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संसदीय कमिटी की अनुशंसा, फिर से हो बोफोर्स मामले की जांच, CBI बोली-सरकार के कहने पर ही ऐसा मुमकिन
BY Suryakant Pathak14 July 2017 4:50 PM GMT

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Suryakant Pathak14 July 2017 4:50 PM GMT
क्या मोदी सरकार लगभग तीन साल पुराने बोफोर्स मामले की जांच फिर से शुरू करवाएगी? अस्सी के दशक में भारतीय राजनीति में भूचाल लाने वाला बोफोर्स का जिन्न फिर निकलेगा? एक संसदीय कमिटी ने बोफोर्स मामले की जांच करने का आग्रह किया है। इसके बाद सियासी गलियारों में इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। बोफोर्स घोटाला तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के सियासी पतन का कारण बनी थी। हालांकि केंद्र सरकार जांच को हरी झंडी देने के मूड में नहीं है।
सीबीआई ने कहा, कमिटी नहीं कोर्ट या सरकार का आदेश मानेंगे
बोफोर्स मामले की जांच दोबारा शुरू करने के बारे में संसदीय कमिटी की अनुशंसा पर हालांकि सीबीआई ने कहा है कि वह कमिटी की अनुशंसा पर जांच फिर से शुरू नहीं कर सकती है। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि जब तक कोर्ट या केंद्र सरकार आदेश नहीं देती तब तक वह इस मामले में कोई अगला कदम नहीं बढ़ाएगी।
जब बाबरी मस्जिद केस ओपन कर सकती है तो बोफोर्स की क्यों नहीं
संसदीय कमिटी में मूल रूप से बीजेडी और बीजेपी सांसदों ने बोफोर्स मामले की जांच दोबारा शुरू करने की मांग की। दोनों दलों के मेंबर ने सीबीआई से कहा कि वे बोफोर्स सौदे के 'सिस्टैमिक फेल्यर' और घूस लेने के आरोपों की फिर जांच करें।
दोनों ने सीबीआई से दिल्ली हाई कोर्ट के 2005 के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा जिसमें बोफोर्स मामले में कार्रवाई निरस्त कर दी गई थी। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ आरोप फिर से निर्धारित किए जा सकते हैं, तो फिर बोफोर्स मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। सीबीआई ने कमिटी को कहा है कि वे केंद्र सरकार से पूछकर 15 दिनों के अंदर कमिटी को रिपोर्ट देंगे।
सरकार मंजूरी देने के मूड में नहीं
सूत्रों के अनुसार वहीं केंद्र सरकार इस मामले को दोबारा अभी खोलने के मूड में नहीं है। न जांच एजेंसी इसके पक्ष में हैं। दरअसल इस मामले में लंबी जांच प्रक्रिया के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। इससे जुड़े कई लोग अब दुनिया में भी नहीं है। ऐसे में केस को दोबारा शुरू करने से इसपर राजनीतिक विवाद भी हो सकता है। गौरतलब है कि बोफोर्स तोप सौदे के चलते 1980 के दशक में देश की राजनीति में भूचाल आ गया था। 1989 में कांग्रेस को इसकी वजह से सत्ता तक गंवानी पड़ी थी। मामले में आरोपी इटली के बिजनसमैन ओत्तावियो क्वात्रोकी की गांधी परिवार से कथित नजदीकी सवालों के घेरे में रही है।
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