विंग कमांडर एम एस ढिल्लों की शहादत कई सवाल पूछती है
BY Suryakant Pathak10 July 2017 11:55 AM GMT

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Suryakant Pathak10 July 2017 11:55 AM GMT
एम एस ढिल्लों का नाम सुना है? नहीं सुना होगा। अरुणाचल वाले हैलिकॉप्टर क्रैश में एयर फ़ोर्स का यह बेहतरीन अफसर शहीद हो गया। 18 साल का अनुभव था, और देश के बेहतरीन हेलिकॉप्टर पायलट में से एक थे। हिमालय की बर्फ़ीली घाटियों से लेकर उत्तरपूर्व के तमाम कठिन इलाकों में हेलिकॉप्टर उड़ाने का अनुभव।
विंग कमांडर ढिल्लों जी के सहकर्मी बताते हैं कि टू द प्वॉइंट बात करने वाले एम एस हमेशा चैलेंजिंग उड़ानों के लिए वोलेंटियर करते थे। शानदार व्यक्तित्व और शानदार पायलट!
एयर फ़ोर्स के हेलिकॉप्टर जिस हिसाब से दुर्घटनाग्रस्त होते रहे हैं सिर्फ देश में, उससे ये सवाल भी उठता है कि सरकारों को कभी भी इन जाँबाजों की फ़िक्र भी रही है कि डोर्नियर जैसे 'फ्लॉइंग ट्रैक्टर' उड़ाने को दे देते हैं, जिसका मेंटनेंस तक संदिग्ध होता है?
चूँकि वो फ़ौज में हैं तो क्या उनका इस तरह से शहीद होना ज़ायज है? क्या एयरफ़ोर्स के हेलिकॉप्टर, या एच ए एल द्वारा 'फ़िट' किए गए हेलिकॉप्टर उस स्थिति में हैं कि उसमें बैठने से पहले पायलट को कॉफ़िन में घुसने की फ़ील ना आए?
मेरे एक मित्र हैं उनके भैया स्क्वाड्रन लीडर हैं, वो बताते हैं कि हेलिकॉप्टर के यंत्र संतोष कम्पनी के रेडियो (गीत सुनाने वाला) टाइप काम करते हैं। पता चलेगा काम नहीं कर रहा है, दो बार जोर से हाथ मारिए तो ऑल्टिट्यूड बताने लगता है।
कभी कभी लगता है हमारे सारे जवान और अफसर शहीद नहीं होते, उनमें से कईयों की हत्या होती है जिसकी ज़िम्मेदार हर वो सरकार है जो सौदे में घूस से लेकर फ़ौजियों के नाम पर सीने में हवा भर कर घूमती रहती है।
आप अपने हिसाब का एक 'नट' तक नहीं बना पाते भारत में और बनाने चले हैं मिसाइल! पूरी ज़िंदगी असेंबल किए फ़ाइटर प्लेन, हेलिकॉप्टर से उड़ते हैं हमारे फ़ौजी। इसमें हर सरकार भागीदार है क्योंकि आपके पास आईआईटी के प्रोफ़ेसर को देने के लिए पैसे नहीं हैं, स्टेट ऑफ आर्ट लैब्स नहीं हैं, फ़ंड नहीं है कि बच्चे रिसर्च करके नई टेक्नॉलॉजी लाएँ।
एम एस ढिल्लों की जान कैसे गई पता नहीं, लेकिन कई अफसर हेलीकॉप्टरों और फ़ाइटर प्लेनों की खराब व्यवस्था की बलि चढ़े हैं।
अजीत भारती
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