हरदोई में किसानों ने खुद कराई तीन किमी नहर की सफाई अौर खुदाई
BY Suryakant Pathak8 July 2017 2:44 AM GMT

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Suryakant Pathak8 July 2017 2:44 AM GMT
एक तरफ सरकार किसान हितैषी होने का ढिढ़ोरा पीट रही है, तो दूसरी तरफ फसलें सिंचाई को तरस रही हैं। धान फसल की सिंचाई के लिए सरकारी व्यवस्था को आईना दिखाते हुए किसानों ने आपस में चंदा इकठ्ठा कर तीन कि.मी लंबी बावन नहर से निकलने वाली सहेरा-मझरेता माइनर की खुदाई व तलीझाड़ सफाई कराई।
सिंचाई विभाग की नहरें कागजों में साफ है, लेकिन मौके पर नहरों में तीन-चार फुट घांस-फूंस, झाड़िया उग रही हैं। कई नहरों की वर्षों से सफाई नहीं होने से नहरें मिट्टी व सिल्ट से पट गईं। कुछ ऐसा ही हाल था बावन नहर से लिंक सहेरा-मझरेता माइनर का। तीन कि.मी लंबी ये नहर से तीन गांव की सैंकड़ों हैक्टेयर फसल की सिंचाई होती थी, परंतु कई वर्षों से माइनर की सफाई-खुदाई नहीं होने से पूरी नहर झाड़-फूंस के जंगल में तब्दील हो गई। खेतों तक पानी पहुंचना बंद हो गया। इस नहर की सफाई के लिए दो वर्ष से किसान कभी प्रधान, तो कभी सिंचाई विभाग, तो कभी ब्लॉक, तो कभी तहसील में भटकते रहे। अधिकारियों को कई प्रार्थना पत्र दिए, परंतु मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के राज में सिंचाई विभाग और अफसरों को पुराना रवैया ही नजर आया। नहर सफाई नहीं हुई, इधर समय पर सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से धान की फसल बर्बाद होने का संकट किसानों के सामने खड़ा हो गया।
सहेरा व मझरेता के प्रगतिशील किसान हरिसिंह, जयदीप, शुशील, अतुल, अनूप ने मिलकर अन्य किसानों के साथ स्वयं के संसाधन जुटा बंद पड़ी नहर की सफाई की योजना बनाई। इन किसानों ने बताया कि कब तक हाकिमों के भरोसे रहते। यदि समय पर पानी नहीं मिलता, तो फसल के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती। नहर साफ होने से हमारा अलावा अन्य काश्तकारों की फसलों को भी पानी मिल जाएगा। यही सोच कर इन किसानों ने आपस में चंदा इकठ्ठा किया। जेसीबी से स्वयं किसानों ने नहर पर खड़े होकर माइनर से घास, फूंस, झाड़िया व खरपतवार के साथ सिल्ट की खुदाई व सफाई कराई।
नहीं पिछड़ती धान की रोपाई
सरकारी विभाग और उनके नुमाइंदे अगर समय पर जाग जाते, तो धान की फसल की रोपाई नहीं पिछड़ती। स्वयं के संसाधनों से किसानों ने नहर सफाई कराई, तब जाकर धान की फसल को पानी नसीब हो सका। नहर की सफाई कराने वाले छोटे, सत्येन्द्र पाल, अनूप कुमार, कल्लू सिंह, चुन्नू, शिवकुमार, सरेाज कुमार, मनीष, नीरज, वेदराम आदि किसानों ने बताया कि सरकारी व्यवस्था का इंतजार करते, तो आज हमारे खेत खाली रह जाते।
दीप के मानिंद उजियारा बने जयदीप
सहेरा व मझरेता के प्रगतिशील किसान हरिसिंह, जयदीप, शुशील, अतुल, अनूप ने मिलकर अन्य किसानों के साथ स्वयं के संसाधन जुटा बंद पड़ी नहर की सफाई की योजना बनाई। इस अभियान में किसानों के बीच दीप के मानिंद उजियारा करने वाले किसान जयदीप सिंह ने इस बाबत पूरी योजना तैयार की। अलग- अलग जिम्मेदारियां सौंपी। इस दौरान उनके काफिले में और लोग जुड़ते गए। कारवां और बढ़ गया। जयदीप ने बताया कि कब तक हाकिमों के भरोसे रहते। योगीजी की कोशिशों में गिलहरी बनकर योगदान करने की भी इच्छा थी। यदि समय पर पानी नहीं मिलता, तो फसल के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती। नहर साफ होने से हमारा अलावा अन्य काश्तकारों की फसलों को भी पानी मिल जाएगा। यही सोच कर इन किसानों ने आपस में चंदा इकठ्ठा किया। जेसीबी से स्वयं किसानों ने नहर पर खड़े होकर माइनर से घास, फूंस, झाड़िया व खरपतवार के साथ सिल्ट की खुदाई व सफाई कराई।
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