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सरकार का नया फरमान, 20 हजार से ज्यादा कीमत के गोल्ड, टीवी, फ्रिज की खरीद की देनी होगी जानकारी
BY Suryakant Pathak6 July 2017 12:01 PM GMT

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Suryakant Pathak6 July 2017 12:01 PM GMT
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के जरिये अप्रत्यक्ष करों की चोरी पर लगाम लगाने के बाद केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष कर में सुधार की ओर कदम बढ़ाया है। इसके तहत अब ऑडिटरों को अपने क्लाइंट की ओर से आयकर विभाग में दर्ज किए जानेवाले रिटर्न में अचल संपत्ति के लिए 20 हजार रुपये से अधिक के हर लेन-देन की जानकारी मुहैया करानी होगी।
इससे लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ेगी और कर चोरी पर अंकुश लगेगा। वित्त वर्ष 2016-17 से लागू यह बदलाव 19 जुलाई, 2017 से अमल में आएगा।आयकर रिटर्न के साथ फाइल की जाने वाली ऑडिट टैक्स रिपोर्ट के लिए फार्म 3सीडी में संशोधन किया गया है, ताकि अचल संपत्ति के लिए 20 हजार रुपये से अधिक के हर लेन-देन को निर्धारित फार्मेट में दर्ज किया जा सके।
ऑडिटर रिपोर्ट में कर्ज लेने वाले या जमाकर्ता का नाम, पता और स्थायी खाता संख्या (पैन) के साथ भुगतान के तरीके की भी विस्तृत जानकारी देनी होगी यानी यह बताना होगा कि भुगतान के लिए एकाउंट पेयी चेक या बेयरर चेक का इस्तेमाल किया गया है या फिर उसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अंजाम दिया गया है।
अब तक की व्यवस्था के अनुसार ऑडिटर को अचल संपत्ति के लोन या पुनर्भुगतान के मामले में 20 हजार रुपये से ज्यादा के लेन-देन की सिर्फ जानकारी देनी होती थी, लेकिन अब हर ऐसी जानकारी को तय फार्मेट में भरना होगा।
गौरतलब है कि आयकर कानून के तहत सालाना 50 लाख रुपये की कमाई करने वाले पेशेवरों और एक करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए अपने खातों का ऑडिट कराना अनिवार्य है। कंपनियों के मामले में आकलन वर्ष 2018-19 से टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दी गई है।
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