में राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। सपा सरकार में परिवहन राज्यमंत्री भी रहे अमीर आलम के बेटे नवाजिश आलम सपा से बुढ़ाना से विधायक चुने गए थे। हाल ही के विधानसभा चुनाव में दोनों ने सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था। नवाजिश को गत विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर हार का मुंह देखना पड़ा। गौरतलब है कि अमीर आलम अराजनीतिक होने का शगूफा पहले भी छोड़ चुके हैं। कई साल पूर्व उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी। पर कुछ दिन बाद राजनीति में लौट आए थे। सियासी लाभ के लिए वह कई बार दल भी बदल चुके हैं।
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